100 years of Taj: विश्व धरोहर बनने के बाद ताजमहल ने दुनिया भर में दी भारतीय स्थापत्य कला को पहचान
100 years of Taj यूनेस्को ने वर्ष 1983 में ताजमहल को घोषित किया था विश्व धरोहर। वर्ष 2007 में सेवन वंडर्स की आनलाइन वोटिंग में मिला पहला स्थान। 2020 में पर्यटन कोरोना की भेंट चढ़ गया पर्यटन। पर्यटन कारोबार पर आश्रित हैं पांच लाख लोग।
आगरा, जागरण संवाददाता। धवल संगमरमरी सौंदर्य का सरताज यूं तो हमेशा से ही पर्यटकों की पसंद रहा है, लेकिन विश्व धरोहर घोषित होने के बाद इसे दुनिया में मुकाम मिला। सेवन वंडर्स में पहला स्थान मिलने के बाद तो इसके देसी-विदेशी कद्रदान बढ़ते चले गए। ताजमहल के दुनिया में बढ़ते रुतबे के साथ आगरा का पर्यटन कारोबार भी छलांग लगाता रहा।
ताजमहल को आगरा किला के साथ यूनेस्को द्वारा नौ दिसंबर, 1983 को विश्व धरोहर स्मारक घोषित किया गया था। विश्व धरोहर घोषित होने से इसे दुनिया में जाना-पहचाना ही नहीं गया, इसके संरक्षण व देखरेख पर भी अधिक ध्यान देना शुरू कर दिया गया। न्यू सेवन वंडर्स संस्था द्वारा दुनिया के सात नए आश्चर्यों के चयन को कराई गई वोटिंग में सात जुलाई, 2007 को जब ताजमहल को पहला स्थान मिला, तो आगरा के साथ पूरा देश झूम उठा था। ताजमहल के दुनियाभर में बढ़ते कद्रदानों के साथ ही आगरा में पर्यटन उद्योग भी पंख पसारता चला गया। वर्ष 2020 में पर्यटन कोरोना की भेंट चढ़ गया, लेकिन वर्ष 2019 में ताजमहल देखने 49.5 लाख भारतीय और 8.49 लाख विदेशी पर्यटक आगरा आए थे।
पांच लाख लाेग हैं आश्रित
-आगरा में पर्यटन व हैंडीक्राफ्ट कारोबार पर करीब पांच लाख लोग आश्रित हैं।
-आगरा में पर्यटकों पर आश्रित पर्यटन व हैंडीक्राफ्ट कारोबार करीब 7500 करोड़ रुपये वार्षिक का है।
-आगरा में छोटे-बड़े करीब 500 होटल हैं, जिनमें डेढ़ दर्जन से अधिक सितारा होटल शामिल हैं।
-100 से अधिक पेइंग गेस्ट हाउस और 500 से अधिक रेस्टोरेंट हैं।
-1200 से अधिक गाइड, 525 से अधिक लाइसेंसी फोटोग्राफर हैं।
-150 से अधिक टूर आपरेटर और करीब इतने ही ट्रैवल एजेंसी संचालक हैं।
पिछले कुछ वर्षों में ताजमहल देखने आए पर्यटक
वर्ष, भारतीय, विदेशी
2015, 58.42 लाख, 6.39 लाख
2016, 55.47 लाख, 6.66 लाख
2017, 56.04 लाख, 8.57 लाख
2018, 59.78 लाख, 9.08 लाख
2019, 49.45 लाख, 8.49 लाख
पहले निश्चिंत होकर देखते थे ताजमहल
नामनेर निवासी गाइड वासुदेव तिवारी (82) का ताजमहल से करीब 60 वर्षों का नाता है। उन्होंने वर्ष 1962 में ताजमहल में गाइडिंग शुरू की थी। उनके सामने ही वर्ष 1966 में पहली बार ताजमहल पर 20 पैसे का टिकट लगा। वासुदेव तिवारी बताते हैं कि उस समय पर्यटकों की संख्या कम रहती थी और वो निश्चिंत होकर ताजमहल देखा करते थे। आज बंदिशें हैं जिससे पुराना सुकून नहीं मिलता। अच्छी बात यह है कि नई पीढ़ी घूमना पसंद करती है। करीब 10 वर्ष पूर्व गाइडिंग बंद कर चुके तिवारी बताते हैं कि पहले एएसआइ में गार्डन, केमिकल ब्रांच अलग नहीं होते थे। इन विभागों के अलग होने से स्मारक का मेंटीनेंस बेहतर हुआ है। कोरोना काल में सबसे अधिक प्रभावित पर्यटन उद्योग की ओर सरकार को ध्यान देना चाहिए।
