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शिवराज पशु मेला: राजा महाराजाओं की शान 99 वर्षों बाद बनी महज औपचारिकता

कभी हाथी-घोड़े खरीदने आते थे राजा और ब्रिगेडियर। अब भी खरीद-फरोख्त करने आते हैं देश भर से व्यापारी।

By Prateek GuptaEdited By: Published: Sat, 08 Dec 2018 01:44 PM (IST)Updated: Sat, 08 Dec 2018 01:44 PM (IST)
शिवराज पशु मेला: राजा महाराजाओं की शान 99 वर्षों बाद बनी महज औपचारिकता

आगरा, संजय धूपड़। कासगंज जिले में तीर्थ नगरी सोरों का शिवराज पशु मेला 99 वर्ष का हो गया। नौ दिसंबर से आयोजित होने वाले मेले में कभी हाथी और घोड़े खरीदने के लिए राजा और सैन्य अफसर आते थे। पुलिस ट्रेनिंग सेंटर के लिए तो यहां से घोड़े अभी भी खरीदे जाते हैं।

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कासगंज के तत्कालीन राजा शिवराज ङ्क्षसह ने वर्ष 1919 में पशु मेले की शुरुआत की थी। तब से यह मेला उन्हीं के नाम पर सोरों लहरा रोड पर लगता आ रहा है। इस बार ये मेला 9 दिसंबर से 19 दिसंबर तक लगेगा। कई दशक तक ये मेला उत्तर भारत का सबसे बड़ा मेला बनता रहा। इसकी महत्ता का अंदाज इसी बात से लगाया जा सकता है कि इसमें देश भर से नस्ली घोड़े खरीद-फरोख्त को आते थे। जमींदारों के साथ ही राजा- महाराजा तो यहां पर हाथी और घोड़े खरीदने आते थे। सेना के अफसर यहीं से घोड़े खरीदते थे। पुलिस ट्रेनिंग सेंटर के लिए भी घोड़े यहीं से खरीदे जाते रहे हैं। 70 के दशक तक मेला अपने पूरे शबाब पर रहा, लेकिन अब इस मेले में ऊंटों की भी आमद न के बराबर है। केवल घोड़े, घोड़ी, खच्चरों की बिकते हैं। इस मेले में पंजाब, हरियाणा, गुजरात, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, राजस्थान सहित विभिन्न प्रांतों से पशु व्यापारी पशु खरीद फरोख्त के लिए पहुंचते हैं।

निभाई जा रही परंपरा

मेला संचालक और स्वर्गीय राजा शिवराज ङ्क्षसह के प्रपौत्र राव मुकुल मान ङ्क्षसह कहते हैं कि पशु मेला का संचालन अब परंपराओं का निर्वहन रह गया है। जिसे निभाया जा रहा है। बीते दो वर्षों में मेला मंदी के दौर से गुजरा। 2016 में नोटबंदी और 2017 में विधानसभा चुनाव के कारण मेला फ्लॉप रहा।

डेढ़ दशक पहले मेले में आया था हाथी

स्वर्गीय राजा शिवराज ङ्क्षसह के छोटे प्रपौत्र मुदित मान ङ्क्षसह ने बताया कि लगभग डेढ़ दशक पूर्व मेले में एक हाथी बिक्री को आया था। मेले में डेढ़ दशक के बाद कोई हाथी बिक्री को नहीं आया। ऊंट आ जाते हैं। इनकी संख्या भी कम हो रही है।

सात लाख में बिकी थी पंजाब की चमेली

इस मेले में काफी अच्छे नस्ल के घोड़े एवं घोड़ी आती रही हैं। वर्ष 2015 में सबसे महंगी घोड़ी सात लाख में बिकी थी। इस घोड़ी को पंजाब से बिक्री के लिए एक व्यापारी लेकर आया था। चमेली नाम की घोड़ी को महाराष्ट्र के लोग सात लाख रूपये में खरीदकर ले गए थे।

अभी से डेरा जमाने लगे व्यापारी

शिवराज पशु मेले का शुभारंभ रविवार को शुरू होगा, लेकिन मेले में व्यापारियों के पहुंचने का सिलसिला छह दिन पहले से हो गया है। अब तक तीन सौ से अधिक पशु व्यापारी अपने पशुओं के साथ मेले में डेरा डाल चुके हैं। शुभारंभ के साथ खरीद फरोख्त शुरू हो जाएगी।

देर से पहुंचेगा एमपी, राजस्थान का व्यापारी

मध्यप्रदेश और राजस्थान से व्यापारी मेले में सबसे पहले पहुंच जाते हैं, लेकिन इस बार इन प्रदेशों से पहुंचने वाले व्यापारियों की संख्या कम है। माना जा रहा है कि मध्यप्रदेश और राजस्थान में चुनाव के चलते अभी नहीं आए हैं। शुक्रवार को मतदान हो गया है, ऐसे में शनिवार से इनका भी आगमन शुरू हो जाएगा।।


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