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बसपा में निष्‍कासन का एक्‍शन है पुराना, जो घर लौटे उन्‍हेंं दोबारा दिखा दिया बाहर का रास्‍ता Agra News

अनुशासनहीनता व विरोधी गतिविधियों में लिप्त पाए जाने की मिली रिपोर्ट। सुनील चित्तौड़ तो बसपा सुप्रीमो की चहेतों वाली सूची में माने जाते थे शामिल।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Mon, 11 Nov 2019 02:01 PM (IST)Updated: Mon, 11 Nov 2019 06:49 PM (IST)
बसपा में निष्‍कासन का एक्‍शन है पुराना, जो घर लौटे उन्‍हेंं दोबारा दिखा दिया बाहर का रास्‍ता Agra News
बसपा में निष्‍कासन का एक्‍शन है पुराना, जो घर लौटे उन्‍हेंं दोबारा दिखा दिया बाहर का रास्‍ता Agra News

आगरा, जागरण संवाददाता। बहुजन समाज पार्टी से रविवार को सात पदाधिकारी निष्कासित किए गए। यह देख पार्टी में एक दिन बाद भी खलबली मची हुई है। सात में से चार दूसरी बार निष्कासित हुए हैं। सुनील चित्तौड़ का निष्कासन सबसे ज्यादा चौंकाने वाला है। वह बसपा सुप्रीमो की चहेतों वाली सूची में शामिल थे।

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पार्टी सुप्रीमो मायावती के आदेश पर जिलाध्यक्ष संतोष आनंद ने पूर्व एमएलसी सुनील चित्तौड़, स्वदेश कुमार सुमन, पूर्व मंत्री नारायण सिंह, पूर्व विधायक कालीचरण सुमन, पूर्व जिलाध्यक्ष डॉ. मलखान सिंह व्यास, डॉ. भारतेंद्र अरुण, विक्रम सिंह को अनुशासनहीनता एवं पार्टी विरोधी गतिविधियों में पाए जाने पर निष्कासित किया है। सभी का एक पूर्व प्रत्याशी पर निकलवाने का संदेह गहराया हुआ हैं। दबी जुबान से वह बोल रहे हैं कि पूर्व प्रत्याशी ने बसपा सुप्रीमो को गुमराह किया है।

हालांकि चार के लिए निष्कासन नया नहीं है। सुनील चित्तौड़ को वर्ष 1997 में भी बसपा से निष्कासित किया गया था। वर्ष 2002 में उनकी फिर से वापसी हुई थी। वह वर्ष 1996 में पार्टी से टिकट लेकर फिरोजाबाद लोकसभा क्षेत्र से चुनाव भी लड़ चुके हैं। कुछ महीने पूर्व टूंडला उप चुनाव में भी पार्टी ने उन्हें अपना प्रत्याशी बनाया था।

पूर्व मंत्री नारायण सिंह सुमन और उनके बेटे पूर्व एमएलसी स्वदेश कुमार सुमन को वर्ष 2016 में निष्कासित किया गया था। निष्कासन की वजह यह थी कि नारायन सिंह के छोटे बेटे अवधेश सुमन को पार्टी ने एमएलसी का टिकट दिया था, लेकिन वह नामांकन भरने नहीं गए। बसपा सुप्रीमो नाराज हो गई थीं और निष्कासन कर दिया था। दो महीने पहले ही नारायण सिंह और स्वदेश कुमार सुमन की फिर से वापसी हुई थी। पूर्व जिलाध्यक्ष भारतेंदु अरुण को तीन मार्च, 2019 को पार्टी विरोधी गतिविधियों में पाए जाने पर निष्कासित किया गया था। दो महीने पहले उनकी फिर से वापसी हुई थी। इनके अलावा पूर्व विधायक कालीचरण सुमन, विक्रम सिंह, डॉ. मलखान सिंह व्यास पर पहली बार निष्कासन की गाज गिरी है। विक्रम सिंह सिर्फ एक दिन के लिए जिलाध्यक्ष रहे थे।

कई पहले से चल रहे निष्कासित

पूर्व एमएलसी धर्मप्रकाश भारतीय को फरवरी 2016 में निष्कासित किए गए थे। आगरा लोकसभा से चुनाव लडऩे वाले कुंवर चंद वकील को भी फरवरी 2019 में निष्कासित किया जा चुका है। पूर्व विधायक डॉ. धर्मपाल सिंह, ठा. सूरजपाल सिंह, भगवान सिंह कुशवाह का भी निष्कासन हो चुका है। लोकसभा चुनाव में यह तीनों राजबब्बर के समर्थन में आ गए थे। इस वजह से निष्कासन कर दिया गया। पूर्व विधायक जुल्फिकार अहमद भुट्टो का भी एक बार निष्कासन हो चुका है। बाद में उनकी वापसी कर ली गई थी।

यह चले गए भाजपा में

पूर्व विधायक छावनी गुटियारी लाल दुबेश, पूर्व प्रत्याशी उमेश सैथिया, पूर्व मेयर प्रत्याशी दिगंबर सिंह धाकरे लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा में चले गए थे। अब पार्टी के पास जिले में गिने चुने चेहरे ही रह गए हैं।

बसपा सुप्रीमों को कर दिया गया है गुमराह

हमने पार्टी को बढ़ाया है। अनुशासन के साथ काम किया है। किसी ने बसपा सुप्रीमो को गुमराह कर दिया है जिसके बाद हमारा निष्कासन हुआ है।

-सुनील चित्तौड़

मैं पार्टी से लंबे समय से जुड़ा हुआ हूं। पार्टी का वफादार सिपाही हूं। पूर्व की तरह काम करता रहूंगा। बसपा सुप्रीमो के सामने अपना पक्ष भी रखूंगा।

-कालीचरण सुमन, पूर्व विधायक  


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