Sikri Live: अवैध निर्माणों पर मुकदमों की रस्मभर अदा करती हैं यहां पुलिस
स्मारक के आसपास लगातार हो रहे अवैध निर्माण कार्रवाई नोटिस और मुकदमों तक सीमित। 95 फीसद मामलों में पुलिस लगा चुकी है चार्जशीट।
आगरा, यशपाल चौहान। फतेहपुर सीकरी के चेहरे पर अवैध निर्माण के गहरे दाग हैं। धीरे-धीरे ये दाग और बढ़ते जा रहे हैं। इनको मिटाने की कोशिशें केवल कागजोंं में ही नजर आ रही हैं। निर्माण के समय आंख बंद रखने वाला पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (एएसआइ) बिल्डिंग बनने पर मुकदमे की रस्म निभा देता है।
एएसआइ एक्ट के मुताबिक संरक्षित स्मारक के सौ मीटर की परिधि निषिद्ध क्षेत्र में आती है। इसमें कोई निर्माण या उत्खनन नहीं हो सकता। इस परिधि के बाहर दो सौ मीटर का दायरा विनियमित क्षेत्र में आता है। इसमें सक्षम अधिकारी की अनुमति के बाद ही निर्माण किया जा सकता है। उल्लंघन करने पर एएसआइ भवन स्वामी को नोटिस देता है। इसके बाद मुकदमा दर्ज करा दिया जाता है। अवैध निर्माण का सिलसिला तो बहुत पहले शुरू हो गया था, मगर तब तक लोग रहने को घर बनाते थे। पर्यटकों की आवाजाही बढऩे के साथ ही यहां व्यावसायिक बिल्डिंग बनने लग गईं। हर वर्ष अवैध निर्माण होते गए और एएसआइ के अधिकारी फतेहपुर सीकरी थाने में मुकदमे दर्ज कराते रहे। अब तक एएसआइ एक्ट के तहत 234 मुकदमे दर्ज हो चुके हैं। इनमें 2016 में 67 और 2017 में 64 मुकदमे दर्ज हुए। पुलिस ने 95 फीसद मामलों में चार्जशीट कोर्ट में भेज दी। मगर, कानून के लचीलेपन के कारण अवैध निर्माण करने वालों का कुछ नहीं बिगड़ा। अधिकतर मामलों में जुर्माना जमा करके अवैध निर्माण करने वाले छूट जाते हैं।
क्या कहता है नियम
एएसआइ एक्ट वर्ष 1957 का है। इसमें 2010 में संशोधन और विधिमान्यकरण हुआ। इसके तहत दो वर्ष का कारावास, दो लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है या दोनों दंड एक साथ दिए जा सकते हैं। सबसे पहले अवैध निर्माण होने पर संबंधित व्यक्ति या संस्थान को एएसआइ नोटिस देता है। न मानने पर मुकदमा दर्ज कराया जाता है। दो बार नोटिस देने के बाद ध्वस्तीकरण का प्रावधान है। यह आदेश महानिदेशक एएसआइ के यहां से होता है।
अवैध निर्माण को पुलिस की भी शह
अब तक सीकरी में हुए अवैध निर्माण को पुलिस की भी शह मिलती रही है। घरों में रसोई या छत पक्की कराने वालों को तो पुलिस थाने पकड़कर ले आती है, मगर व्यावसायिक भवन बनते समय इनकी आंखें बंद रहीं।
टूट चुका है ताजगंज थाना
ताजमहल के निषिद्ध क्षेत्र में स्थित ताजगंज थाने में पुलिस ने निर्माण कराया था। सुप्रीम कोर्ट तक मामला पहुंचा। इसके बाद पुलिस को यह निर्माण ध्वस्त करना पड़ा था।
वर्ष, मुकदमों की संख्या
2019,17
2018, 34
2017, 64
2016, 67
2015, 52
कुल - 234
लोकसभा चुनाव और क्रिकेट से संबंधित अपडेट पाने के लिए डाउनलोड करें जागरण एप