बिना जांच, मिलान बेचा जा रहा खून, सील
आगरा: जनसुविधा ब्लड बैंक से खून बेचने का खेल चल रहा था। खून को बिना जांच और ब्लड ग्रुप के बेचा जा रहा है।
आगरा: जनसुविधा ब्लड बैंक से खून बेचने का खेल चल रहा था। खून को बिना जांच और ब्लड ग्रुप का मिलान किए बिना दिया जा रहा था। औषधि विभाग की टीम ने 50 दिन की जांच के बाद जनसुविधा ब्लड बैंक के संचालन पर रोक लगा दी है। दो फ्रिज सील करने के साथ ब्लड बैंक का लाइसेंस निरस्त करने की संस्तुति की है।
17 जून को हरे कृष्णा हॉस्पिटल, रामबाग में भर्ती नगला बंदी, एटा निवासी सरोज देवी के लिए एक यूनिट ब्लड मंगाया गया। तीमारदारों ने दलाल से संपर्क कर जनसुविधा चैरिटेबल ब्लड बैंक, कटरा मदारी खां से 3500 रुपये में ब्लड ले लिया। ब्लड चढ़ाते ही बेचैनी और घबराहट होने लगी, हॉस्पिटल संचालक श्रीनिवास यादव ने ब्लड बैंक संचालिका डॉ. पुष्पलता गोयल से शिकायत की। औषधि विभाग ने भी इस मामले की जांच की, मरीज के तीमारदार सहित अन्य लोगों से पूछताछ की गई। सहायक औषधि आयुक्त शिव शरण सिंह ने बताया कि जांच में सामने आया कि जनसुविधा ब्लड बैंक से बिना क्रॉस मैच किए और रिप्लेसमेंट के 2500 से 3000 रुपये में ब्लड दिया गया था। इसे रिकॉर्ड में भी दर्ज नहीं किया गया और कैश बुक से रसीद भी नहीं काटी गई। इसी ब्लड बैंक से 24 जून को जनहित हॉस्पिटल रामबाग में भर्ती बल्देव निवासी पूनम शर्मा के लिए तीमारदार ब्लड ले गए थे। तीमारदार ने लोकहितम ब्लड बैंक में ब्लड को क्रॉस मैच कराया। यहां तकनीशियन राम प्रकाश प्रजापति ने जांच की तो ब्लड ग्रुप मैच नहीं किया। जांच में पता चला कि पूनम का रेयर बॉम्बे ब्लड ग्रुप है। इसके लिए मुंबई से रक्तदाता बुलाए गए थे। इसकी जांच में सामने आया कि जनसुविधा ब्लड बैंक से मरीज के तीमारदारों को 3200 रुपये में खून बेचा गया था। फंसता देख ब्लड बैंक के रिकॉर्ड से खून देने का ब्योरा हटा दिया गया। 10 लोगों से पूछताछ में मामला खुल गया, टीम ने 10 जुलाई और नौ अगस्त को जनसुविधा ब्लड बैंक का निरीक्षण किया। यहां कोई टेक्नीशियन नहीं मिला। औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम का उल्लंघन करने पर ब्लड बैंक के संचालन पर रोक लगा दी है। ब्लड बैंक में दो फ्रिज में ब्लड के पाउच और कंपोनेंट थे, इन्हें सील कर दिया है। वहीं, औषधि अनुज्ञापन एवं नियंत्रण प्राधिकारी, लखनऊ से ब्लड बैंक का लाइसेंस निरस्त करने की संस्तुति की गई है। इस दौरान औषधि निरीक्षक राजकुमार शर्मा, ब्रजेश यादव मौजूद रहे। जा सकती थी जान, एचआइवी सहित फैल रहीं अन्य बीमारी
गर्भवती पूनम शर्मा का बॉम्बे ब्लड ग्रुप था, उसे क्रॉस मैच किए हुए दूसरा ब्लड ग्रुप चढ़ाने से जान जा सकती थी। टीम की जांच में सामने आया है कि ब्लड बैंक में खून की जांच भी नहीं की जाती थी। इससे एचआइवी, हेपेटाइटिस सहित अन्य बीमारी फैलने का खतरा रहता है। अपने ही जाल में फंस गई ब्लड बैंक संचालिका
हरे कृष्णा हॉस्पिटल संचालक की शिकायत के बाद जनसुविधा ब्लड बैंक की संचालिका डॉ. पुष्पलता गोयल ने ही सहायक औषधि आयुक्त से शिकायत की थी। उन्होंने आरोप लगाए थे कि उनकी ब्लड बैंक के नाम से लोग खून बेच रहे हैं, यह खून उनकी ब्लड बैंक से नहीं दिया गया। उन्होंने ब्लड का पाउच, लेबल और क्रॉस मैच व एडवर्स रिएक्शन फॉर्म के साथ शिकायत की थी। जांच में ब्लड बैंक द्वारा खून बेचने का खेल खुल गया। इसी ब्लड बैंक की एक ब्रांच पहले संजय प्लेस में थी, औषधि विभाग की टीम के छापे के कुछ समय बाद ब्लड बैंक बंद कर दी थी। नशेड़ियों से एक हजार में खून, तीन हजार में बिक्री
अभी भी लोग अपने मरीज के लिए रक्तदान करने से बचते हैं, ऐसे में वे दलाल के संपर्क में आ जाते हैं। 3500 से 5000 रुपये में रिप्लेसमेंट के बिना खून बेच दिया जाता है। सूत्रों के मुताबिक नशेड़ियों को एक हजार रुपये देकर खून निकाल लिया जाता है, ब्लड बैंक संचालक दो से ढाई हजार रुपये कमाते हैं। वहीं, दलाल 500 से दो हजार रुपये तक कमाई कर रहे हैं। कुछ मामलों में रक्तदान शिविर में आने वाले ब्लड को भी बेच दिया जाता है। हॉस्पिटल में भी निकाला जा रहा खून
जिले में 14 ब्लड बैंक पंजीकृत हैं, खून की मांग अधिक है। सूत्रों के मुताबिक कुछ हॉस्पिटल में भी खून निकालने का खेल चल रहा है। हॉस्पिटल में ही क्रॉस मैच कर मरीज को चढ़ा दिया जाता है।