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बड़ा सवाल: बे-कार उड़नदस्ते, ये कैसे नकल रोकने को छापेमारी Agra News

बोर्ड परीक्षा के लिए जिले में बनाए हैैं छह सचल दल। विभाग के पास खुद की है सिर्फ एक कार जबकि दूसरी बीएसए की।

By Prateek GuptaEdited By: Published: Fri, 07 Feb 2020 09:17 AM (IST)Updated: Fri, 07 Feb 2020 09:17 AM (IST)
बड़ा सवाल: बे-कार उड़नदस्ते, ये कैसे नकल रोकने को छापेमारी Agra News
बड़ा सवाल: बे-कार उड़नदस्ते, ये कैसे नकल रोकने को छापेमारी Agra News

आगरा, जागरण संवाददाता। यूपी बोर्ड परीक्षा में नकल रोकने की जिम्मेदारी जिले के छह उडऩ दस्तों पर है। लेकिन इनमें से चार दल बे-कार हैं। कारण विभाग के पास खुद की सिर्फ एक ही सरकारी गाड़ी है, जबकि दूसरी बीएसए के पास। ऐसे में शेष चार दलों के लिए परीक्षा में गाड़ी और र्इंधन उपलब्ध कराना भी चुनौती है।

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18 फरवरी से शुरू हो रही यूपी बोर्ड परीक्षा नकल विहीन कराने के पुख्ता इंतजाम हैैं। मॉनिटरिंग सेल के साथ स्टेटिक, सेक्टर, जोनल और सुपर जोनल मजिस्ट्रेट परीक्षा में सुचिता की जिम्मेदारी संभालेंगे। साथ में छह उडऩ दस्ते हैं, जो 158 परीक्षा केंद्रों, केंद्र व्यवस्थापकों, कक्ष निरीक्षकों और परीक्षार्थियों पर नजर रखेंगे। लेकिन उनके सामने भी परेशानी यह है कि सभी सचल दलों पर पर्याप्त गाडिय़ां नहीं हैं। विभाग का पुराना रिकॉर्ड भी रहा है कि मुख्य परीक्षा में कई सचल दल वाहन का ही इंतजार करते रह जाते हैं या उन्हें देर-सबेर ही सही बाहर से गाड़ी किराए पर उपलब्ध कराई जाती है।

यह है स्थिति

विभाग में सिर्फ एक ही गाड़ी डीआइओएस रवींद्र सिंह के पास है। जबकि दूसरी गाड़ी सचल दल प्रभारी बने बीएसए के पास है, बाकी डीआइओएस टू राजेंद्र सिंह, एडीआइओएस सुभाष गौतम, जीआइसी प्रधानाचार्य अरुण कुमार सिंह और राजकीय हाईस्कूल प्रधानाचार्य सत्यदेव यादव के सचल दल पर कोई सरकारी गाड़ी नहीं।

चार से पांच हजार प्रतिदिन खर्च

ऑनलाइन कैब कंपनियां शहर में एक दिन में आठ घंटे के लिए 1800 से 2200 रुपये में गाड़ी उपलब्ध कराती है। यदि प्राइवेट ऑपरेटर या ट्रैवल्स से इन्हें लिया जाए, तो कीमत यह साढ़े तीन से पांच हजार रुपये तक हो सकती है। पिछले सालों में विभाग पांच से छह हजार रुपये प्रतिदिन और प्रति गाड़ी के हिसाब से बुकिंग करता रहा है। इस बार भी विभाग प्रतिदिन चार गाडिय़ां किराए पर लेगा तो उसे कम से कम 16 से 20 हजार रुपये प्रतिदिन के हिसाब 15 दिन चलने वाली परीक्षा में करीब ढ़ाई से तीन लाख सिर्फ इन कार पर खर्च देगा।

अधिकारी रो रहे पैसे का रोना

विभाग में इस खर्च की कोई मद नहीं। सारी व्यवस्था स्थानीय स्तर पर होगी। इसलिए परीक्षा की जिम्मेदारी संभाल रहे प्रभारी अधिकारी और बाबू परेशान हैैं कि सिर पर पड़ी इस आफत को कैसे संभाला जाए क्योंकि जेब हल्की उन्हीं की होगी, क्योंकि बड़े साहब फिलहाल बीमार हैैं।

फिलहाल विभाग के पास खुद की एक ही गाड़ी है। दूसरी गाड़ी बीएसए की रहेगी। परीक्षा से पहले बाकी सचल दलों के लिए भी वाहन की व्यवस्था हो जाएगी।

सुभाष गौतम, प्रभारी डीआइओएस। 


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