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World Heritage Week: ताज के साये में बिसरा दी गईं ये एतिहासिक धरोहरें Agra News

ताज आगरा किला व फतेहपुर सीकरी के आगे पिछड़े अन्य स्मारक। कृत्रिम प्रकाश में रोशन करने पर बन सकते हैं पर्यटकों के लिए आकर्षण।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Fri, 22 Nov 2019 02:36 PM (IST)Updated: Fri, 22 Nov 2019 02:36 PM (IST)
World Heritage Week: ताज के साये में बिसरा दी गईं ये एतिहासिक धरोहरें Agra News

आगरा, जागरण संवाददाता। स्मारकों के शहर आगरा में ऐतिहासिक आकर्षण की कमी नहीं। ताज, आगरा किला और फतेहपुर सीकरी के साथ लंबी फेहरिस्त है। कुछ को छोड़ दें तो अधिकांश का हाल ठीक नहीं। जिम्मेदार विभागों ने ही उन्हें बिसरा दिया है। किसी पर ताला लटका है, तो कहीं पहुंचने का उचित मार्ग भी नहीं है।

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भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) के आगरा सर्किल में छोटे-बड़े 260 से अधिक संरक्षित स्मारक व स्थल हैं। इनमें सर्वाधिक आगरा में हैं। विश्व धरोहर स्थलों ताजमहल, आगरा किला, फतेहपुर सीकरी के अलावा मेहताब बाग, सिकंदरा, एत्माद्दौला को छोड़ दें तो अन्य स्मारकों में बहुत कम पर्यटक पहुंचते हैं। ऐसे स्मारकों में मरियम टॉम्ब, रोमन कैथोलिक सिमिट्री चीनी का रोजा, ग्यारह सीढ़ी, चौबुर्जी, ताल फिरोज खां, सलावत खां का मकबरा, सादिक खां का मकबरा, पत्थर का घोड़ा, 64 खंभा, 32 खंभा, झुनझुन कटोरा, जगनेर फोर्ट आदि हैं। यहां न के बराबर पर्यटक पहुंचते हैं। एएसआइ ने अपनी वेबसाइट पर जरूर इनके बारे में जानकारी अपलोड कर रखी है। आगरा में कम होते रात्रि प्रवास को बढ़ावा देने को अगर इन स्मारकों को दिल्ली की तरह कृत्रिम प्रकाश में रोशन किया जाए तो यह नया आकर्षण बन सकते हैं। इससे आगरा में दम तोड़ते पर्यटन उद्योग को भी राहत मिल सकती है।

दीवान जी बेगम का मकबरा

ताजगंज के बिल्लोचपुरा में दीवान जी बेगम का मकबरा है। यह मुमताज महल की मां थीं। इस स्मारक तक पहुंचने का उचित रास्ता ही नहीं है। आसपास अतिक्रमण होते जा रहे हैं।

चौबुर्जी

यमुना पार यमुना ब्रिज स्टेशन रोड पर चौबुर्जी है। वर्ष 1530 में बाबर की मृत्यु होने के बाद उसके शव को कुछ समय के लिए यहां दफन किया गया था। बाद में उसके शव को काबुल ले जाया गया। यहां गेट पर ताला लटका रहता है और असामाजिक तत्व स्मारक में घूमते रहते हैं।

हुमायूं की मस्जिद

मेहताब बाग के नजदीक हुमायूं की मस्जिद है। ये मस्जिद हुमायूं के आदेश पर उसके राज्याभिषेक के वर्ष 1530 ईसवीं में बनी थी। ये पूर्ववर्ती लोदी शैली में बनी हुई है। मस्जिद में फारसी में एक शिलालेख लगा है। इस पर लिखा है कि इसे बाबर के मित्र शेख जेन ख्वाफी ने अपने खर्चे पर बनवाया था। यहां पर्यटक नहीं पहुंचते। मार्ग में कहीं भी इसके बारे में जानकारी देने का बोर्ड नहीं लगा है।

ग्यारह सीढ़ी

यमुना के किनारे पर बनी हुई है। यह एक शिला में बनी सीढिय़ां हैं। हुमायूं की मस्जिद में लगे सूचना पट के अनुसार ये और इसके पास बनी बाबड़ी हुमायूं की ज्योतिषशाला का भाग हैं। इस बारे में स्मारक पर कोई सूचना बोर्ड नहीं लगा है।

सुल्तान परवेज का मकबरा

चीनी का रोजा और एत्माद्दौला के बीच स्थित काले रंग का मकबरा सुल्तान परवेज का मकबरा है। ये भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा संरक्षित नहीं है, जिसके चलते यह अपने अस्तित्व को बचाने की जंग लड़ रहा है।

चीनी का रोजा

चीनी का रोजा शाहजहां के मंत्री अल्लामा अफजल खां शुक्रुल्ला खां शिराजी का मकबरा है। इसमें काशीकारी का काम था। नीले रंग के टाइलों की वजह से यह चमकता था, लेकिन अब उसके केवल चिह्न नजर आते हैं।

पर्यटन को बढ़ाने को होने चाहिए इंतजाम

आगरा में पर्यटक सुबह आकर शाम को चले जाते हैं। रात्रि प्रवास को बढ़ावा देने व अन्य स्मारकों तक उन्हें पहुंचाने को जरूरी है कि स्मारकों का उचित प्रचार-प्रसार किया जाए।

-शमसुद्दीन, अध्यक्ष एप्रूव्ड टूरिस्ट गाइड एसोसिएशन

दिल्ली की तरह अगर यहां लेसर नॉन मॉन्यूमेंट्स को रात में कृत्रिम प्रकाश में रोशन किया जाए तो पर्यटकों के लिए नए आकर्षण बन सकते हैं। इससे रात्रि प्रवास को बढ़ावा मिलेगा।

-राजेश शर्मा, सचिव, टूरिज्म गिल्ड ऑफ आगरा


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