आगरा में यमुना किनारे जंगल में बना रहे थे तमंचे और बंदूक, तीन गिरफ्तार
बंदूक रायफल चार तमंचे और असलाह बनाने के औजार किए बरामद। खरीददार बनकर पहुंची थी पुलिस सौदा होने के बाद मारा छापा। बड़ी मात्रा में बरामद हुए हैं कारतूस। किस दुकान से सप्लाई हुए अवैध हथियारों के लिए कारतूस ये सवाल अभी अनसुलझा।
आगरा, जागरण संवाददाता। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले अब पुलिस को असलाह फैक्ट्री दिखने लगी हैं। शुक्रवार को पुलिस ने न्यू आगरा क्षेत्र के मऊ गांव के पास यमुना किनारे जंगल में संचालित हो रही अवैध असलाह फैक्ट्री का भंडाफोड़ कर दिया। इसमें तमंचे और बंदूक बनाई जा रही थीं। खरीददार बनकर पहुंचे पुलिसकर्मियों ने मौके से तीन लोगों को गिरफ्तार कर लिया। वहां से बने हुए तमंचे, बंदूक, रायफल, कारतूस और असलाह बनाने का सामान बरामद हुआ है।
न्यू आगरा क्षेत्र के मऊ गांव के पास जंगल में अवैध असलाह बनाने की फैक्ट्री संचालित हो रही थी। फैक्ट्री से संबंधित कुछ लोग तमंचा बेचने को ग्राहक तलाश रहे थे। एसएसपी सुधीर कुमार सिंह ने बताया कि यह जानकारी मिलने के बाद एक सिपाही को ग्राहक बनाया गया। शुक्रवार को सुबह सिपाही ग्राहक बनकर मऊ के जंगल में पहुंचा।वहां तमंचे और बंदूक बनाई जा रही थी। सिपाही के थोड़ी देर बाद पुलिस टीम पहुंच गई। इसके बाद वहां से तीन आरोपितों को गिरफ्तार कर लिया। एक राइफल, बंदूक और चार तमंचे बने हुए मिले। कई तमंचे पूरे नहीं बने थे।उनके पार्टस अलग पड़े थे। गिरफ्तार आरोपितों में ताजगंज के गोबर चौकी निवासी सलीम खान, अछनेरा निवासी आकाश और शाहगंज के पृथ्वीनाथ फाटक निवासी अब्दुल सलाम हैं। छानबीन में पता चला कि तीनों कई बार जेल जा चुके हैं। आरोपितों के कब्जे से 23 कारतूस .12 बोर तथा चार कारतूस .315 बोर के मिले। मौके से जो कच्चा माल बरामद हुआ उससे लगभग पचास तमंचे बनाए जा सकते थे। अवैध असलाह फैक्ट्री का पर्दाफाश करने वाली टीम में एसओ न्यू आगरा अरविंद निर्वाल, एसआइ हरीश कुमार और उनकी टीम शामिल थी।
दो से तीन हजार में बेचते थे तमंचा
एसएसपी सुधीर कुमार सिंह ने बताया कि गिरफ्तार आरोपित सलीम खान की जेल में एक अपराधी से दोस्ती हुई थी। वह तमंचा कारीगर था। उसी से वह तमंचा बनाना सीखा। जेल से बाहर निकलने के बाद उसने यह काम शुरू कर दिया। एक तमंचा वे दो से तीन हजार रुपये में बेच देते थे।
आखिर कहां से आए कारतूस
मौके से पुलिस ने असलाहों के साथ-साथ कारतूस भी बरामद किए हैं। मगर, यह पुलिस पर्दाफाश नहीं कर सकी कि ये कारतूस कहां से आए थे। ये कारतूस किस दुकान से बेचे गए थे और खरीदने वाला कौन था? इसकी भी जानकारी नहीं हो सकी।
तीन वर्ष पहले कारतूस को लेकर चलाया था अभियान
वर्ष 2018 में तत्कालीन एसएसपी अमित पाठक ने शस्त्र की दुकानों से अवैध तरीके से कारतूस की बिक्री रोकने के लिए अभियान चलाया था। उन्होंने थाना वार इसका वेरीफिकेशन कराया था। उस समय यह पर्दाफाश हुआ था कि शस्त्र लाइसेंस धारकों के नाम कारतूस चढ़ाकर ज्यादा दामों पर बेचे जाते हैं। कार्रवाई से पहले तत्कालीन एसएसपी अमित पाठक का तबादला हो गया। इसके बाद मामला वहीं ठंडा पड़ गया।