Hariyali Teej: आस्था की डोर से झोटे ले रहे ठा. बांकेबिहारी, भक्त नहीं कर पाए दर्शन
अद्भुत स्वर्ण-रजत हिंडोला में जमकर झूले बांकेबिहारी। कोरोनाकाल में नहीं मिले भक्तों को आराध्य के दर्शन।
आगरा, जेएनएन। अद्भुत, आकर्षक स्वर्ण-रजत हिंडोला, दूधिया रोशनी के बीच स्वर्ण-रजत हिंडोले में विराजमान ठा. बांकेबिहारी जी महाराज के अलभ्य दर्शन, सजल मेघ कांति लिए चमकते नुकीले नयन। हृदय को चीर देने वाले इन नयनों में गहराई और चमक ऐसी कि सागर भी समा जाये और आकाश भी। हरे रंग की चांदी के बूटों से जड़ित पोशाक धारण कर विलक्षण श्रृंगार, कसी हुई हरियाली पाग मोतियों से जड़ी, ऊपर टिपारा, सिरपेच, तुर्रा और कलंगी, सब कुछ अद्भुत। हीरे और जवाहारात की चमक, मानो स्वयं कांति ने खुद को न्यौछावर करने की ठानी हो। कानों में कुंडल और मुरली की मुद्रा चित्त को आंदोलित कर रही थी। वक्षस्थल पर झूलते हुए पुष्पाहार, पीछे इकलाई में सिमटी हुई प्रियाजी। दोनों की अद्भुत जोड़ी को अपलक देखते निकट बैठे स्वामी हरिदास जी महाराज। हाथ में तानपूरे की लय ही संगीत दिखायी दी। हरियाली तीज की भोर से ही आराध्य ठा. बांकेबिहारी मंदिर की छवि अनोखी लग रही थी। कोरोनाकाल में हर साल की तरह भक्तों की भीड़ नहीं थी। मंदिर में सन्नाटा पसरा था। लेकिन उत्सव पूरे परंपरागत तरीके से मनाया जा रहा है।
सीढ़ियों पर ही माथा टेक रहे श्रद्धालु
कोरोना काल में हरियाली तीज का उत्सव मंदिर के अंदर भले ही परंपरागत तरीके से मनाया जा रहा था। लेकिन भक्तों को एंट्री नहीं मिल रही थी। ऐसे में स्थानीय भक्तों ने ठाकुरजी के चबूतरे पर माथा टेककर ही आराध्य की साधना की। इसके बाद श्रद्धालुओं ने पंचकोसीय परिक्रमा शुरू कर दी।
बृषभान दुलारी ने दिए स्वर्ण हिंडोले से दर्शन
ब्रह्मांचल पर्वत की हरियाली छठा के मध्य स्थित राधारानी मंदिर में सुबह बृषभान दुलारी अपने नन्दलाल के साथ स्वर्ण हिंडोले में विराजमान हुई तो सेवायतों ने प्रिया प्रियतम को झूला झुलाया। लेकिन इस अनोखे दर्शन से इस बार हजारों श्रद्धालु वांछित रहे क्योंकि कोरोना महामारी के चलते राधारानी मंदिर श्रद्धालुओं के लिए बंद है। हरियाली तीज के पर्व पर एक ओर जहां पूरे ब्रज मंडल के मंदिरों में झुलन महोत्सव शुरु हुआ। वहीं ब्रज की महारानी राधिका रानी भी अपने माखन चोर के साथ इठलाती हुई झूला झूल रही थी। इस दौरान राधारानी मंदिर को हरे परिधानों व फूलों से सजाया गया। वहीं सेवायतों द्वारा बृषभान नन्दनी को छप्पन भोग लगाया। हरे वस्त्र में राधाकृष्ण की झांकी अलौकिक नजर आ रही थी। सेवायत भी लाडली किशोरी को सावन के मल्हार सुनाते हुए झोटा दे रहे थे। शाम करीब पांच बजे राधारानी का डोला मन्दिर में नीचे स्थित सफेद छतरी में आएगा। जहां बृषभान दुलारी अपने कान्हा के साथ विराजमान होंगी। राधारानी साल में तीन बार सफेद छतरी में आती हैं। हरियाली तीज, राधाष्टमी, धुलेंडी के पर्व पर बृषभान दुलारी सफेद छतरी में आकर भक्तों को दर्शन देती हैं। सेवायत उमाशंकर गोस्वामी ने बताया कि हरियाली तीज से तेरह दिवसीय झूलन महोत्सव राधारानी मंदिर में शुरू हो गया है। जो रक्षा बंधन तक चलेगा।