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'मौत' की लाइन से दिलाई गांव को आजादी

रामनिवास यादव ने सूचना के अधिकार के तहत गांवों को दिलाई बड़ी समस्या से राहत।

By JagranEdited By: Published: Sat, 04 Aug 2018 03:00 PM (IST)Updated: Sat, 04 Aug 2018 03:00 PM (IST)
'मौत' की लाइन से दिलाई गांव को आजादी
'मौत' की लाइन से दिलाई गांव को आजादी

आगरा (जिज्ञासु वशिष्ठ): फीरोजाबाद के गांव बन्ना के लोगों को आज भी याद है वर्ष 2008 से पहले का वक्त। जब गांव के 70 परिवारों पर हर वक्त घर के ऊपर से गुजरती बिजली लाइन का खतरा मंडराता रहता था। ग्रामीण जब भी बिजली दफ्तर जाते तो अधिकारी नियम कानून का पाठ पढ़ाकर लौटा देते। कहा जाता लाइन पुरानी है, मकान बाद में बने हैं। हटवानी है तो ग्रामीण खुद चंदा करें और हटवाने का खर्च जमा कराएं। ऐसे में इन ग्रामीणों के लिए मददगार बनकर आए रामनिवास यादव। उन्होंने ग्रामीणों के लिए सूचना आयोग के जरिए लड़ाई लड़ी।

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फीरोजाबाद ब्लॉक के गांव मौढ़ा निवासी राम निवास का बन्ना से कोई नाता नहीं था, लेकिन फिर भी उन्होंने इस गांव की आवाज को ऊपर तक उठाया। सूचना के अधिकार में विभाग से जवाब मांगा तो आयोग में तलब होने पर अफसरों में खलबली मच गई। जिन अफसरों के दफ्तर में ग्रामीण गुहार लगाने के लिए खड़े रहते थे, वही अफसर दौड़े आए और लाइन को हटवाया। वर्ष 1988 से समाजसेवा के क्षेत्र में आए रामनिवास ने कई जरूरतमंदों को उनका हक दिलाया। इसके लिए खुद भी संघर्ष किया। पहले संगठनों के जरिए अफसरों तक आवाज पहुंचाने वाले रामनिवास यादव ने बाद में सूचना का अधिकार को हथियार बनाया। दौंकेली निवासी राजकुमारी पत्नी सोबरन ¨सह एवं जयश्रीराम पुत्र बदन ¨सह के निर्धन होने पर राशन कार्ड नहीं बन पा रहे थे। जब मामला इनके संज्ञान में आया तो उन्होंने सूचना का अधिकार में जवाब मांगा। आयोग में तलब होते ही ग्राम पंचायत सचिव दौड़े-दौड़े पीड़ित के घर पहुंचे तथा राशन कार्ड बनवाए। समाज से जुड़ी विभिन्न समस्याओं के लिए रामनिवास सदैव तैयार रहते हैं तथा पीड़ितों की मदद के लिए लखनऊ एवं दिल्ली आयोग तक दौड़ भी खुद के खर्च पर लगाते हैं। सूचना के अधिकार की जानकारी देने के लिए वह गांव-गांव कैंप भी लगाते हैं।

चौथ वसूली के खिलाफ लड़ाई ने बनाया जन योद्धा :

रामनिवास यादव ने वर्ष 1987 में एक टेंपो खरीदा था। उस वक्त फीरोजाबाद आगरा जिले में आता था। शिकोहाबाद तक टेंपों को चलाने पर हर चौराहा पर पुलिस को भेंट चढ़ानी पड़ती थी। महीने में 750 रुपये देने पड़ते थे। जब इन्हें इसकी जानकारी मिली तो इन्होंने इसका विरोध किया। टेंपो की उस वक्त एसोसिएशन नहीं थी, ऐसे में सबको एकजुट किया। आगरा तक संघर्ष किया। कई महीने के संघर्ष के बाद तत्कालीन सीओ ने संज्ञान लेकर राहत दिलाई। वर्ष 1988 से वह लोगों की सेवा में जुट गए। संगठनों से जुड़कर काम किया। 1996 में कांग्रेस के सक्रिय कार्यकर्ता बने। वर्तमान में सूचना का अधिकार टास्क फोर्स के प्रदेश महासचिव हैं।

हाईस्कूल तक शिक्षा, फिर भी जानकारी में अव्वल :

रामनिवास मात्र हाईस्कूल तक शिक्षित हैं, लेकिन सूचना का अधिकार के साथ प्रशासनिक शिकायतों के संबंध में काफी जानकारी रखते हैं। कई बार तो सूचना का अधिकार के संबंध में कुछ अधिवक्ता भी जानकारी लेने के लिए उनके पास पहुंचते हैं।

इन विभागों पर लगा जुर्माना:

पीडब्लूडी, सहायक श्रमायुक्त बालश्रम, एक्सईएन विद्युत, खंड विकास अधिकारी, तहसीलदार सदर, जिला बेसिक शिक्षाधिकारी एवं अन्य अधिकारियों पर।


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