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कुंभ 2019: धर्म और संस्‍कृति के संगम में हिल्‍लोरे लेंगी ताजनगरी की लोककलाएं

मुगलकालीन ख्यालगोई में तुर्रा और कलगी में होगा रोचक मुकाबला। शौर्य गाथाओं से रोमांच पैदा करेंगे राजपूताना होली के गीत।

By Prateek GuptaEdited By: Published: Sun, 13 Jan 2019 03:07 PM (IST)Updated: Sun, 13 Jan 2019 03:07 PM (IST)
कुंभ 2019: धर्म और संस्‍कृति के संगम में हिल्‍लोरे लेंगी ताजनगरी की लोककलाएं

आगरा, निर्लोष कुमार। प्रयागराज में 15 जनवरी से चार मार्च तक होने जा रहा कुंभ ताजनगरी की लोककलाओं की खुशबू से महकेगा। मुगलकालीन ख्यालगोई की समृद्ध विरासत में तुर्रा और कलगी पक्ष के कलाकारों द्वारा जवाबी मुकाबले की प्रस्तुति दी जाएगी। जगनेर की राजपूताना होली में शौर्य गाथाएं पंचम सुर में सुनने को मिलेंगी।

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 प्रयागराज में हो रहे कुंभ में प्रदेश की विभिन्न संस्कृति से भी लोगों को रूबरू कराया जाएगा। प्रयागराज के सेक्टर 13 में संस्कार भारती के मंच पर सांस्कृतिक प्रस्तुतियां होंगी। लोक गायकी कार्यक्रम के स्थानीय समन्वयक और संस्कार भारती के अखिल भारतीय साहित्य संयोजक राज बहादुर सिंह राज ने बताया कि 28 जनवरी को जगनेर के नरेंद्र पाठक के नेतृत्व में 14 कलाकारोंं का दल राजपूताना होली गायन करेगा। आठ फरवरी को लोक गायकी ख्यालगोई की प्रस्तुति दी जाएगी। इसमें तुर्रा पक्ष से आगरा के नीरज शर्मा व हरीश यादव और कलगी पक्ष से मथुरा के संपत और संजय गोला के बीच जवाबी मुकाबला होगा।

मुगलकालीन है ख्यालगोई

ख्यालगोई की शुरुआत आगरा में मुगलकाल में हुई थी। तुकनगीर महाराज और शाह अली शाह के बीच बादशाह आदिलशाह के दरबार में गायकी का मुकाबला हुआ था। तुकनगीर महाराज ब्रह्मज्ञान और शाह अली शाह सूफीवादी थे। तीन दिन तक दोनों में गायन होता रहा, लेकिन निर्णय नहीं हो सका। आखिर में पगड़ी में लगने वाला तुर्रा तुकनगीर महाराज और कलगी शाह अली शाह को दी गई। इस गायन में गजल, खमसा, ख्याल, चौक, दोहे-चौपाई, छंद आदि का इस्तेमाल होता है। शेर, कव्वाली, लोकगीत भी गाए जाते हैं। वाद्य यंत्र चंग (ढपली) के साथ गायकी होती है। आगरा में तुर्रा पक्ष के लोग अधिक हैं। राजेंद्र प्रसाद जलद ने इस परंपरा को आगे बढ़ाया। नीरज शर्मा उन्हीं के पुत्र हैं। रामेश्वर दयाल, शलभ भारती आदि प्रमुख कलाकार हैं।

पंचम सुर तक गाई जाती है राजपूताना होली

राजपूताना होली आगरा के जगनेर की लोककला है। इसे होली के अवसर पर गाया जाता है। राजपूताना होली इसलिए कहा जाता है, क्योंकि इसमें शौर्य गाथाएं गाई जाती हैं। इसे पंचम सुर तक गाते हैं।

कवि सम्मेलन में भी जाएंगे कवि

कुंभ में होने जा रहे कवि सम्मेलन में ताजनगरी के कवि भी जाएंगे। 30 जनवरी को डॉ. केशव शर्मा, जबकि 16 फरवरी को राज बहादुर सिंह राज और डॉ. राघवेंद्र शर्मा काव्य पाठ करेंगे।


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