Danger for Nature: नहीं थमा वायु प्रदूषण तो सर्दियां साबित होंगी ताजनगरी के लिए घातक
Danger for Nature दिसंबर व जनवरी में होती है सबसे खराब वायु गुणवत्ता। कोरोना काल में लोगों को हो सकती है अधिक परेशानियां। इस बार सर्दियों में वायु प्रदूषण बढ़ा तो काेरोना के चलते उसका असर और घातक हो सकता है।
आगरा, निर्लोष कुमार। दुनिया के सात अजूबों में शुमार ताजमहल को वायु प्रदूषण से बचाने को 30 दिसंबर, 1996 के सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर ताज ट्रेपेजियम जोन (टीटीजेड) बनने के बाद दो दशक से अधिक के समय में जो नहीं हुआ, वो लाॅक डाउन में हो गया। लाॅक डाउन में ताजनगरी की वायु गुणवत्ता बेहतर हो गई। अगस्त तक पाबंदियों और बारिश के संयोग से सब कुछ बेहतर रहा। सितंबर में एक बार फिर वायु प्रदूषण बढ़ा। अक्टूबर शुरू हो चुका है और सर्दियों का मौसम शुरू होने जा रहा है। पिछली सर्दियों की यादें जेहन में अब भी ताजा हैं, जब दिसंबर-जनवरी में वायु गुणवत्ता खराब और बहुत खराब स्थिति में पहुंच गई थी। इस बार सर्दियों में वायु प्रदूषण बढ़ा तो काेरोना के चलते उसका असर और घातक हो सकता है।
आगरा में वायु गुणवत्ता दिसंबर व जनवरी के महीनों में सबसे अधिक खराब रहती है। हवा नहीं चलने से प्रदूषक तत्व फिजां में स्थिर हो जाते हैं और हवा में प्रदूषण का जहर घोलते रहते हैं। दिसंबर, 2019 में एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआइ) 131-489 के बीच और जनवरी, 2020 में एक्यूआइ 112-428 के बीच में रहा था। यह स्थिति मानव स्वास्थ्य के लिए अत्यंत हानिकारक है और इस स्थिति के अधिक समय तक रहने पर स्वस्थ मनुष्य भी अस्वस्थ हो सकते हैं। कोरोना काल में मार्च से अगस्त तक लाॅक डाउन, पाबंदियों के चलते आगरा में वायु गुणवत्ता अधिकांश दिन अच्छी व संतोषजनक स्थिति में बनी रही, लेकिन सितंबर में यह खराब और मध्यम स्थिति में पहुंच गई। अब कोरोना काल में वायु प्रदूषण को नहीं थामा गया तो उसका असर अत्यंत घातक हो सकता है।
आइआइटी कानपुर ने बताईं प्रदूषण की वजह
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी), कानपुर द्वारा ताजनगरी में की गई सोर्स अपोर्शनमेंट स्टडी में ताजमहल पर गर्मी के मौसम में वायु प्रदूषण के कारणों को चिह्नित किया गया है। अध्ययन में पीएम2.5 बढ़ने के कारणों में कोयला 35 फीसद, वाहन 19 फीसद, लकड़ी-बायोमास 18 फीसद मिले। पीएम10 बढ़ने के कारणों में मिट्टी व सड़क की धूल 39 फीसद, कोयला जलाना 34 फीसद, लकड़ी-बायोमास 12 फीसद आैर वाहनों का प्रदूषण 12 फीसद रहा।
वायु प्रदूषण के मुख्य कारण
-प्लास्टिक, पेपर और म्यूनिसिपल सॉलिड वेस्ट का जलना।
-यमुना में पानी नहीं होने से उसकी तलहटी से हवा चलने पर धूल कण उड़ना।
-फैक्ट्रियों में प्रतिबंध के बावजूद कोयला जलना।
-निर्माण कार्यों में मानकों की अनदेखी किया जाना।
-निर्माण सामग्री की ढुलाई में मानकों की अनदेखी करना।
-बायोमास जलाया जाना।
-वाहनों की अच्छी सर्विस नहीं कराना।
-वाहनों में मिलावटी ईंधन का प्रयोग किया जाना।
-किसानों द्वारा डीजल पंपसेट में कैरोसिन का इस्तेमाल किया जाना।
-सड़कें खराब होना व उनकी उचित सफाई नहीं होना।
एक्यूआइ की स्थिति
माह, एक्यूआइ की रेंज
दिसंबर 2019, 131-489
जनवरी 2020, 112-428
मॉनीटरिंग स्टेशनों पर स्थिति (2019-2020)
ताजमहल
माह, एसओटू, एनओटू, पीएम2.5, पीएम10, एसपीएम
अक्टूबर, 6, 23, 115, 158, 284
नवंबर, 6, 29, 195, 231, 374
दिसंबर, 7, 26, 197, 238, 322
जनवरी, 7, 22, 159, 196, 257
फरवरी, 5, 22, 107, 156, 239
मार्च, 4, 19, 65, 105, 193
जून, 5, 9, 32, 82, 210
जुलाई, 4, 9, 27, 49, 104
अगस्त, 4, 11, 24, 26, 54
