धुंए में धुंधला हुआ शहर तो घुट रहा यहां दम भी, जानिये क्या है कारण
खुले में कचरा और पराली जलाए जाने से बदलने लगी हवा। सांस लेने में हो रही दिक्कत, नवंबर की शुरुआत में ही बदतर हुए हालात।
आगरा [जेएनएन]: दिल्ली का दम घोंट रही धुंध अब मैनपुरी में भी मुश्किल बढ़ाने लगी है। धूल और धुएं का स्तर इस कदर बढ़ा है कि नवंबर की शुरुआत के साथ स्मॉग ने असर दिखाना शुरू कर दिया है। मंगलवार और बुधवार की सुबह स्मॉग ने शहर को अपनी आगोश में समेट लिया। धुंध का स्तर बढ़ा तो लोगों को सूरज की रोशनी में भी वाहनों की हेडलाइट जलाकर चलना पड़ा।
मंगलवार और बुधवार की सुबह धुंध की चादर ओढ़कर आई। धनतेरस की रात जिले में जमकर चलाई गई आतिशबाजी का असर पर्यावरण पर साफ देखने को मिला। धुंध और धुएं की वजह से शहर की सड़कें पर कोहरे जैसे हालात दिखे। स्थिति यह रही कि 50 मीटर की दूरी तक देखने में चालकों को परेशानी का सामना करना पड़ा। धुंध में स्पष्ट देखने के लिए वाहन चालक हेडलाइट जलाकर चलते दिखे। स्मॉग के कारण लोगों को सांस लेने में भी परेशानी हुई।
कहीं जल रही पराली तो कहीं सड़कों पर कूड़ा
सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि सार्वजनिक स्थानों पर न तो कूड़ा जलाया जा सकता है और न ही खेतों में पराली। ये पर्यावरण को नुकसान पहुंचाते हैं। लेकिन, शहर में इसका असर नजर नहीं आ रहा है। नगर पालिका के सफाई कर्मियों द्वारा शहर में कचरे के ढेर को उठाने की बजाय आग लगा दी जाती है। ऐसे में धुआं बढऩे से स्मॉग का स्तर भी बढ़ रहा है।
अस्थमा के मरीजों के लिए घातक हैं हालात
जिला अस्पताल, मैनपुरी के फिजीशियन डॉ. धर्मेंद्र कुमार का कहना है कि धुंध और धुएं का स्तर हमारे स्नायु तंत्र को प्रभावित करता है। सबसे ज्यादा परेशानी अस्थमा के मरीजों को होती है। धुंध बढऩे से उन्हें सांस लेने में तकलीफ होती है जिससे उन्हें अस्थमा अटैक भी पड़ सकता है।