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Guru Purnima 2020: जानिए क्‍यों जरूरी है जीवन में गुरु का होना और क्‍या है गुरु पूजन का महत्‍व

Guru Purnima 2020 पांच जुलाई को है गुरु पूर्णिमा। कोरोना संक्रमण काल के चलते रद रहेंगे कई आयोजन।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Thu, 02 Jul 2020 03:54 PM (IST)Updated: Thu, 02 Jul 2020 03:54 PM (IST)
Guru Purnima 2020: जानिए क्‍यों जरूरी है जीवन में गुरु का होना और क्‍या है गुरु पूजन का महत्‍व
Guru Purnima 2020: जानिए क्‍यों जरूरी है जीवन में गुरु का होना और क्‍या है गुरु पूजन का महत्‍व

आगरा, जागरण संवाददाता। हिन्दू धर्म में गुरु को ईश्वर से भी श्रेष्ठ माना जाता है| क्योंकि गुरु ही हैं जो इस संसार रूपी भव सागर को पार करने में सहायता करते हैं। गुरु के ज्ञान और दिखाए गए मार्ग पर चलकर व्यक्ति मोक्ष को प्राप्त करता है। ज्‍योतिषाचार्य डॉ शोनू मेहरोत्रा के अनुसार शास्त्रों में कहा गया है कि यदि ईश्वर आपको श्राप दें तो इससे गुरु आपकी रक्षा कर सकते हैं परंतु गुरु के दिए श्राप से स्वयं ईश्वर भी आपको नहीं बचा सकते हैं। इसलिए कबीर जी कहते भी हैं 

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गुरु गोविन्द दोनों खड़े, काके लागूं पाँय।

बलिहारी गुरु आपनो, गोविंद दियो बताय॥

हर वर्ष आषाढ़ मास की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है। गुरु पूर्णिमा को गुरु की पूजा की जाती है। भारत वर्ष में यह पर्व बड़ी श्रद्धा के साथ मनाया जाता है| प्राचीन काल में शिष्य जब गुरु के आश्रम में नि:शुल्क शिक्षा ग्रहण करते थे तो इसी दिन पूर्ण श्रद्धा से अपने गुरु की पूजा का आयोजन किया करते थे। इस दिन केवल गुरु की ही नहीं, अपितु घर में अपने से जो भी बड़ा है अर्थात माता-पिता, भाई-बहन आदि को गुरुतुल्य समझ कर उनसे आशीर्वाद लिया जाता है।

 

गुरु पूर्णिमा का महत्व

डॉ शोनू बताती हैं कि इस दिन को हिन्दू धर्म ग्रंथों के अनुसार महाभारत के रचयिता कृष्ण द्वैपायन व्यास का जन्मदिवस भी माना जाता है। वे संस्कृत के महान विद्वान थे। महाभारत जैसा महाकाव्य उन्हींं की देन है। इसी के अठारहवें अध्याय में भगवान श्री कृष्ण गीता का उपदेश देते हैं। सभी 18 पुराणों का रचयिता भी महर्षि वेदव्यास को माना जाता है। वेदों को विभाजित करने का श्रेय भी इन्हीं को दिया जाता है। इसी कारण इनका नाम वेदव्यास पड़ा था। वेदव्यास जी को आदिगुरु भी कहा जाता है इसलिए गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है|

गुरु पूर्णिमा के लिए वर्षा ऋतु ही क्यों श्रेष्ठ?

भारत वर्ष में सभी ऋतुओं का अपना ही महत्व है। गुरु पूर्णिमा खास तौर पर वर्षा ऋतु में ही क्यों मनाया जाता है इसका भी एक कारण है। क्योकि इन चार माह में न अधिक गर्मी और न अधिक सर्दी होती है। यह समय अध्ययन और अध्यापन के लिए अनुकूल व सर्वश्रेष्ठ है। इसलिए गुरुचरण में उपस्थित शिष्य ज्ञान, शांति, भक्ति और योग शक्ति को प्राप्त करने हेतु इस समय का चयन करते हैं। इस दिन लोग अपने गुरु का पूजन कर उनसे आशीर्वाद लेकर साधना के पथ पर आगे बढ़ते हैं। गुरु- पूर्णिमा इस बार 5 जुलाई को पड़ेगी। इसी दिन चंदग्रहण पड़ेगा। हालांकि यह दुनिया के दूसरे हिस्से में दिखाई देगा, जिससे इसका प्रभाव और सूतक भारत में नहीं रहेगा। गुरु पूर्णिमा व्यास पूर्णिमा मुड़िया पूनों आषाढ़ मास की पूर्णिमा को कहा जाता है। यह दिन गुरुपूजा का दिन होता है। 


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