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आगरा के डॉक्‍टर्स ने श्री श्री रवि शंकर से पूछा, क्‍या होगा Covid 19 से आगे, आध्‍यात्मिक गुरू ने बताया ये

आगरा के डॉ जयदीप और डॉ नरेंद्र मल्होत्रा सहित देश के कई शहरों से डॉक्टर वेबिनार के माध्यम से श्री श्री रविशंकर जी से जुड़े। लॉकडाउन को बताया जरूरी।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Sun, 19 Apr 2020 06:46 PM (IST)Updated: Sun, 19 Apr 2020 06:46 PM (IST)
आगरा के डॉक्‍टर्स ने श्री श्री रवि शंकर से पूछा, क्‍या होगा Covid 19 से आगे, आध्‍यात्मिक गुरू ने बताया ये
आगरा के डॉक्‍टर्स ने श्री श्री रवि शंकर से पूछा, क्‍या होगा Covid 19 से आगे, आध्‍यात्मिक गुरू ने बताया ये

आगरा, जागरण संवाददाता। फेडरेशन ऑफ ऑब्स्टेट्रिकल एन्ड गायनेकोलॉजिकल सोसायटी और इंडिया (FOGSI) ने आर्ट ऑफ लिविंग फाउंडेशन के संस्थापक एवं आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर जी के साथ वेबिनार का आयोजन किया। आगरा के डॉ जयदीप मल्होत्रा और डॉ नरेंद्र मल्होत्रा के साथ ही FOGSI के अध्यक्ष डॉ अल्पेश गांधी, डॉ अतुल गणात्रा, डॉ अर्चना बसर, डॉ परीक्षित टंक, डॉ शांता कुमारी और डॉ सुनील शाह श्री श्री के साथ लाइव थे और दुनिया भर में डॉक्टरों और नागरिकों की ओर से उनसे प्रश्न पूछे। डॉक्टरों के साथ ही इसमें 140 देशों के लगभग 150000 लोग शामिल हुए। श्री श्री जी ने कहा कि दुनिया ने पहले भी महामारियों से युध्द किया है। भारत आध्यात्म और विज्ञान के समन्वय से कोविड 19 के विरुद्ध मैदान में है और निश्चित ही विजेता बनकर उभरेगा।

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लाइव सेेशन में जुड़े FOGSI अध्यक्ष डॉ अल्पेश गांधी ने श्री श्री से सवाल किया कि दुनिया महामारी से जूझ रही है और इस दौरान बड़े बदलाव देखने को मिल रहे हैं तो क्या यह एक इशारा है दुनिया आगे पूरी तरह बदलने वाली है। श्री श्री ने कहा कि जी हां दुनिया से COVID-19 के पूरी तरह से खत्म हो जाने के बाद दुनिया और लोगों के जीवन में बहुत सारे बदलाव होंगे। आगरा कीं डॉ जयदीप मल्होत्रा ने प्रश्न किया कि आध्यात्म और विज्ञान के समन्वय से हम कैसे बेहतर परिणाम पा सकते हैं। श्री श्री रविशंकर ने कहा कि आध्यात्म और विज्ञान में बहुत अधिक अंतर नही है। यह एक दूसरे के पूरक हैं। जिस तरह सब्जेक्टिव एनालायसिस को हम विज्ञान कह सकते हैं उसी तरह ऑब्जेक्टिव एनालायसिस को हम आध्यात्म कहते हैं। व्यक्ति की भावनाएं, क्रियाएं आदि उसे बलशाली बनाती हैं और यह ऐसे ही काम करता है जैसे रोगी के लिए कोई दवा करती है। आगरा के ही डॉ नरेंद्र मल्होत्रा ने प्रश्न पूछा कि कोविड 19 के समय जिस तेजी से दुनिया बदल रही है, लोगों ने एक दूसरे की मदद करना सीख लिया है, हवा पानी शुद्ध हो रहे हैं तो क्या इसे कलयुग का अंत और सतयुग की शुरुआत माना जा सकता है। इस पर श्री श्री रविशंकर ने कहा कि सतयुग की शुरुआत तो हो चुकी है। अब हमें ये देखना है कि किस तरह एक सतयुगी मानव बनकर हमें इसे समूचे विश्व में स्वीकार और स्थापित करना है।

मानव जाति के लिए सीखने का समय

श्री श्री रविशंकर ने कहा कि यह मानवजाति के लिए अपनी गलतियों से सबक लेने का समय है। एक वायरस ने हमें सिखा दिया है कि प्रकृति से खिलवाड़ करके कोई भी सुरक्षित नही है। जब दुनिया कोविड 19 से निकल आएगी तब भी हमारी परीक्षा जारी रहेगी। जल, वायु का दोहन, प्रकृति से खिलवाड़ हमें बंद करना होगा। एक दूसरे का बुरा करना बंद करना होगा। ईमानदारी और सच्चाई के मार्ग पर चलना होगा। इस सबके लिए यही सही समय है।

1 घण्टे के सैशन में 27 मिनट आध्यात्म की कक्षा ली

सुबह 11.30 से 12.30 तक एक घण्टे के इस लाइव इंटरेक्टिव सैशन में श्री श्री रवि शंकर ने 27 मिनट तक आध्यात्म की कक्षा भी ली। इसमें मेडिटेशन के जरिए मन-शरीर को नियंत्रित रखना और अच्छे कार्यों में लगाना सिखाया। कहा कि लॉक डाउन अस्थाई है। इसका पालन तो जरूरी है ही लेकिन इसके साथ ही आध्यात्म की ओर बढ़ें तो आपके भीतर और घर में सकारात्मकता का वास होगा। 


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