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Water Pollution: आगरा में कार की धुलाई से जहरीला हो रहा है जमीन का पानी

Water Pollution गाड़ियां धुलने में हो रही जल की बर्बादी रोकने वाला कोई नहीं। शहर में 300 से अधिक वाहन धुलाई सेंटर। धुलाई में प्रयुक्त पानी नालियों में बहा दिया जाता है। बिना ईटीपी के चल रहे ये सेंटर पर्यावरण के लिए खतरा बने हुए हैं।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Wed, 07 Apr 2021 03:16 PM (IST)Updated: Wed, 07 Apr 2021 03:16 PM (IST)
Water Pollution: आगरा में कार की धुलाई से जहरीला हो रहा है जमीन का पानी
शहर में 300 से अधिक वाहन धुलाई सेंटर।

आगरा, संजीव जैन। ताजनगरी में चल रहे कई उद्योग, नामी कंपनियों के सर्विस सेंटर और जगह-जगह खुले कार व बाइक वॉशिंग सेंटर खतरनाक केमिकल युक्त पानी सीधे नालियों में बह रहे हैं। इससे भूजल जहरीला हो रहा है। कार वॉशिंग सेंटरों में भूजल का दोहन हो रहा है। खतरनाक केमिकल युक्त पानी को साफ (ट्रीट) करने के लिए ईटीपी (एफ्लुएंट वाटर ट्रीटमेंट प्लांट) की एनओसी हर उद्योग के पास मिलेगी लेकिन ये वर्षों से बंद और सूखे पड़े हैं। यही हाल कार और बाइक वॉशिंग सेंटरों का भी है। स‍िकंदरा, रुनकता, सुल्‍तानगंज पुल‍िया, ईदगाह, आगरा कैंट, टीपी नगर, फतेहाबाद रोड, नुनिहाई समेत शहर के अन्य क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर वाहन धुलाई सेंटर संचालित हैं। जल संस्‍थान के कर्मचारियों के अनुसार इनकी संख्या कम से कम 300 होगी। वाहन धुलाई सेंटर दो तरह के हैं। एक जहां चार पहिया की धुलाई होती है और दूसरे दो पहिया वाहनों के। सबसे अधिक संख्या में दो पहिया वाहनों के धुलाई सेंटर हैं। अधिकतर सेंटर एक एचपी की मोटर लगाकर भूजल दोहन करते हैं। कुछ ऐसे भी हैं जो घरेलू पानी कनेक्शन पर व्यवसाय कर रहे हैं। धुलाई में प्रयुक्त पानी नालियों में बहा दिया जाता है। बिना ईटीपी के चल रहे ये सेंटर पर्यावरण के लिए खतरा बने हुए हैं।

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यह है औद्योगिक एस्टेट का हाल

एनजीटी द्वारा गठित उत्तर प्रदेश सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट मॉनीटरिंग कमेटी ने औद्योगिक एस्टेट से बह रहे इस खतरनाक केमिकल को लेकर चिंता जताई थी। उन्होंने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि इनसे कैंसर व अस्थमा फैल रहा है। अथॉरिटी की टीम ने पिछले दिनों नुनिहाई,अछनेरा, फाउंडरी नगर,सिकंदरा ए, बी व सी औद्योगिक एस्टेट के कचरा प्रबंधन का हाल जानने के लिए निरीक्षण किया था। उनकी रिपोर्ट के मुताबिक ईटीपी सिर्फ कहने को लगे हैं। पड़ताल में सामने आया है कि शहर में स्थित होंडा, मर्सेडीज, महिंद्रा, टाटा सागर मोटर्स समेत बडी कंपनियों के सर्विस सेंटर और शोरूम में ईटीपी काम करता मिला जबक‍ि अन्‍य मे बंद म‍िले। करीब 280 सर्विस सेंटर में ईटीपी ही नहींं हैंं। उप्र प्रदूषण न‍ियंत्रण व‍िभाग में 10 कार वॉशिंग सेंटर रजिस्टर्ड हैं।

