Jagannath Rath Yatra 2020 : सहस्त्रधारा से स्नान कर बीमार पड़े भगवान, जानिए Unlock में कैसे निभाई गई परंपरा
विश्राम कर रहे भगवान जगन्नाथ अब 23 जून को देंगे दर्शन। जगन्नाथ मंदिर में हुआ जगन्नाथ रथयात्रा महोत्सव।
आगरा, जेएनएन। भगवान जगन्नाथ उनके भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा को ज्येष्ठ पूर्णिमा पर सहस्त्रधारा स्नान करवाया तो दर्शन कर भक्तों के जयकारे से मंदिर परिसर गुंजायमान हो उठा। कोरोनाकाल में सरकार की गाइड लाइनों का पालन करते हुए आयोजित हुए उत्सव में ठाकुरजी को अधिक स्नान से भगवान पर शीत का प्रकोप से अस्वस्थ हो गए। अब वे विश्राम करने को चले गए। अब भगवान जगन्नाथ 23 जून को ही भक्तों को दर्शन देंगे। इसी दिन भगवान जगन्नाथ अपने भाई बलभद्र, बहन सुभद्रा के साथ रथ पर विराजमान होकर नगर भ्रमण को निकलेंगे। लेकिन इस बार रथयात्रा निकलने का रास्ता साफ जिला प्रशासन की अनुमति के बाद ही होगा।
वृंदावन में परिक्रमा मार्ग स्थित जगन्नाथ मंदिर में महंत ज्ञानप्रकाश पुरी के सान्निध्य में सेवायतों ने भगवान जगन्नाथ, भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा का महाभिषेक किया। महंत पुरीने दूध, दही, घी, शहर, शर्करा व सभी नदियों के जल, औषधि व जड़ी बूटियों, एकादश फलों के रस का सहस्त्र धाराओं के साथ महाभिषेक किया। पर्व का वर्णन करते हुए महंत पुरी ने बताया कि ब्रह्म पुराण में उल्लेख है कि ब्रह्माजी राजा इंद्रधुम्न से कहते हैं कि जो प्राणी ज्येष्ठ पूर्णिमा को भगवान जगन्नाथ के महाभिषेक का दर्शन करता है, उस प्राणी को किसी भी मां के गर्भ में नहीं जाना पड़ता। यानि की उस प्राणी की मुक्ति हो जाती है। स्नान के बाद भगवान जगन्नाथ गणेश रूप धारण कर विश्राम गृह में चले जाएंगे और भक्तों को दर्शन नहीं देंगे। इस अवधि में भगवान की सेवा आदि स्कंध पुराण के अनुसार विधि विधान पूर्वक चलेगी। कहते हैं कि अधिक स्नान के कारण भगवान अस्वस्थ हो जाते हैं और विश्राम करते हैं। इसके बाद 23 जून को आषाढ़ शुक्ल पक्ष की द्वितीया को अरुणोदय बेला में भगवान जगन्नाथ भक्तों को दर्शन देंगे और महाआरती होगी। इसी दिन शाम को तीन बजे से भगवान रथ में विराजमान होकर नगर भ्रमण को निकलेंगे।
अनुमति मिली तो ही निकलेगी रथयात्रा
मंदिर के महंत ज्ञानप्रकाश पुरी ने बताया चूंकि कोरोनाकाल के चलते लॉकडाउन चल रहा है। मंदिरों में भक्तों का प्रवेश शुरू नहीं हुआ है। रथयात्रा निकाले जाने के लिए जिला प्रशासन अनुमति देगा तो यात्रा निकाली जाएगी। अन्यथा मंदिर के अंदर ही उत्सव आयोजित होंगे।
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