कूड़ा जलाकर समाज को दे रहे हैं जहर, रखे ध्यान, दूसरे न हो परेशान
सूरसदन में मंगलवार को सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट रूल पर हुई वर्कशॉप। सफाईकर्मियों को कूड़ा जलाने के दुष्प्रभावों के प्रति किया जागरूक।
By Edited By: Published: Wed, 15 May 2019 02:05 AM (IST)Updated: Wed, 15 May 2019 02:07 AM (IST)
आगरा, जागरण संवाददाता। सूरसदन सभागार में मंगलवार को सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट रूल, 2016 पर वर्कशॉप हुई। इसमें कूड़ा नहीं जलाने और उसके पृथककीकरण पर जोर दिया गया। कूड़ा जलाने के दुष्प्रभावों के प्रति जागरूक किया गया। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने अलमित्रा एवं पटेल बनाम भारत गणराज्य के मामले में राज्यों को सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट रूल, 2016 के अनुपालन के निर्देश दिए थे। इस कड़ी में मंगलवार को सूरसदन में सफाईकर्मियों को जागरूक करने के लिए वर्कशॉप हुई। डीएम एनजी रवि कुमार ने कहा कि कूड़ा जलाने वालों पर कड़ी कार्रवाई की जाए। यदि कोई इसमें अवरोध पैदा करता है तो उसकी सूचना उन्हें दी जाए। एसएसपी अमित पाठक ने कहा कि कूड़ा जलाकर हम किसी न किसी रूप में सीधे जहर ग्रहण कर रहे हैं और समाज को भी जहर दे रहे हैं। उप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी भुवन यादव ने कूड़े के पृथकीकरण पर जोर देते हुए गीला व सूखा कूड़ा अलग-अलग ले जाने व उसे अलग-अलग हरे व नीले रंग के कूड़ेदानों में रखने को कहा। एनजीटी ने कूड़ा जलाने पर रोक लगा रखी है। कूड़ा जलाने पर पांच हजार रुपये और अधिक मात्रा में कूड़ा जलाने पर 25 हजार रुपये का जुर्माना हो सकता है। वर्कशॉप में सुप्रीम कोर्ट मॉनीट¨रग कमेटी के सदस्य रमन, पर्यावरण अभियंता राजीव राठी, टीटीजेड के पर्यावरण अधिकारी डॉ. विश्वनाथ शर्मा समेत अन्य अधिकारी, सभी जेडएसओ, सीएसएफआइ, एसएफआइ, सुपरवाइजर मौजूद रहे। प रस्कृत किया जाएगा वार्ड वर्कशॉप में नगर आयुक्त अरुण प्रकाश ने कूड़े के जलाने से होने वाले दुष्प्रभावों की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि जिन वार्डो में कूड़े में आग लगने की घटना कम होगी या जो अच्छा काम करेगा, उसे पुरस्कृत किया जाएगा। कूड़ा जलने के दुष्प्रभाव -कूड़ा जलने से उठने वाले धुएं में कार्बन मोनो-ऑक्साइड गैस की मात्रा बढ़ जाती है। यह हवा की तुलना में भारी होती है। -जमीन पर पड़ा कूड़ा जलने से उसके हानिकारक तत्व वातावरण में अधिक ऊंचाई तक नहीं जा पाते। नीचे रहने की वजह से वो श्वास लेने पर शरीर में प्रवेश कर जाते हैं और फेफड़ों के अंदर जम जाते हैं। -कूड़े में पॉलीथिन, प्लास्टिक, कपड़ा जलने से सल्फाइड व नाइट्रोजन की खतरनाक यौगिक गैस निकलती हैं, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं। कूड़ा जलने से होने वाले प्रदूषण से अस्थमा और सीओपीडी के मामले बढ़ते हैं। हृदय रोगियों के लिए ये नुकसानदायक है। अधिक समय तक प्रदूषित वातावरण में रहने से फेफड़ों का कैंसर भी हो सकता है। -डॉ. संतोष कुमार, विभागाध्यक्ष, टीबी एवं चेस्ट विभाग एसएन मेडिकल कॉलेज एसएन मेडिकल कॉलेज में प्रदूषण के गर्भवती महिलाओं व गर्भस्थ शिशुओं पर पड़ने वाले प्रभाव पर अध्ययन कराया गया था। इससे समय पूर्व प्रसव के मामले बढ़ते हैं। बच्चे कम वजन के होते हैं। -डॉ. सरोज सिंह, विभागाध्यक्ष स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग, एसएन मेडिकल कॉलेज
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