अंतिम संस्कार के तीन वर्ष बाद जिंदा मिला युवक, खुशी के साथ झलके आंखों से आंसू
बिहार से पहुंचे परिजन लेने। ट्रेन दुर्घटना में मारे गए युवक की शिनाख्त कर परिजनों ने कर दिया था अंतिम संस्कार।
आगरा, जेएनएन। शुक्रवार को एक अजीब मामला सामने आया। जिस युवक का तीन वर्ष पूर्व अंतिम संस्कार कर दिया था, वह जिंदा मिला। यह देख हैरानी तो हुई, लेकिन जिसने भी देखा उसकी आंखें भर आईं। परिजन उसे अपने साथ मुजफ्फरपुर बिहार ले गए।
चार दिन पूर्व वृंदावन में अपना घर आश्रम की टीम के राजकुमार सैनी, दीपक व हिमांशु को हाईवे किनारे लावारिस हालात में एक युवक मिला था। जिसकी हालत को देखकर वह उसे अपना घर आश्रम कोकिलावन ले गए। जहां उसका उपचार शुरू कर किया। सचिव राजकुमार सैनी ने बताया कि उसे दिमागी दवाएं दी गईं थीं। सुधार के बाद युवक ने अपना नाम राकेश पुत्र बुद्धन ठाकुर गांव कुमरिया, थाना मीनापुर जिला मुजफ्फरपुर बताया था। अपना घर ने संबंधित थाने के माध्यम से उसके परिजनों से संपर्क किया, तो पता चला कि राकेश तो तीन साल पहले ट्रेन दुर्घटना में मारा जा चुका है। जिसका अंतिम संस्कार भी परिजन कर चुके हैं, लेकिन जब उसकी तस्वीरें भेजी तो सभी लोग हैरान रह गए।
उसे लेने के लिए शुक्रवार को उसके पिता बुद्धन ठाकुर अन्य परिजनों के साथ आश्रम पहुंचे। राकेश को जिंदा देखकर बुद्धन व परिजनों की आंखें भर आईं। उन्होंने राकेश को गले से लगा लिया। यह दृश्य देख आश्रम में मौजूद लोगों की आंखें नम हो गईं।
बुद्धन ने बताया कि वर्ष 2016 के मार्च माह में वह दिल्ली में काम के लिए निकला था। जब काम एवं घर पर नहीं पहुंचा तो खोजबीन शुरू की। 10 मार्च को दिल्ली मोर्चरी में एक अन्य शव की पहचान राकेश के रूप में की थी। राकेश का एक हाथ नहीं था। शव का भी एक हाथ नहीं था। चेहरा क्षत-विक्षत होने के कारण पहचान में नहीं आया। कटे हाथ एवं एक जैसे कपड़ों के कारण परिजन उसके शव को गांव ले गए और अंतिम संस्कार कर दिया।
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