कार की धुलाई से गंदा हो रहा जमीन का पानी

प्रदूषण विभाग के रिकॉर्ड के अनुसार, सिर्फ 10 कार वॉशिंग सेंटर पंजीकृत हैं। इनमें ईटीपी लगे हैं, अन्‍य 290 का कोई रिकॉर्ड नहीं है। शहर में करीब 300 वाहन वॉशिंग सेंटर चल रहे हैं इनमें किसी में ईटीपी नहीं है और अवैध दोहन कर भूजल की बर्बादी हो रही है, जबकि इनमें वाहनों की धुलाई के लिए एसटीपी का पानी इस्तेमाल होना चाहिए। कार व बाइक वॉशिंग सेंटर और औद्योगिक एस्टेट से निकलने वाले खतरनाक केमिकल युक्त पानी को खुले में नाली नालों में बहाया जाता है तो यह पर्यावरण के लिए खतरनाक होता है। इसका सीधा प्रभाव भूजल पर पड़ता है। जहां भी ऐसा वेस्ट बहाया जाता है उसके 500-700 मीटर तक का भूजल जहरीला हो जाता है। ऐसे पानी के इस्तेमाल से लोगों को कैंसर व अन्य तमाम तरह की खतरनाक बीमारियों की चपेट में आ जाते हैं। मानकों के अनुसार ईटीपी का 100 प्रतिशत संचालन होना अनिवार्य है, लेकिन व‍िशेषज्ञों के अनुसार आगरा में मात्र एक फीसद ही इसका पालन हो रहा है।

क्या होता है ईटीपी

ईटीपी किसी भी इंडस्ट्री व कार-बाइक वॉशिंग सेंटर में अनिवार्य रूप से लगाया जाने वाला ऐसा संयंत्र होता है जो कि इनसे निकलने वाले ऑयल, ग्रीस, पेंट, हैवी मेटल्स व अन्य खतरनाक केमिकल युक्त जहरीले पानी व गंदगी को साफ करता है।

जल संरक्षण की चिंता नहीं

नगर निगम क्षेत्र में यह कारोबार फलफूल रहा है, लेकिन निगम के पास इनसे संबंधित कोई रिकार्ड तक नहीं है। इनके पंजीयन की व्यवस्था तक नहीं है। 100 रुपये प्रतिमाह पर कमर्शियल पानी कनेक्शन देने का प्रविधान है, लेकिन जलकल संस्‍थान से कितने वाहन धुलाई सेंटरों को कमर्शियल कनेक्शन दिए गए, इसका भी कोई लेखा-जोखा नहीं है। इससे निगम को हर महीने लाखों रुपये की चपत लग रही है।

फैक्‍ट फाइल

-शहर को हर दिन 400 मिलियन लीटर्स पर डे (एमएलडी) पानी की जरूरत है इन द‍िनों

-100 रुपये प्रतिमाह कमर्शियल पानी कनेक्शन देने का प्रविधान।

-700 लीटर न्यूनतम पानी की खपत है एक वाहन धुलाई सेंटर की।

-240000 लीटर प्रतिदिन न्यूनतम भूजल दोहन होता है वाहन धुलाई सेंटरों के द्वारा।

यह होना चाहिए

-वाहन धुलाई सेंटरों पर पानी खर्च करने पर अंकुश लगाया जाए।

-पंजीयन कराकर रिकार्ड रखा जाए।

-कामर्शियल पानी कनेक्शन के मद में शत-प्रतिशत वसूली हो।

-अवैध रूप से संचालित वाहन धुलाई सेंटर की रोकथाम हो।

-वाहन धुलाई से वेस्ट पानी को दोबारा उपयोग में लाने की व्यवस्था हो।

-वाहन सफाई के लिए पानी की जगह प्रेशर हवा का विकल्प बनाया जाए।

अधिकांश इंडस्ट्रीज व 10 कार वॉशिंग सेंटर में ईपीटी लगे हैं। वे कितना काम करते हैं यह अलग विषय है। हम समय-समय पर जांच भी करते हैं। ज‍िन कार वॉशिंग सेंटर में ईटीपी नही लगे है, उनकी जांच की जाएगी। भुवन प्रकाश यादव, क्षेत्रीय अधिकारी, उप्र प्रदूषण न‍ियंत्रण बोर्ड 


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