ऐसी खूबसूरती किसी और स्मारक में नहीं
पदमश्री केके मोहम्मद (एएसआइ से निदेशक पद से सेवानिवृत्त और आगरा में अधीक्षण पुरातत्वविद के पद पर तैनात रहे) बताते हैं कि ताजमहल की सबसे अधिक खूबसूरती उसे चारबाग पद्धति पर बने अन्य मकबरों के समान मध्य में ना बनाकर यमुना किनारे पर बनाया जाना है। चारबाग के मध्य में बने मकबरे आगे आैर पीछे से एकसमान नजर आते हैं, जबकि ताजमहल के बैकड्राप में खुला अासमान होने से दिन में कई बार इसके मूड़ बदलते हुए नजर आते हैं। बारिश होने से पूर्व जब बादल छाए हों तो ताजमहल का दृश्य मुझे सबसे मनोरम लगता है। ऐसा चेंजिंग मूड़ दुनिया में किसी और स्मारक में नजर नहीं आता है। यह बात मैंने परवेज मुशर्रफ को विजिट करते समय बताई थी।
पच्चीकारी के कारीगरों को संरक्षण दे सरकार
आगरा आने वाले विदेशी पर्यटक ताजमहल के माडल यादगार के रूप में अपने साथ ले जाना नहीं भूलते हैं। आगरा में गोकुलपुरा, ताजगंज में ताजमहल के छोटे से बड़े माडल बनाए जाते हैं। गोकुलपुरा निवासी चिरंजीलाल (76) बताते हैं कि वो पिछले 60 वर्षों से ताजमहल के संगमरमर, अलाबास्टर के माडल बना रहे हैं। उनकी उम्र ताजमहल बनाते हुए ही बीती है। ताजमहल के तीन इंच से लेकर दो से तीन फुट तक के माडल उन्होंने बनाए हैं। माडल बनाने के बाद उन्हें आगरा के शोरूम को देते रहे हैं। पहले माडल खूब बिका करते थे, लेकिन कोरोना काल में कोई काम-धंधा नहीं है। होली से खाली बैठे हैं। सरकार को पच्चीकारी का काम करने वाले कारीगरों को प्रश्रय देना चाहिए, जिससे यह कला सलामत रहे।
गौरवपूर्ण हैं संरक्षण के 100 वर्ष
यह बहुत गौरव की बात है कि ताजमहल हमारे आगरा में है। यह आगरा की अर्थव्यवस्था और विदेशी मुद्रा अर्जन का प्रमुख माध्यम है। सरकार को इसे दुधारू गाय न मानकर पर्यटकों को सहूलियतें व सुविधाएं उपलब्ध कराने पर ध्यान देना चाहिए।
-राकेश चौहान, अध्यक्ष होटल एंड रेस्टोरेंट एसोसिएशन
ताजमहल के संरक्षित स्मारक घोषित होने के बाद संरक्षण से इसकी लाइफ बढ़ गई। यहां होने वाले संरक्षण कार्य को दुनियाभर से आने वाले पर्यटक सराहते हैं। यहां सभी मानकों का पालन करते हुए संरक्षण किया जाता है, जो काफी सराहनीय है।
-नितिन सिंह, गाइड
ताजमहल के संरक्षित स्मारक घोषित होने के 100 वर्ष पूरे होने पर अकेला ताजमहल पर्यटन, उद्योग व व्यापार में जान फूंकने में सक्षम है। भारत की स्थापत्य कला को ताजमहल के माध्यम से वैश्विक समुदाय ने पहली बार अच्छी तरह समझा।
-राजीव सक्सेना, उपाध्यक्ष टूरिज्म गिल्ड आफ आगरा
ताजमहल देखने आने वाले पर्यटकों पर हैंडीक्राफ्ट कारोबार निर्भर है। ताजमहल के संरक्षित स्मारक घोषित होने के 100 वर्ष पूरा होना निश्चित ही शहर के लिए गौरव की बात है। ताजमहल आगरा नहीं, बल्कि देश के पर्यटन की तस्वीर है।
-प्रहलाद अग्रवाल, अध्यक्ष टूरिस्ट वेलफेयर चैंबर