ताजनगरी में तीमारदारों की ऐसी सेवा, काश देशभर में भी होने लगे ऐसा Agra News
एसएन मेडिकल कालेज में गुरु पंथ के दास संस्था कर रही है लगातार सेवा। लगातार 400 दिन से चलाया जा रहा लंगर।
आगरा, प्रभजोत कौर। किसी भी अस्पताल में जब घर का कोई सदस्य भर्ती होता है तो ऐसे में तीमारदारों की ड्यूटी बहुत कठिन हो जाती है। मरीज की देखभाल के साथ ही अपनी भी देखभाल करनी होती है। खाने-पीने का पूरा सिस्टम खराब हो जाता है। कई बार तीमारदार भूखे रहकर खुद ही मरीज बन जाते हैं। इसी समस्या को समझते हुए पिछले 400 दिन से गुरु पंथ के दास संस्था द्वारा एसएन मेडिकल कालेज में तीमारदारों के लिए लंगर सेवा चलाई जा रही है। ये एक मिसाल है, अगर सामाजिक संस्थाएं इस दिशा में पहल करें तो देशभर में बीमार और तीमारदारों को एक बड़ी मदद मिल सकेगी।
पिछले साल शुरू की सेवा
गुरु पंथ के दास संस्था ने पिछले साल 10 सितंबर से इस सेवा को शुरू किया था। यह सेवा पहले गुरुद्वारा माईथान में चला करती थी। फिर नगर कीर्तन, रेलवे स्टेशन और बस अड्डों पर कुछ समय के लिए की गई। एक दिन एसएन मेडिकल कालेज में यह सेवा की गई। तभी संस्था के सदस्यों को लगा कि मेडिकल कालेज में इस सेवा की सबसे ज्यादा जरूरत है। उसी दिन से यह सेवा एसएन मेडिकल कालेज के किसी ना किसी हिस्से में लगातार चल रही है। संस्था के सदस्य जसविंदर सिंह बताते हैं कि हम सफाई का भी पूरा ध्यान रखते हैं। लंगर के बाद दोने-पत्तल को एक बोरे में एकत्र कर उसे कूड़ा घर में फेंकते हैं।
सदस्य मिलकर करते हैं सेवा
लंगर की सेवा के लिए सभी सदस्य मिलकर पैसे जमा करते हैं। एक हलवाई को खाना बनाने की जिम्मेदारी दी हुई है। हर रोज अलग-अलग खाना होता है। कभी राजमा-चावला, कढ़ी चावल तो कभी आलू-पूरी। लंगर को बांटने की जिम्मेदारी भी सदस्यों द्वारा ही निभाई जाती है। संस्था सदस्य जसमीत सिंह बताते हैं कि सिंधी बाजार के कई दुकानदार इस संस्था से जुड़े हैं। वे दोपहर में समय निकाल कर इस सेवा में सहयोग करने आते हैं।
खास मौकों पर लोग कराते हैं सेवा
संस्था से जुड़े सदस्य तो इस सेवा में सहयोग करते ही हैं, इसके अलावा शहर के कई लोग ऐसे भी हैं जो अपने घर के सदस्यों के जन्मदिन या शादी की सालगिरह पर उस दिन की सेवा की जिम्मेदारी ले लेते हैं। एक दिन की सेवा का खर्चा लगभग तीन हजार रुपये आता है। संस्था से जुड़े रोहित कत्याल बताते हैं कि कुछ लोग अपने मन से भी लंगर की सेवा में बदलाव कराते हैं। जिसकी जैसी श्रद्धा होती है, वो लंगर में वैसा ही खाना बनवाता है।
मेडिकल कालेज का मिल रहा सहयोग
400 दिन से लगातार चल रही इस लंगर सेवा को मेडिकल कालेज प्रशासन का भी पूरा सहयोग मिल रहा है। संस्था में सक्रिय रूप से जुड़ी वीना मदान बताती हैं कि मेडिकल कालेज के प्राचार्य भी हमारी तारीफ कर चुके हैं। अब तो कई डाक्टर भी हमारे यहां लंगर करने आते हैं।