Holi Special 2019: स्याह जिंदगी की सफेद साड़ी पर बिखर रहे खुशियों के रंग, जानिए कहां
वृंदावन में सुलभ इंटरनेशनल ने आरंभ की थी आश्रय सदन में रहने वाली विधवा माताओं के साथ होली खेलने की परंपरा। रुढि़वादी बेडिय़ों को तोड़ विधवा वृद्धाएं लेती हैं रंगों के त्योहार का आनंद।
आगरा, विपिन पाराशर। जीवन के अंतिम पड़ाव में जब अपनों ने ठुकरा दिया तो वृद्ध विधवा माताओं की जिंदगी स्याह हो चली। वृंदावन के आश्रय सदनों में ऐसी ही तमाम महिलाएं सफेद साड़ी में शरण पाई हैं। यहां ईश्वर साधना करते हुए नीरस जिंदगी बिता रहीं माताओं की जिंदगी पूरी तरह से बदरंग नजर आ रही थी। चार साल पहले सुलभ इंटरनेशनल के अध्यक्ष डॉ. बिदेश्वरी पाठक ने इस कुप्रथा की बेडिय़ों को तोड़ते हुए बूढ़ी आंखों में होली के रंग भरे। हर साल आश्रय सदनों में रह रहीं माताओं के संग होली खेलकर सुलभ इंटरनेशनल ने इन माताओं के जीवन में नई बहार पैदा की। होली के त्योहार की मिठास को विधवा माताओं ने फिर से महसूस किया।
सन 2012 से वृंदावन और वाराणसी की करीब 1500 विधवाओं की सुलभ इंटरनेशनल देखभाल कर रहा है। सुलभ इन विधवाओं की जिंदगी में रंग भरने और सामाजिक मुख्यधारा में लाने की कोशिशों के तहत तीन साल से उनके लिए होली के त्योहार को मनाता है, लेकिन सात साल पहले यह पहला मौका था। उत्सव में संस्कृत पंडितों और विद्यार्थियों को शामिल कर वृद्ध माताओं को होली के रंगों में सराबोर किया गया। सदियों पुरानी कुरीति के खिलाफ नई परंपरा की शुरुआत करते हुए सुलभ इंटरनेशनल ने सामाजिक रुढिय़ों को तोड़ते हुए वृद्ध विधवाओं के साथ रंगों की होली खेलना शुरू किया। आश्रय सदनों में जीवन गुजार रही माताओं के नीरस हो चुके जीवन में होली का उल्लास नजर आने लगा और माताएं भी जमकर होली का आनंद लेने लगी हैं।
सामाजिक रुढिय़ों में जकड़ी विधवाओं के बीच संस्था अध्यक्ष डॉ. बिदेश्वरी पाठक गुलाल लगाकर माताओं के साथ होली खेलते हैं और समारोह में रसिया पर नृत्य आदि होता है। ये माहौल माताओं में अजीब सा उत्साह और उमंग भर जाता है।
वृंदावन के आश्रय सदनों में रह रहीं वृद्ध विधवा माता फूलों और गुलाल से जमकर होली खेलती हैं। सदियों से जिंदगी में रंगों से दूर रहीं विधवा माताओं की जिंदगी में उस समय नया रंग नजर आया, जब हजारों विधवाओं ने होली में जमकर गुलाल उड़ाया और फूलों से श्रीकृष्ण संग होली खेली। गुलाल और फूलों की बौछार के बीच जैसे विधवाओं की जिंदगी में खुशी के रंग चटक होते नजर आए। होली में वृंदावन और वाराणसी से आई हजारों महिलाओं ने एक-दूसरे को जमकर गुलाल लगाया और फूलों की बौछार की। वृंदावन में सात साल पहले ये मौका देखने को मिला, जब किसी मंदिर के अंदर विधवाओं ने होली खेली। ये सिलसिला आज तक अनवरत रूप से जारी है।
इस वर्ष भी होगी धूमधाम से होली
सुलभ इंटरनेशनल की ओर से इस वर्ष भी आश्रय सदनों की विधवा माताओं के लिए धूमधाम से होली मनाए जाने की तैयारी है। स्थानीय सहयोगियों को जिम्मेदारियां सौंप दी गई हैं। गुलाल, रंग, पुष्पों, गुझियों और ठंडाई की तरंग के साथ माताएं होली खेलने के लिए आतुर हैं।