केदारनाथ यात्रा में आगरा के पांच साल के मासूम की हत्या, गले में लटके पर्स पर ललचा गया था नेपाली पिट्ठू
आगरा के ट्रांस यमुना कालोनी निवासी दंपती गए थे केदारनाथ धाम दर्शन को। मासूम का रूद्र प्रयाग में अंतिम संस्कार कर लौटे दंपती। पिट्ठू का नहीं लगा सुराग। चाय वाले ने देखा था मासूम को रोते हुए। बचाने के लिए पहुंचा तब तक पिट्ठू बच्चे को लेकर निकल भागा।
आगरा, जागरण संवाददाता। केदारनाथ धाम दर्शन को माता-पिता के साथ गए पांच साल के मासूम शिवाय के गले में लटका रुपयों से भरा पर्स उसकी मौत का सबब बन गया। स्वजन को छानबीन के दौरान पता चला है कि शिवाय को कंडी में लेकर जाने वाले नेपाली पिट्ठू ने उसके गले में लटका पर्स छीनने का प्रयास किया था। जिससे आशंका है कि रुपये के लालच में पिट्ठू ने मासूम को सौ मीटर गहरी खाई में फेंक दिया। रूद्र प्रयाग में पुत्र का अंतिम संस्कार करने के बाद दंपती रविवार की देर रात घर पहुंचे।
ट्रांस यमुना कालोनी फेस एक निवासी विजय गुप्ता परिवार के साथ पिछले मंगलवार को हरिद्वार एक भंडारे में शामिल होने गए थे। वहां से शुक्रवार को वह केदारनाथ धाम दर्शन के लिए निकल गए। गौरी कुंड से आते समय दंपती ने अपने पांच साल के बेटे शिवाय को पिट्ठू की कंडी में बैठा दिया था। वह उनसे आगे निकल गया, काफी तलाश के बावजूद नहीं मिला। खाेजबीन के बाद पुलिस ने देर रात खबर दी तो पुत्र शिवाय का शव उन्हें गहरी खाई में मिला।
शिवाय के गले में स्वजन ने अपना रुपयों से भरा पर्स भी लटका दिया था। स्वजन ने मामले में पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराई है। उन्होंने अपने स्तर से मामले की छानबीन की है। उनकी प्रारंभिक छानबीन में सामने आया है कि पिट्ठू ने शिवाय के गले से पर्स निकालने का प्रयास किया था। जिस पर मासूम रोने लगा था।
यह देखकर पास ही एक चायवाला उधर आने लगा तो पिट्ठू मासूम को लेकर तेजी से निकल गया था। मासूम के गले में पर्स नहीं मिला, वहीं पिट्ठू भी गायब था। जिसके चलते स्वजन को आशंका है कि मासूम की जान पर्स के चलते चली गई। बता दें परिवार ने इस बच्चे को छह माह की उम्र में गोद लिया था।
त्रासदी के वक्त भी भूमिका थी संदिग्ध
केदारनाथ में त्रासदी के वक्त नेपाली पिट्ठुओं की भूमिका संदिग्ध रही थी। त्रासदी से बचकर लौटे प्रत्यक्षदर्शियाें का कहना था कि मुसीबत के वक्त नेपाली पिट्ठू लूट खसोट में लग गए थे। मृतकों और घायलाें के जेवर निकालकर और रुपये छीनकर ये लोग पहाड़ी रास्तों से होकर भाग निकले थे।