एत्माद्दौला
माह, एसओटू, एनओटू, पीएम2.5, पीएम10, एसपीएम
अक्टूबर, 4, 35, 134, 146, 303
नवंबर, 9, 44, 227, 278, 468
दिसंबर, 5, 38, 233, 283, 379
जनवरी, 8, 32, -, 188, 273
फरवरी, 5, 30, -, 148, 289
मार्च, 4, 22, -, 106, 219
जून, 4, 11, 35, 117, 326
जुलाई, 5, 15, 33, 52, 182
अगस्त, 4, 14, 26, 48, 112
रामबाग
माह, एसओटू, एनओटू, पीएम2.5, पीएम10, एसपीएम
अक्टूबर, 4, 22, 97, 131, 258
नवंबर, 4, 27, -, 247, 411
दिसंबर, 8, 25, 216, 228, 309
जनवरी, 5, 21, 155, 190, 260
फरवरी, 4, 19, 129, 149, 270
मार्च, 5, 17, -, 109, 205
जून, 4, 13, -, 116, 175
जुलाई, 4, 15, 40, 65, 112
अगस्त, 4, 21, 27, 33, 86
नुनिहाई
माह, एसओटू, एनओटू, पीएम2.5, पीएम10, एसपीएम
अक्टूबर, 6, 40, 176, 264, 532
नवंबर, 5, 39, 241, 284, 568
दिसंबर, 9, 34, 233, 298, 448
जनवरी, 10, 36, -, 232, 372
फरवरी, 4, 44, 102, 185, 372
मार्च, 5, 19, 66, 103, 203
जून, 4, 13, 41, 104, 329
जुलाई, 4, 11, 31, 81, 189
अगस्त, 5, 16, 34, 74, 131
वायु गुणवत्ता की वार्षिक स्थिति
ताजमहल
वर्ष, एसओटू, एनओटू, पीएम2.5, पीएम10, एसपीएम
2013, 4, 17, 96, 153, 275
2014, 4, 15, 92, 152, 277
2015, 4, 16, 85, 166, 298
2016, 4, 18, 95, 168, 315
2017, 4, 17, 103, 168, 287
2018, 5, 19, 93, 180, 304
2019, 5, 19, 96, 148, 267
एत्माद्दौला
वर्ष, एसओटू, एनओटू, पीएम2.5, पीएम10, एसपीएम
2013, 4, 23, -, 174, 352
2014, 4, 21, -, 190, 340
2015, 4, 25, -, 186, 348
2016, 4, 25, 95, 197, 376
2017, 5, 23, 115, 180, 341
2018, 5, 23, 92, 211, 405
2019, 5, 27, 124, 155, 323
रामबाग
वर्ष, एसओटू, एनओटू, पीएम2.5, पीएम10, एसपीएम
2013, 4, 25, -, 181, 338
2014, 5, 24, -, 175, 341
2015, 4, 26, -, 167, 339
2016, 4, 27, 97, 171, 358
2017, 4, 26, 110, 190, 355
2018, 5, 23, 106, 194, 367
2019, 5, 23, 92, 161, 308
नुनिहाई
वर्ष, एसओटू, एनओटू, पीएम2.5, पीएम10, एसपीएम
2013, 5, 35, -, 227, 472
2014, 5, 33, -, 212, 441
2015, 4, 34, -, 212, 434
2016, 5, 36, 115, 242, 457
2017, 4, 26, 137, 235, 445
2018, 5, 25, 111, 234, 450
2019, 5, 28, 112, 213, 413
नोट: वर्ष 2020 में अप्रैल व मई में लाॅक डाउन के चलते मॉनीटरिंग स्टेशनों पर प्रदूषक तत्वों की गणना नहीं हो सकी।
फुल फार्म अौर मानक
एसओटू: सल्फर डाइ-ऑक्साइड: इसका वार्षिक औसत 20 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर है।
एनओटू: नाइट्रोजन डाइ-ऑक्साइड: इसका वार्षिक औसत 30 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर है।
पीएम2.5: अति सूक्ष्म कण: इसका वार्षिक औसत 40 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर है।
पीएम10: धूल कण: इसका वार्षिक औसत 60 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर है।
एसपीएम: श्वसनीय निलंबित कण।
आगरा में वायु प्रदूषण के लिए मुख्य रूप से पर्टिकुलेट मैटर (पीएम2.5 व पीएम10) जिम्मेदार हैं। निर्माण कार्यों में मानकों की अनदेखी, सड़कों की उचित सफाई नहीं होना और म्यूनिसिपल सॉलिड वेस्ट को जलाया जान, अव्यवस्थित ट्रैफिक और वाहनों की बढ़ती संख्या वायु प्रदूषण के लिए मुख्य रूप से जिम्मेदार हैं।
-कमल कुमार, प्रभारी अधिकारी सीपीसीबी
सर्दियों में वाहनजनित प्रदूषण कम करने को चार पहिया व दोपहिया वाहनों के बजाय पांच से सात किमी की दूरी के लिए साइकिल का प्रयोग कर सकते हैं। वायु प्रदूषणकारी उद्योगों आैर सरकारी व निजी निर्माण कार्याें पर दिसंबर में बंद रखकर भी हम वायु प्रदूषण को बढ़ने से रोक सकते हैं।
-उमेश शर्मा, सदस्य ताज ट्रेपेजियम जोन अथॉरिटी