Holi Special 2019: फाग में तोड़ी हरे बांस की बांसुरिया, होरी में बरजोरी कर रहे रसिया
द्वारिकाधीश मंदिर में बालरूप ठाकुर को लड़ाया जा रहा लाड़। गुलाल अबीर बरसा कर ठाकुरजी दे रहे भक्तों काे आशीष।
आगरा, मनोज चौधरी। बाजत ताल, मृंदग, ढोल ढप और नगाड़े जोरी रे रसिया। आज ब्रज में होरी रे रसिया। कौन गांव काै कुंवर कन्हैया प्यारे, कौन गांव की गोरी रे रसिया। होरी खोलन आयौ श्याम आज याये रंग में बोरो री, रंग में बोरो री, हरे बांस की बांसुरियां अरे याये आज तोड़ मराेड़ों री... गोपियों को फाग में बांसुरी की समुधुर धुन कानों को नहीं भा रही है, वे तो बालगोपाल संग ग्वालबालों को प्रेम के रंग में डुबाने के लिए आतुर है।
ब्रज की होरी में कान्हा के भगत ठाकुर द्वारिकाधीशजी के मंदिर में झूम रहे हैं। नाच रहे हैं और रसिया के सुर में सुर मिल कर अपने आराध्य देव लाला को लाड़ लड़ा रहे हैं। वल्लभ कुल (पुष्टिमार्गीय) के श्रद्धालुओं की संख्या निशदिन बढ़ रही है। सुबह दस से ग्यारह बजे तक मंदिर के आंगन में ब्रज फाग द्वारकेश रसिया मंडल पिछले करीब चालीस साल से रसिया गायन कर रहा है। मंडली के कलाकार चुन्नी लाल, छोटेल लाल, अजय कुमार, प्रमोद चतुर्वेदी, राजू, हरीदास, ओमप्रकाश उर्फ ओमी भी सुर में सुर मिला कर रसिया की तान को मदमस्त कर रहे हैं। ठाकुरजी के बाल स्वरूप की पूजा अर्चना हो रही है। श्रीकृष्ण राधा के निश्छल प्रेम की होरी के रंग देख-देख कर श्रीकृष्ण की पटरानी यमुना भी हिलोर भर रही है। ठाकुरजी के दर्शन कर भक्त विश्राम घाट पहुंच कर योग योगेश्वर की पटरानी और सूर्य पुत्री यमुनाजी का आचमन कर रहे हैं। वल्लभकुल के संप्रदाय के लिए आज भी कल कल करती हुई यमुना दूध की तरह निर्मल बह रही है। यही भाव उनके मन में भी है।
शहर के बीचो-बीच राजाधिराज मार्केट स्थित ठाकुर द्वारिकाधीश मंदिर सांस्कृतिक वैभव कला और सौंदर्य के लिए अनुपम है। ग्वालियर राज के कोषाध्यक्ष सेठ गोकुलदास पारीख ने करीब ढाई सौ साल पहले मंदिर का निर्माण कार्य शुरू कराया था। मंदिर के विधि एवं मीडिया प्रभारी राकेश तिवारी एडवोकेट ने बताया कि सेठ पारीख को खोदाई के दौरान ग्वालियर में ठाकुरजी की मूर्ति मिली थी। ब्रज में इसे विराजमान करने के लिए पहले मृर्ति को मथुरा-वृंदावन मार्ग स्थित पागलबाबा मंदिर के सामने प्रतिष्ठित किया गया। आज भी यहां ठाकुरजी द्वारिकाधीश महाराज का बगीचा है। मंदिर का निर्माण पूरा होने के बाद ठाकुरजी को यहां लाकर विराजमान किया गया था। सेवा पूजा के लिए पुष्टिमार्ग के आचार्य गिरधरलाल कांकरोली वालाें को भेंट कर दिया गया था। तभी पुष्टिमार्गीय प्रणालिका के अनुसार ही मंदिर में सेवा पूजा की जा रही है। दो मंजिला मंदिर चारों तरफ से कमरे से घिरा हुआ है। गोलाकार मठ मंदिर के सौंदर्य को बिखेर कर श्रद्धालुओं की आस्था के रंग के को गाढ़ा कर रहा है। स्वर्ण की परत चढ़े त्रिगुण पंक्ति में मंदिर में खंभे हैं। मेहराब, दरवाजे, पत्थर की जाली, छज्जे और जल रंग से बने चित्र मंदिर की शोभा को बढ़ा रहे हैं। गोवर्धन धारण लीला, बकासुर वध, होली उत्सव, रासलीला, पूतना वध, वासुदेव का यशोदा के पास जाने, शकटासुर वध, यमलार्जुन मोक्ष, दानलीला समेत श्रीकृष्ण की लीलाओं को उकेरा गया है। छत्र की आकृति के जगमोहन में श्रद्धालु ठाकुरजी के दर्शन करते हैं। तीन शिखरों के नीचे ठाकुरजी के आकर्षक विग्रह विराजमान है।
होलिकाष्टक के बाद मंदिर में रंग भरी पिचकारियां छूटने लगेंगी। सोने, चांदी और पीतल की पिचकारियों से निकलने वाले रंग की बौछार में भीग कर लाखों श्रद्धालु निहाल होंगे। 19 मार्च काे रंगभरनी एकादशी को ठाकुरजी को कुंज में विराजमान होकर होली खेलेंगे। त्रयोदशी पर ठाकुरजी बगीचा में विराजमान होकर होली खेलेंगे, जबकि धुलेंडी के दिन डोला निकलेगा। इसके साथ ही महोत्सव को समापन हो जाएगा।