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घर के आंगन से सड़क तक फैलाई हरियाली

अंकुश देव सात वर्ष से खाली भूमि और रोड किनारे डाल रहे बीज ग्वालियर रोड छावनी क्षेत्र और ताज नेचर वाक में पौधे बनने लगे पेड़

By JagranEdited By: Published: Sat, 20 Mar 2021 11:30 PM (IST)Updated: Sat, 20 Mar 2021 11:30 PM (IST)
घर के आंगन से सड़क तक फैलाई हरियाली

आगरा, जागरण संवाददाता। धरती पर फैली हरियाली, झूम रही डाली-डाली.। लेखक सैय्यदा फरहत की नज्म की ये पंक्तियां अंकुश देव को प्रफुल्लित करती हैं। क्योंकि उनके पद चिन्ह भी अब धरा के श्रृंगार में बदलने लगे हैं। उन्होंने घर के आंगन से लेकर गली और सड़क किनारे तक प्रकृति को इस तरह फैलाय है कि राहगीर भी उसका लुत्फ उठा रहे हैं।

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पथवारी निवासी अंकुश देव 12वीं की पढ़ाई दौरान कभी भी जंगल में घूमने निकल जाते थे। प्रकृति को निहारने के लिए कक्षा भी छोड़ देते थे। 12वीं पास की तो एक निजी कंपनी में नौकरी लग गई, लेकिन प्रकृति से लगाव के आगे उन्हें ये सब थोड़ा नजर आया। वर्ष 2014 में उन्होंने नौकरी छोड़ दी। फिर प्रकृति प्रेम अंकुश के सिर परवान चढ़ गया और उन्होंने पूरी जवानी धरा के श्रृंगार के लिए न्यौछावर कर दी। अब उनकी मेहनत सफलता की ओर है। ग्वालियर रोड और छावनी क्षेत्र में उनके द्वारा डाले गए बीजों से बने पौधे काफी बड़े हो चुके हैं। वे बताते हैं कि उन्होंने ताज नेचर वाक में तितलियों की आबादी बढ़ाने के लिए भी काम किया है। उन्होंने आगरा में विलुप्त होती 37 प्रजातियों के पौधों को बचाया है। बरसात के मौसम में डालते हैं बीज

अंकुश देव बरसात के मौसम में हर वक्त अपने साथ सहजन, देसी बबूल, नीम, जामुन और खजूर के बीज रखते हैं। जहां से गुजरते हैं, वहीं खाली जगह देखकर बीज डाल देते हैं। उन्होंने सबसे ज्यादा ग्वालियर रोड और छावनी क्षेत्र, सिकंदरा में बीज डाले हैं। बीज से उगे पौधे अब पेड़ बनने की ओर अग्रसर हैं। इन पौधों पर किया काम

कनकेरो (साइंटिफिक नाम-जिमनो स्पेरिया सिनिगल नेनसिस), फाल्सा ग्रेविया एशियटिका, ग्रेविया फ्लेवोसेंस, लौबान, गुग्गुल, धौं (मथुरा के वृंदावन में मिलता है), बारलेरिया प्लेनिट्स, फाइकस स्कूडा (कटगूलर), धवई, मिमोजा अमाटा (गुलाबी बबूल), दूधा खिरनी, ऊंट कटेली, इंद्र जौ, पत्थर चट्टा, अपराजिता आदि के पौधे अंकुश देव ने विभिन्न प्रदेशों से लाकर आगरा की धरती पर लगाए हैं।


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