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Guru Teg Bahadur: आगरा में नौ दिन रहे थे गुरु तेग बहादुर, यहीं से दी थी गिरफ्तारी

आगरा के गुरुद्वारा गुरु के ताल में नौ दिन किया था प्रवास। गुरु तेग बहादुर साहिब का 400 वां प्रकाश पर्व आज। गुरुद्वारा से दी थी गिरफ्तारी भोरा साहिब में रहे थे। गुरुद्वारा गुरु का ताल में कीर्तन होगा जिसका लाइव प्रसारण फेसबुक पेज पर किया जाएगा।

By Prateek GuptaEdited By: Published: Sat, 01 May 2021 09:43 AM (IST)Updated: Sat, 01 May 2021 09:43 AM (IST)
आगरा का गुरुद्वारा गुरु का ताल, यहां गुरु तेग बहादुर साहिब ने प्रवास किया था।

आगरा, जागरण संवाददाता। सिखों के नवें गुरु तेग बहादुर साहिब का 400वां प्रकाश पर्व शनिवार को मनाया जाएगा। कोरोना वायरस के संक्रमण के चलते आयोजन स्थगित कर दिए गए हैं। गुरुद्वारा गुरु का ताल में कीर्तन होगा, जिसका लाइव प्रसारण फेसबुक पेज पर किया जाएगा। गुरु तेग बहादुर ने आगरा के गुरुद्वारा गुरु का ताल से ही गिरफ्तारी दी थी।

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आगरा के गुरुद्वारा गुरु का ताल और गुरुद्वारा माईथान का इतिहास सिखों के नवें गुरु तेग बहादुर से जुड़ा है। इतिहासकारों के अनुसार, मुगल शहंशाह आैरंगजेब हिंदुत्व को नष्ट करने पर तुला हुआ था। उसने गुरु पर भी इस्लाम कबूल करने को दबाव बनाया। गुरु के इन्कार करने पर उसने उन्हें पकड़वाने वाले को 500 मोहर के इनाम की घोषणा कर दी। गुरु तेग बहादुर अपने साथियों भाई मती दास, सती दास, गुरुदित्ता, जैता, दयाला और ऊदौ के साथ आनंदपुर साहिब से पटियाला, जींद, रोहतक होते हुए विक्रम संवत 1731 में गुरु का ताल पहुंचे। यहां वो तालाब के किनारे रुके। चरवाहा हसन अली यहां अपनी भेड़-बकरियां चराया करता था। उसने दुआ की कि हिंदुओं के पीर को गिरफ्तारी देनी है तो वह मेरे हाथों दें, जिससे उसे इनाम मिल सके। गुरु तेग बहादुर ने उसे अपनी अंगूठी और दुशाला देकर मिठाई लाने का अादेश किया। चरवाहे के पास कीमती वस्तुएं देखकर दुकानदार ने मुगल सैनिकों को सूचना कर दी।

मुगल सैनिकों ने चरवाहे को पकड़ लिया। वह उन्हें गुरु तेग बहादुर के पास ले अाया। मुगल सैनिकों ने उन्हें पकड़ लिया। उन्हें यहां नौ दिन तक नजरबंद रखा गया था। आज उस स्थान पर भोरा साहिब बना हुआ है। आगरा से गुरु तेग बहादुर को दिल्ली स्थित चांदनी चौक ले जाया गया। वहां धर्म की रक्षा के लिए उन्होंने शहादत दे दी। वहां आज गुरुद्वारा शीशगंज बना हुआ है। गुरु तेग बहादुर दो बार माईथान भी आए थे। पहली बार वो यहां एक माह तीन दिन तक रुके थे। माता जस्सी ने उन्हें कपड़े का थान भेंट किया था, जिससे इस क्षेत्र का नाम माईथान पड़ गया। उस समय यहां का पानी खारा था। गुरु के बताने पर जिस जगह कुआं खोदा गया, वहां मीठा पानी मिला।

नौ दिन रहे थे गुरुद्वारा गुरु का ताल में

गुरुद्वारा गुरु का ताल के मुखी संत बाबा प्रीतम सिंह ने बताया कि गुरुद्वारा में गुरु तेग बहादुर साहिब नौ दिन तक रहे थे। वो जिस स्थान पर रहे थे, वहीं आज भोरा साहिब बना हुआ है। उन्होंने बताया कि 400वें प्रकाश पर्व पर शनिवार सुबह सात से दोपहर 12 बजे तक गुरुद्वारा में श्रद्धापूर्वक प्रकाश पर्व मनाया जाएगा। शबद कीर्तन का प्रसारण गुरुद्वारा के फेसबुक पेज पर आनलाइन किया जाएगा। संगत से अनुरोध है कि वो घर में रहकर कोरोना काल में सभी के भले की अरदास करें।


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