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Holi in Braj: आस्‍था की डोर, श्रद्धा के गुलाल सेे खेली द्वारिकाधीश संग होली

मंदिर में रंगों में डूबे श्रद्धालु। होलिकाष्टक के साथ शुरू हुआ रंगोत्सव। रसिया गायन के बीच झूमकर नाचे श्रद्धालु।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Mon, 02 Mar 2020 03:08 PM (IST)Updated: Mon, 02 Mar 2020 03:08 PM (IST)
Holi in Braj: आस्‍था की डोर, श्रद्धा के गुलाल सेे खेली द्वारिकाधीश संग होली
Holi in Braj: आस्‍था की डोर, श्रद्धा के गुलाल सेे खेली द्वारिकाधीश संग होली

आगरा, जेएनएन। आंखों के सामने द्वारिकाधीश और जुबां पर रसिया। तन-मन आस्था और भक्ति के रंगों से सराबोर। मथुरा के श्री द्वारिकाधीश मंदिर में सोमवार सुबह भक्तों ने जमकर होली खेली। सेवायतों ने पिचकारी से श्रद्धालुओं पर रंगों की बौछार की तो श्रद्धालु सुध- बुध खोकर भक्ति में नाचने लगे।

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वसंत पंचमी से डांढा गड़ने के साथ ही ब्रज के मंदिरों में अबीर-गुलाल की होली शुरू हो गई थी। होलिकाष्टक से द्वारिकाधीश मंदिर में रंग की होली शुरू हो गई। पुष्टि मार्ग संप्रदाय में होलिकाष्टक शुरू होने के साथ ही रंगों की होली शुरू होती है। सोने चांदी की पिचकारी से श्रद्धालुओं पर रंगों की बौछार की जाती है। मान्यता है कि ठाकुर जी पिचकारी से होली खेलते हैं। होरी खेलन आयो श्याम आज रंग में बोरो री गायन पर श्रद्धालु जमकर झूमे। ठाकुर जी के रंगों में श्रद्धालु एेसे रंगे कि सब कुछ भूल बैठे। होली तक इस तरह सुबह रसिया गायन के साथ ही ठाकुर जी भक्तों के साथ रंगों की होली खेलेंगे।

रंगों की होली प्रतिदिन सुबह दस बजे से 11 बजे तक होगी। मंदिर के मीडिया प्रभारी राकेश तिवारी ने बताया कि राजभोग के दर्शन के दौरान रंगों की होली खेली जाएगी। ये आस्था और श्रद्धा है कि रोज बड़ी संख्या में श्रद्धालु अपने ठाकुर जी के साथ होली खेलने पहुंच रहे हैं।

रंगभरनी एकादशी से शुरु होंगे विशेष आयोजन

पूरा ब्रज होली के रंगों में सराबोर है। ब्रज की होली के रंग बिखरने लगे हैं। देश-दुनिया के श्रद्धालु होली महोत्सव में शामिल होने को बेताब हैं। मंदिरों में अबीर गुलाल और रसिया होली के रंग को गहरा कर रहे हैं। द्वारिकाधीश मंदिर में छह मार्च को रंगभरनी एकादशी से होली के रंग चटक हो जाएंगे। रंगभरनी एकादशी के दिन सुबह दस से 11 बजे तक ठाकुरजी को कुंज में विराजमान किया जाएगा। सोने-चांदी की पिचकारी से भक्तों पर टेसू के रंगों की बौछार की जाएगी। सात मार्च को दोपहर डेढ़ से ढाई बजे तक फूल, पत्तों का बगीचा सजाया जाएगा। ठाकुरजी इसमें विराजमान होंगे। अबीर-गुलाल उड़ाया जाएगा। नौ मार्च को सभी झांकियों में श्रद्धालुओं को होली का आनंद मिलेगा। दस मार्च को दोपहर डेढ़ से ढाई बजे तक डोल महोत्सव में भी रंगों की बरसात होगी। इन आयोजनों के लिए 20 मन अबीर गुलाल और करीब 20 मन टेसू के फूलों का रंग तैयार किया जाएगा। अबीर-गुलाल हाथरस और बनारस से मंगाया जा रहा है।

यह होंगे आयोजन

- 06 मार्च को रंगभरनी एकादशी सुबह दस से 11 बजे तक।

- 07 मार्च को बगीचा में होली दोपहर डेढ़ से ढाई बजे तक

- 09 मार्च को होली समयानुसार

- 10 मार्च को डोल महोत्सव दोपहर डेढ़ से ढाई बजे तक।

मंदिर का इतिहास

मथुरा का द्वारकाधीश मंदिर 1814 में सेठ गोकुल दास पारीख ने बनवाया था जो ग्वालियर रियासत का खजांची थेे। यह मंदिर विश्राम घाट के नज़दीक है जो शहर के किनारे बसा प्रमुख घाट है। भगवान कृष्ण को अक्सर ‘द्वारकाधीश’ या ‘द्वारका के राजा’ के नाम से पुकारा जाता था और उन्हीं के नाम पर इस मंदिर का नाम पड़ा है। आजकल इस मंदिर का बंदोबस्त वल्लभाचार्य सम्प्रदाय देखती है। मुख्य आश्रम में भगवान् कृष्ण और उनकी प्रिय राधा की मूर्तियांं हैं। इस मंदिर में दूसरे देवी देवताओं की मूर्तियांं भी हैं। मंदिर के अन्दर सुन्दर नक्काशी, कला और चित्रकारी का बेहतरीन नमूना देखा जा सकता है। यह मंदिर रोज़ हज़ारों की संख्या में आने वाले पर्यटकों का स्वागत करता है। होली और जन्माष्टमी पर यहांं भीड़ और भी बढ़ जाती है।


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