आखिरकार खुल ही गए दानघाटी मंदिर के पट, भक्तों को मिली राहत पर विरोध जारी
श्रद्धालुओं की आस्था को देखते हुए देर रात हुआ फैसला। सेवायत फिर भी बैठे धरने पर।
आगरा, जेएनएन। राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) के आदेश पर अतिक्रमण पर ध्वस्तीकरण की कार्रवाई में निशाने पर आए दानघाटी मंदिर, गोवर्धन के पट आखिरकार भक्तों के लिए खोल दिए गए। देर रात सेवायत और जिला प्रशासन की वार्ता के बाद देर रात मंदिर के पट खोलने का निर्णय लिया गया। सुबह दर्शनार्थियों के लिए पट खोल दिए गए। सेवायत और एसडीएम गोवर्धन नागेंद्र सिंह के मध्य हुई वार्ता में श्रद्धालुओं की सुविधा और आस्था को देखते हुए यह निर्णय लिया गया। हालांकि सेवायत अभी भी अपनी मांग पर अड़े हैं और विरोध जारी करते हुए धरने पर बैठे हैं।
बता दें कि एनजीटी के आदेश पर मंदिर के आरती स्थल को बुधवार को एसडीएम गोवर्धन नागेंद्र सिंह ने सरकारी अमला के साथ दानघाटी मंदिर के सामने बने आरती स्थल को जमींदोज कर दिया था। जिससे सेवायतों में आक्रोश पनप गया और दानघाटी मंदिर के दर्शनों पर पाबंदी लगाते हुए दरवाजे बंद कर दिए। गुरूवार को भी मंदिरों के प्रवेश पर बंद दरवाजों का पहरा था। मुकुट मुखारविंद गिरिराजजी मंदिर के भी दरवाजे नहीं खुले। सेवायतों द्वारा हरगोकुल मंदिर पर एक चेतावनी बोर्ड भी लगाया गया है, जिस पर माननीय न्यायालय द्वारा स्टे देने का हवाला दिया गया है। हालांकि जतीपुरा गिरिराजजी इस बंद से अछूते रहे। इस इस मंदिर पर रोजाना की भांति भक्त सेवा पूजा करते रहे। सेवायत इस लड़ाई को लंबी खींचने के मूड़ में हैं।
भक्तों को हो रही थी असुविधा
दानघाटी मंदिर का गोवर्धन की परिक्रमा में विशेष महत्व है। श्रद्धालु इसी मंदिर के दर्शन कर परिक्रमा आरंभ करते हैं। मन्नत के लिए लोग यहां पर दूध की धार चढ़ाने आते हैं। आसपास के ही नहीं बल्कि देश विदेश के दर्शनार्थी यहां दर्शन के लिए आते हैं। सेवायतों द्वारा किये जा रहे प्रशासन के विरोध का दंश भक्तों को झेलना पड़ रहा था। अपनी मन्नत लेकर भगवान के दर पर पहुंचने वालों को भगवान के घर से निराश लौटना पड़ रहा था।
सेवायतों का एक पक्ष है समर्थन में
मुकुट मुखारविंद मंदिर के सेवायतों का एक पक्ष जोकि न्यायालय में वादी भी है, मंदिर बंद का विरोध कर रहा था, तथा किसी भी तरह के स्टे होने से इंकार कर रहा था। यह पक्ष भी रणनीति तैयार कर रहा है। तथा मंदिर बंद को इन्होंने अवैध करार दिया है। इस पक्ष का मानना है कि गोवर्धन पर्वत को सुरक्षित करने के लिए एनजीटी और प्रशासन के कदम पर वह साथ हैं तथा सहयोग को तैयार हैं।