जीवन का मंत्र है चलते रहो: राम नाईक
विवि के दीक्षा समारोह में कुलाधिपति राम नाईक ने छात्र-छात्राओं को जीवन में कड़ी मेहनत करने और आगे बढ़ने का मूल मंत्र दिया। उन्होंने कहा कि सफलता का कोई शॉर्टकट नहीं है। सफलता के लिए कड़ी मेहनत, प्रमाणिकता और पारदर्शिता को साथ रखें। कभी-कभी सफलता नहीं मिलती है। ऐसे में असफलता से निराश होने की जरूरत नहीं है बल्कि असफलता पर आत्मनिरीक्षण करना चाहिए।
जागरण संवाददाता, आगरा: विवि के दीक्षा समारोह में कुलाधिपति राम नाईक ने छात्र-छात्राओं को जीवन में कड़ी मेहनत करने और आगे बढ़ने का मूल मंत्र दिया। उन्होंने कहा कि सफलता का कोई शॉर्टकट नहीं है। सफलता के लिए कड़ी मेहनत, प्रमाणिकता और पारदर्शिता को साथ रखें। कभी-कभी सफलता नहीं मिलती है। ऐसे में असफलता से निराश होने की जरूरत नहीं है बल्कि असफलता पर आत्मनिरीक्षण करना चाहिए। उन्होंने कहा कि अब आपकी किताबी पढ़ाई समाप्त होगी और जीवन के संघर्ष की पढ़ाई शुरू होगी। जीवन भर नया ज्ञान प्राप्त करते रहना, नहीं तो जीवन की दौड़ में आप पीछे रह जाओगे।
इससे पहले उन्होंने अपने भाषण की शुरुआत राष्ट्रपति के अभिनंदन के साथ की। उन्होंने कहा कि मेरा सौभाग्य है कि मुख्य अतिथि के रूप में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का दीक्षा समारोह में स्वागत का अवसर प्राप्त हुआ। यह उत्तर प्रदेश और खासकर आगरा के लिए गौरवान्वित होने का अवसर है कि राष्ट्रपति का प्रदेश के किसी उच्च शैक्षिक संस्थान में पहला दीक्षांत उद्बोधन होगा। मुझे खुशी है कि हमारे राष्ट्रपति देश की उच्च शिक्षा की गुणवत्ता के प्रति सजग हैं और इस संबंध में उनका मार्गदर्शन हमें प्राप्त हो रहा है।
महिला सशक्तिकरण का सुखद चित्र
कुलाधिपति ने दीक्षा समारोह में 114 मेडल में से 96 मेडल छात्राओं को मिलने पर प्रसन्नता जाहिर की। उन्होंने कहा कि यहां पर 'बेटी बचाओ और बेटी पढ़ाओ' का सुखद चित्र दिखाई दे रहा है। उन्होंने कहा कि विवि में छात्र-छात्राओं की कुल संख्या 1,93 हजार है। इसमें से 52 फीसद छात्र और 48 फीसद छात्राएं हैं। छात्राओं की संख्या बढ़ रही है। यह महिला सशक्तिकरण का शुभ संकेत है। आने वाले साल में दोनों की संख्या 50-50 फीसद होगी।
अंबेडकर नहीं आंबेडकर सही
कुलाधिपति ने अपने भाषण में डॉ. भीमराव अंबेडकर के नाम के बारे में भी बात की। उन्होंने कहा कि डॉ. अंबेडकर का पूरा नाम भीमराव रामजी आंबेडकर है। भीमराव एक शब्द है। जब भीम और राव अलग-अलग लिखा जाता है तो वह सही नहीं है। उन्होंने कहा कि ज्यादातर लोग अंबेडकर लिखते हैं, जो शुद्ध नहीं है। सही शब्द आंबेडकर है। यही नाम लिखना चाहिए। विवि का जो अधिनियम बनाया गया है, उसमें नाम गलत लिखा है। मैंने राज्य सरकार से अधिनियम में सुधार के लिए लिखा है। अपने विचार के समर्थन में मैंने संविधान की मूल प्रति पर डॉ. आंबेडकर की जो स्वाक्षरी है, वह सरकार को भेजी है।