Move to Jagran APP

Water Crisis:...हाल यही रहा तो कुछ साल बाद एक गिलास पानी के लिए भी नहीं पूछेंगे लोग

आगरा जोन में हर साल बढ़ रही है पानी की किल्‍लत। भू-जल का अत्यधिक दोहन एक और बड़ी चिंता है। रिपोर्ट कहती है कि देश में हर साल पानी की मात्रा 0.4 मीटर घट रही है। आगरा जोन में 10 साल में पानी का क्षेत्रफल 0.80-1.80 वर्ग किमी घटा है।

By Prateek GuptaEdited By: Published: Sat, 23 Oct 2021 08:05 AM (IST)Updated: Sat, 23 Oct 2021 08:05 AM (IST)
Water Crisis:...हाल यही रहा तो कुछ साल बाद एक गिलास पानी के लिए भी नहीं पूछेंगे लोग
आगरा के खेरागढ़ क्षेत्र में कई किलोमीटर दूर से पानी भरकर लाते बच्‍चे।

आगरा, संजीव जैन। बहुत साल पहले लिखा गया बशीर बद्र का एक शेर आज भी लोकप्रिय है, "ये अजीब मिजाज का शहर है, कोई तपाक से हाथ भी नहीं मिलाएगा, जरा फासले से मिला करो..." अगर इसे आगरा की मौजूदा हालत से जोड़ें तो कह सकते हैं कि "ये अजीब मिजाज का शहर है, कोई पानी का एक गिलास भी नहीं पिलायेगा..." आगरा में पानी खत्म होने के कगार पर है। अब ये शहर हर रोज पानी की चिंता के साथ जागता और सोता है। शहर में 35 फीसद ऐसा क्षेत्र है जहां पानी की पाइप लाइन नही हैंं। जहां पाइप लाइन ब‍िछी है, वहां औसतन रोज आठ से दस फीसद पाइप लाइन लीकेज होती रहती है, ज‍िस कारण शहर में भोर से लेकर देर रात जिधर जाएंगे, वहां बाल्टी, घड़े और केन लिए लोग नजर आएंगे और जगह-जगह खड़े पानी के टैंकर। कमोवेश यही हालत पूरे आगरा जोन का है। लगातार पानी का क्षेत्रफल भी घट रहा है।

loksabha election banner

नेशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर के सहयोग से हाइड्रोलॉजिकल माडल और वाटर बैलेंस का इस्तेमाल कर सेंट्रल वाटर कमीशन (सीडब्ल्यूसी) ने “रिअसेसमेंट ऑफ वाटर एवलेबिलिटी ऑफ वाटर बेसिन इन इंडिया यूजिंग स्पेस इनपुट्स” नाम की रिपोर्ट जारी की थी। इस रिपोर्ट से स्पष्ट पता चलता है कि आगरा जोन समेत पूरा देश जल संकट के दौर से गुजर रहा है। भू-जल का अत्यधिक दोहन एक और बड़ी चिंता है। रिपोर्ट कहती है कि इसके कारण देश में हर साल पानी की मात्रा 0.4 मीटर घट रही है। आगरा जोन में वर्ष 2011 की तुलना में वर्ष 2021 में पानी का क्षेत्रफल 0.80-1.80 वर्ग किमी घटा है। आगरा जोन में कुल भूगर्भ जल उपलब्धता 522533.46 हेक्टेयर मीटर है। वार्षिक दोहन 521462.7 हेक्टेयर मीटर, भविष्य में सिंचाई के लिए भूगर्भ जल की उपलब्धता 83953.31 हेक्टेयर मीटर व भूगर्भ जल विकास दर 84.25429 फीसद है। आगरा के बरौली अहीर, जगनेर व खेरागढ़, फीरोजाबाद के अरांव, मैनपुरी के बरनाहल, मथुरा के फरह, कासगंज के गंजडुडवारा, सोरों, एटा का जलेसर, हाथरस का सादाबाद विकास खंड क्षेत्र भी डार्क श्रेणी में पहुंचने के कगार पर है। पहले से ही आगरा जोन के 77 व‍िकास खंड में से 33 डार्क श्रेणी में है। हाथरस के छह व‍िकास खंड को छोडकर अन्‍य विकास खंड भी इसी श्रेणी में शामिल होने के कगार पर हैं। इन विकास खंड में कहीं पर 127.13 फीसद तो कहींं 126.36 फीसद जल का दोहन हो रहा है। सबसे अधिक जल स्तर गिरावट 70 सेमी० प्रतिवर्ष विकास खण्ड-बरौली अहीर में हो रही है।

ताजनगरी में 48 स्थानों पर लगाए गए पीजोमीटर की रिपोर्ट के मुताबिक 97 फीसद स्थानों पर भूजल में गिरावट दर्ज की गई है। प्री मानसून एवं पोस्ट मानसून के पैमाने पर भी भूजल में ज्यादा सुधार नहीं हुआ। विशेषज्ञों की मानें तो बारिश के बाद भूजल में कम से कम दो से तीन मीटर का सुधार होना चाहिए, जबकि आगरा शहर में ही नहीं ग्रामीण क्षेत्रों में भी गिरावट मिली। शहरी क्षेत्र में सड़क, फुटपाथ, फर्श, एवं पार्क तक कंकरीट बिछाने से 90 फीसद वर्षाजल व्यर्थ बह जाता है। रेनवाटर हारवेस्टिंग तकनीक के जरिए पानी बचाने पर भी अमल नहीं किया गया।

शहर में इन इलाकों में आई 10 साल में इतनी गिरावट

कमलानगर 42 मीटर

मंडी समिति 11.45 मीटर

नगला परसोती 9.7 मीटर

एफसीआइ गोदाम 11.45 मीटर

कैंट 8 मीटर

डीडी टेलीकॉम 22.55 मीटर

दहतोरा 22.10 मीटर

टेढ़ीबगिया 9.56 मीटर

विजय नगर 6.77 मीटर

पीडब्लूडी कॉलोनी 6.41 मीटर

कालिंदी बिहार 11.66 मीटर

राजकीय नलकूप कॉलोनी 3.43 मीटर

टीपी नगर 13.11 मीटर

बलकेश्वर 18.25 मीटर

अमरपुरा 15.23 मीटर

कनकपुरा 11.34 मीटर

क्या कहते हैं विशेषज्ञ

आगरा में हर वर्ष औसतन 614 मिलीमीटर बारिश हो रही है, जिसका 90 फीसद पानी बहकर नालों में पहुंचने से धरती प्यासी रह जाती है। पेड़ पौधों की कम होती संख्या भी मिट्टी को भुरभुरा बना देती है। सभी बड़े संस्थानों और घरों में रेनवाटर हारवेस्टिंग लगाकर जल बचाने की जरूरत है। कई क्षेत्रों में ऑटोमेटिक डेटा एनॉलागर लगाए जा रहे हैं, जिससे रोजाना भूजल स्तर की जानकारी आनलाइन मिल सकेगी।

-सुश्री नम्रता जयसवाल, सहायक भू-भौतिकविद, भूगर्भ जल विभाग। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.