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दो दिन बाद खत्म होगा चार साल का इंतजार

आगरा: जागरण फिल्म फेस्टिवल के लिए दर्शकों का चार साल का इंतजार सात सितंबर को खत्म हो जाएगा।

By JagranEdited By: Published: Tue, 04 Sep 2018 09:54 PM (IST)Updated: Tue, 04 Sep 2018 09:54 PM (IST)
दो दिन बाद खत्म होगा चार साल का इंतजार
दो दिन बाद खत्म होगा चार साल का इंतजार

आगरा: जागरण फिल्म फेस्टिवल के लिए दर्शकों का चार साल का इंतजार सात सितंबर को खत्म हो जाएगा। दर्शकों में अभी से इसके लिए बेकरारी है। रंगकर्मी भी उत्साहित हैं। जेएफएफ ने रंगकर्मियों में ऊर्जा भरने का काम किया है। मशहूर निर्माता-निर्देशक और कलाकारों के अनुभव उनके लिए मददगार साबित हुए हैं। सब को जेएफएफ के शुरू होने का बेसब्री से इंतजार है।

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बेहतरीन फिल्में देख पाना। संजीदा फिल्मकारों को सुनना, सिल्वर स्क्रीन से संबद्ध चुनिंदा सवालों पर संवाद करना जेएफएफ में ही मुमकिन है। 2013 में हुआ फिल्म फेस्टिवल सूखे शहर को कुछ दिनों के लिए ग्लैमर के रस में डुबो गया था।

अनिल शुक्ल, वरिष्ठ संस्कृतिकर्मी 2013 में हुए जागरण फिल्म फेस्टिवल में शिरकत की थी। चार साल बाद दोबारा इसका आयोजन होना अच्छी बात है। इससे रंगकर्मियों को नई सोच और दिशा मिलती है। फिल्म जगत के दिग्गज लोगों से मिलने का मौका मिलता है। जागरण की इस अच्छी पहल का स्वागत है।

सोमा जैन, रंगमंच कलाकार जागरण फिल्म फेस्टिवल ने शहर में एक मिसाल कायम की थी। अब चार साल बाद इसकी वापसी होना अच्छा है। इस प्रकार के आयोजन से रंगकर्मियों का उत्साह वर्धन होता है। 2013 में सौरभ शुक्ला से रूबरू हो कर बहुत कुछ सीखने को मिला था।

अलका सिंह, नटरांजलि थियेटर आ‌र्ट्स जागरण ने ही सबसे पहले शहर में फिल्म फेस्टिवल की शुरुआत की थी। इस तरह के आयोजन से युवा रंगकर्मियों का उत्साहवर्धन होता है। उम्मीद है इस बार भी मंझे हुए कलाकार फेस्टिवल में आएंगे और उनसे सीखने को मिलेगा।

अनिल जैन, रंगकर्मी ये फिल्में होंगी प्रदर्शित

सात सितंबर

शाम छह बजे - तू है मेरा संडे, निर्देशक मिलिंद (130 मिनट)

आठ सितंबर

- सुबह 10 बजे अंतरराष्ट्रीय लघु फिल्मों का प्रसारण होगा।

- 11:45 बजे - तर्पण, निर्देशक नीलम सिंह (104 मिनट),

1:45 बजे - अश्वत्थामा, निर्देशक पुष्पेंद्र (120 मिनट)

4 बजे - मुक्काबाज, निर्देशक अनुराग कश्यप (150 मिनट)

6:45 बजे - लम्हे, निर्देशक यश चोपड़ा

नौ सितंबर

सुबह 10:30 बजे - भारतीय लघु फिल्में दिखाई जाएंगी।

11:45 बजे- स्ट्रिक्टली प्रोफेशनल, निर्देशक निर्देशक सीन ब्राउन (88 मिनट)

1:15 बजे - नो माइंड, निर्देशक चिराग (74 मिनट)

3:30 बजे - पंचलाइट, निर्देशक प्रेम प्रकाश (126 मिनट)

6:15 बजे - पंचनम अनमिक्स्ड, निर्देशक ब्रह्मानंद सिंह (113 मिनट)

8:15 बजे इंग्लिश-विंग्लिश, निर्देशक गौरी (134 मिनट) बॉक्स

फ्री पास के लिए यहां करें संपर्क

जागरण फिल्म फेस्टिवल के फ्री पास के लिए दैनिक जागरण कार्यालय सिकंदरा व मोबाइल नंबर 7800998413, 9837877775 पर संपर्क कर सकते हैं। इसके साथ राधा रानी साड़ी सेंटर ट्रांस यमुना कॉलोनी बी ब्लॉक चौराहा, इन एंड आउट स्टोर कारगिल पेट्रोल पंप सिकंदरा-बोदला रोड, प्राइम आप्टीकल्स कैलाश टावर, संजय प्लेस, ग्रॉस रूट्स कम्युनिकेशन शॉप नंबर यूजी-3 कैलाशपुरी बसंत गार्डन के सामने, मदिया कटरा रोड और झा एडवरटाइजर्स डी-24 अंजुमन होटल के पीछे कमला नगर पर भी उपलब्ध रहेंगे। पास पहले आओ, पहले पाओ की तर्ज पर दिए जाएंगे। ताजनगरी और जेएफएफ के किस्से

2011 में आई थीं अभिनेत्री सारिका

2011 में अभिनेत्री सारिका जेएफएफ में आगरा आई थीं। यहां उनकी फिल्म परजानिया का प्रदर्शन होना था, लेकिन विवाद के चलते फिल्म प्रदर्शित नहीं हो पाई। तब सारिका ने मंच से कहा था कि ये जेएफएफ की खूबसूरती है या उनका अच्छी फिल्मों को दर्शकों तक पहुंचाने का कमिटमेंट है कि इतने सालों बाद 'परजानियां' देहरादून और आगरा के दर्शकों के सामने प्रदर्शित हो सकीं।

घंटों का सफर कर सीधे जेएफएफ में आई थीं रवीना

2011 में जेएफएफ में अभिनेत्री रवीना टंडन को आना था। उन्होंने कमिट कर दिया था लेकिन इस दौरान उनके श्वसुर अस्पताल में भर्ती हो गए। रवीना को रात में उनकी देखभाल की जिम्मेदारी मिली। रात भर अस्पताल में श्वसुर की देखभाल करने के बाद रवीना सुबह की फ्लाइट से दिल्ली आईं फिर सीधे आगरा पहुंची थीं। जेएफएफ का अपना सेशन किया। संवाद के बाद दिल्ली लौटीं और शाम की फ्लाइट से मुंबई पहुंचकर सीधे अस्पताल गई।

सुधीर मिश्रा फंस गए थे पानी में

2013 में जेएफएफ में मशहूर निर्देशक सुधीर मिश्रा को ताजनगरी आना था। जब वो दिल्ली से आगरा के लिए निकले तो मूसलाधार बारिश हो रही थी। किसी तरह आगरा पहुंचे और जेएफएफ में संवाद किया। संवाद के बाद वो दिल्ली के लिए वापस लौटने लगे तो भारी बारिश में फं स गए। आयोजकों से उनका संपर्क भी टूट गया। जब वो दिल्ली एयरपोर्ट नहीं पहुंचे तो उनकी तलाश शुरू हई। देर रात सुधीर आगरा में ही मिले, जहा वो पानी में डूबी अपनी कार के पास गीले कपड़ों में खड़े थे।


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