International Drug Prohibition Day: युवा कर रहे नशे की काकटेल, एक से छह महीने में छूट रही लत
International Drug Prohibition Day नशा व मादक पदार्थ निषेध दिवस आज। आज के समय में युवा शराब गांजा के साथ ही नींद की टैबलेट और इंजेक्शन ले रहे हैं। एसएन मेडिकल कालेज और मानसिक स्वास्थ्य संस्थान एवं चिकित्सालय में मरीजों की नशे की लत छूट रही है।
आगरा, जागरण संवाददाता। युवा नशे की काकटेल कर रहे हैं। शराब, गांजा के साथ ही नींद की टैबलेट और इंजेक्शन ले रहे हैं। इससे उनकी पढ़ाई, नौकरी और कारोबार प्रभावित हो रहा है। एसएन मेडिकल कालेज और मानसिक स्वास्थ्य संस्थान एवं चिकित्सालय में इलाज करा रहे मरीजों की एक से छह महीने में नशे की लत छूट रही है। रविवार को नशा व मादक पदार्थ निषेध दिवस पर नशा न करने के लिए प्रेरित किया जाएगा।
एसएन मेडिकल कालेज और मानसिक स्वास्थ्य संस्थान में हर रोज चार से पांच युवा नशे की लत की समस्या के साथ पहुंच रहे हैं। इनकी काउंसिलिंग की जा रही है। इसमें सामने आ रहा है कि कालेज और अपने साथियों के साथ पार्टी में पहले गांजा, सिगरेट और शराब पीना शुरू किया। कुछ दिन बाद इनके सेवन से नशा कम होने पर नींद की टैबलेट, इंजेक्शन और कफ सीरप पीना शुरू कर दिया। नशे की काकटेल कई महीने तक करने के बाद उसकी मात्रा बढ़ाने लगे।
नशे की लत लगने से पढ़ाई छोड़ दी तो कुछ ने नौकरी पर जाना बंद कर दिया। कई का व्यापार भी घाटे में जाने लगा। मगर, जो लोग नशा छोड़ना चाहते हैं, उनकी काउंसिलिंग की जाती है। इसके लिए एक से 50 सिटिंग होती हैं, दवाएं दी जाती हैं और एक से छह महीने में नशे की लत छूट जाती है।
केस वन
दो बार बीटेक की पढ़ाई छोड़ चुके 28 वर्ष का युवक नशे की काकटेल करता है। एसएन के नशा मुक्ति केंद्र में काउंसिलिंग में सामने आया है कि वह शराब के साथ कई तरह की टैबलेट और इंजेक्शन लेता है।
केस टू
30 वर्ष के व्यापारी को शराब के साथ ही इंजेक्शन से नशा करने की लत लग गई। उसे दो दिन एसएन में भर्ती किया गया। इसके बाद घर भेज दिया गया, वे दवाएं ले रहे हैं और लत छूट गई है।
इस तरह छूटती है नशे की लत
पहला चरण काउंसिलिंग में पहले नशा छोड़ने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। दूसरे चरण दवाएं देकर डीटाक्सीफिकेशन किया जाता है। इससे 72 घंटे से चार दिन में शरीर से नशा खत्म हो जाता है और नशा छोड़ने पर शरीर में कंपन्न, व्यवहार में बदलाव सहित अन्य तरह की समस्याएं भी समाप्त हो जाती हैं। तीसरा चरण इसमें मेंटेनेंस थैरेपी की जाती है, इसमें दवाएं दी जाती हैं। ये दवाएं घर पर ले सकते हैं।
बांग्लादेश सहित 11 राज्यों में ताजनगरी से सप्लाई हो रही नशीली दवाएं
नशीली दवाओं की अवैध मंडी बन चुकी ताजनगरी में बांग्लादेश सहित 11 राज्यों में नारकोटिक्स की दवाएं सप्लाई की जा रही हैं। इसमें नींद की दवा, इंजेक्शन कफ सीरप दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान, पंजाब सहित कई राज्यों में सप्लाई किए जाते हैं। पिछले तीन सालों में अरोड़ा बंधु, जयपुरिया गैंग सहित नारकोटिक्स ब्यूरो की टीम 250 करोड़ की नशीली दवाएं जब्त कर चुकी है।
युवा पहले गांजा और सिगरेट पीते हैं, इसके बाद नशे की काकटेल करने लग जाते हैं। स्वजनों को नजर रखनी चाहिए, ये लत छुड़ाई जा सकती है। इसलिए इलाज जरूर कराएं।
डा. विशाल सिन्हा अध्यक्ष मनोचिकित्सा विभाग एसएन मेडिकल कालेज
युवाओं द्वारा शराब से ज्यादा नारकोटिक्स की दवाओं का सेवन किया जा रहा है। इससे जल्दी लत लग जाती है और किसी काम में मन नहीं लगता है। लत छूट जाती है।
डा. दिनेश राठौर, प्रमुख अधीक्षक मानसिक स्वास्थ्य संस्थान एवं चिकित्सालय