Greenery at Agra: आगरा में करोड़ों पौधे लगाने का दावा, फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया ने झुठलाया, बढ़ने की जगह घट गई हरियाली
आगरा में 9.38 वर्ग किलोमीटर घट गया हरित क्षेत्र। 2019 में फारेस्ट सर्वे आफ इंडिया ने जारी की थी रिपोर्ट। इस साल नवंबर में आएगी ताजा रिपोर्ट। आगरा पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की गाइडलाइन नहीं उतर रहा खरा।
आगरा, प्रभजोत कौर। ताजनगरी का हरित क्षेत्र पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की गाइडलाइन पर खरा नहीं उतर रहा है। सालों से हरियाली बढ़ाने की कवायद के बाद भी 2017 से 2019 तक में 9.38 वर्ग किलोमीटर हरित क्षेत्र घट गया है। यह आंकड़ा फारेस्ट सर्वे आफ इंडिया की 2019 में आई रिपोर्ट का है। फारेस्ट सर्वे आफ इंडिया हर दो साल में सर्वे कराता है। इस साल का सर्वे नवंबर में होगा। वर्ष 2017 की रिपोर्ट में हरित क्षेत्र 272 वर्ग किलोमीटर था, जो वर्ष 2019 में घटकर 262.62 वर्ग किलोमीटर रह गया। खुले जंगल 9.06 वर्ग किलोमीटर और मध्यम घनत्व वाले जंगल में 0.32 वर्ग किलोमीटर की कमी पाई गई। इस कारण झाडिय़ों का क्षेत्रफल 11.14 किलोमीटर बढ़ा है।
पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की गाइडलाइन के अनुसार किसी जिले में कुल क्षेत्रफल का 33 फीसद तक हरित क्षेत्र होना चाहिए।आगरा का क्षेत्रफल 4041 वर्ग किलोमीटर का है। फारेस्ट सर्वे आफ इंडिया की वर्ष 2017 की रिपोर्ट के अनुसार आगरा में 6.73 फीसद ही हरित क्षेत्र है। जबकि वर्ष 2001 में आगरा में 6.38 फीसद वन क्षेत्र था, जो वर्ष 2017 में बढ़कर 6.73 तक पहुंच गया।
लगाए गए करोड़ों पौधे
30 दिसंबर 1996 में ताजमहल से 50 किलोमीटर की परिधि में सुप्रीम कोर्ट ने ताज ट्रिपेजियम जोन (टीटीजेड) बनाने का आदेश किया था। इसमें आगरा, फीरोजाबाद, मथुरा, हाथरस, भरतपुर जिले शामिल हुए। ताज संरक्षित क्षेत्र में हरियाली को बढ़ाने के लिए 2019 में नौ करोड़ पौधे रोपे गए थे। 2020 में यह आंकड़ा 22 करोड़ तक पहुंच गया। वहीं, जिले में 28 लाख पौधे रोपे गए, लेकिन हरियाली का ग्राफ नहीं बढ़ सका। फारेस्ट सर्वे आफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार एक दशक में हरियाली 6.84 फीसद से 6.73 फीसद रह गई है। बता दें कि 4041 वर्ग क्षेत्रफल में फैले आगरा में 6.73 वर्ग किमी में वन और 272 वर्ग किमी में हरियाली है। सुप्रीम कोर्ट और एनजीटी की सख्ती के बाद भी गत वर्षों में रोपे गए पौधों की उचित देखभाल न होने से पेड़ बन ही नहीं पाते हैं। पालीवाल पार्क में सैकड़ों पौधे रोपे गए, लेकिन रखरखाव न होने के कारण सूख गए। यमुना किनारे 38 हजार पौधे रोपे गए थे। लेकिन ये यमुना के बढ़ते जलस्तर की भेंट चढ़ गए।
विकास की बलि चढ़े लाखों पेड़
2019 में अप्रैल और मई में आए तूफान से जनपद में हजारों पेड़ टूटे थे। यही नहीं, आगरा में विकास कार्य के नाम पर 1996 से अब तक डेढ़ लाख से ज्यादा पेड़ काटे जा चुके हैं। जिसमें आगरा-मथुरा हाईवे के चौड़ीकरण में 11327 पेड़, न्यू दक्षिणी बाइपास के लिए 400 पेड़, आगरा-अलीगढ़ राजमार्ग के चौड़ीकरण में 484 पेड़, फतेहाबाद रोड के चौड़ीकरण को 600 से अधिक पेड़ काटे गए थे। यमुना एक्सप्रेस-वे के निर्माण के दौरान 23 हजार पेड़ों पर कुल्हाड़ी चलाई गई। तकरीबन 457 पेड़ चौथी रेल लाइन के डालने के दौरान काटे गए। इसके बाद माल रोड के चौड़ीकरण के समय 900 से ज्यादा पेड़ों पर आरी चलाई गई। ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस-वे के निर्माण के दौरान 67 हजार पेड़ों को काटा गया। तकरीबन 35 हजार पेड़ हाईटेंशन लाइन समेत अन्य परियोजनाओं को मूर्त रूप देने के दौरान काटे गए। 111 पेड़ गंगाजल की पाइपलाइन बिछाने के दौरान काटे गए। मेट्रो परियोजना के लिए भी हजारों पेड़ काटे गए हैं।
फारेस्ट सर्वे आफ इंडिया की ताजा रिपोर्ट का इंतजार है, इसके नवंबर में आने की संभावना है। ताजा रिपोर्ट में वन क्षेत्र की स्थिति की जानकारी हो पाएगी।- सत्यदेव, वन निरीक्षक