Wild Life: गुलजार हुई जोधपुर झाल, समय से पहले पहुंचे फ्लेमिंगो, नजारा मोह लेगा मन
आगरा में वन्यजीव संरक्षण के सुखद परिणाम अब सामने आने लगे हैं। युवाओं को पर्यावरण संरक्षण के लिए जागरूक करने के फलस्वरूप फ्लेमिंगो जिसे हिंदी में राजहंस भी कहते हैं उसकी दो प्रजाति ग्रेटर व लेशर ने जोधपुर झाल में डेरा डाल दिया है।
आगरा, जागरण संवाददाता। पर्यावरण सुधार और जोधपुर झाल के संरक्षण के कारण इस साल समय से पहले ही प्रवासी पक्षियों ने आगरा के पास डेरा डाल लिया है। फ्लेमिंगो का समूह यहां पहुंच चुका है। लॉकडाउन और कोरोना वायरस संक्रमण के कारण बहुत लंबे समय से घर में बंद लोगों के लिए आगरा के पास एक अच्छा पिकनिक स्पॉट भी साबित हो सकता है। सुबह और शाम ठंडी हो चुकी हैं। लांग ड्राइव के आनंद के साथ पक्षियों की चहचहाहट मन को मोह लेगी।
आगरा में वन्यजीव संरक्षण के सुखद परिणाम अब सामने आने लगे हैं। युवाओं को पर्यावरण संरक्षण के लिए जागरूक करने के फलस्वरूप फ्लेमिंगो जिसे हिंदी में राजहंस भी कहते हैं, उसकी दो प्रजाति ग्रेटर व लेशर ने जोधपुर झाल में डेरा डाल दिया है। पक्षी विशेषज्ञ डॉ केपी सिंह ने बताया कि जोधपुर झाल पर लगभग 125 पक्षियों की प्रजातियां मौजूद हैं, जिनमें प्रवासी पक्षियों की प्रजातियां भी शामिल हैं। कीठम झील व भरतपुर के केवलादेव नेशनल पार्क से पहले फ्लेमिंगो का यहां पहुंंचना बहुत बड़ी उपलब्धि है। इसके पीछे लाॅकडाउन में हुए पर्यावरण सुधार एव झाल का संरक्षण महत्वपूर्ण कारण हैं। झाल का शुद्ध नमकीन पानी इन्हें भोजन के लिए भी आकर्षित करता है।
भारत में राजहंस की दो प्रजाति ग्रेटर व लेशर पाई जाती है। गुजरात और महाराष्ट्र राज्य में बहुत अधिक संख्या में मौजूद हैं। सर्दियों की शुरुआत में ये उत्तर भारत में माइग्रेशन करते हैं।
झाल के भ्रमण के दौरान देखे प्रवासी पक्षी
सोसायटी के सदस्यों के साथ स्थानीय ग्रामीण युवाओं को झाल का भ्रमण भी कराया गया। ग्रामीण युवा फ्लेमिंगो, पिनटेल, कामन कूट, काम्ब डक, स्पून विल्ड डक, लेशर विशलिंग डक, नार्दन शोवलर आदि जलीय पक्षियों की उपस्थिति को देखकर आश्चर्यचकित रह गये। पक्षी विशेषज्ञ डॉ केपी सिंह ने बताया कि जोधपुर झाल पर प्रवासी पक्षियों में बार हेडेड गूज एवं फ्लेमिंगो बहुत बडी संख्या में पहुँचते हैं। लेकिन शिकारियों द्वारा इन प्रवासी पक्षियों के शिकार करने की कोशिश की जाती थी। क्षेत्रीय युवाओं को जागरूक करने के बाद उन्होंने संरक्षण प्रारम्भ कर दिया और सुखद परिणाम आज फ्लेमिंगो की उपस्थिति के रूप में सामने आया है।
ओपन फॉरेस्ट का संरक्षण वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए बहुत बडी चुनौती
बायोडायवर्सिटी रिसर्च एंड डवलपमेंट सोसायटी के अध्यक्ष डॉ केपी सिंह ने बताया कि जोधपुर झाल का अध्ययन एवं संरक्षण सोसायटी के सदस्यों द्वारा तीन वर्ष से किया जा रहा है। ओपन फॉरेस्ट का संरक्षण वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए बहुत बडी चुनौती है। वन्यजीवों के संरक्षण के लिए जंगल, वेटलैंड, हेविटाट, प्राकृतिक जल स्त्रोतों का संरक्षण सबसे पहले आवश्यक है। स्थानीय लोगों की जागरूकता और सहयोग के बिना संरक्षण कार्य संभव नहीं है।
वन्यजीव संरक्षण पर सम्पन्न हुई कार्यशाला
वन्यजीव सप्ताह के अंतर्गत वर्ल्ड एनिमल डे के अवसर पर बायोडायवर्सिटी रिसर्च एंड डवलपमेंट सोसायटी द्वारा जोधपुर झाल पर वन्यजीव संरक्षण के प्रशिक्षण के लिए एक कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में जोधपुर झाल के आस पास के गाँवों जोधपुर, कीठम, पिपरोठ, कोह, बबरौद, बस्तई आदि गांंव के युवाओं दयाल सिंह, तारन सिंह, मुनेश चौहान, जगन्नाथ, श्याम सुंदर, देवेन्द्र शर्मा, प्रेम शर्मा, प्रमेन्द्र शर्मा, गणेश कुमार, विजय कुमार, धर्मेन्द्र कर्दम सहित ग्रामीणों ने कार्यशाला में प्रशिक्षण प्राप्त किया। पिछले साल दिये गये संरक्षण के प्रशिक्षण के फलस्वरूप इस वर्ष प्रवासी पक्षियों की संख्या एवं प्रजातियों में वृद्धि की संभावना है। आज की कार्यशाला में मुख्य रूप से डाॅ देबाशीष भट्टाचार्य, डाॅ धीरेन्द्र सिंह, डाॅ पुष्पेन्द्र विमल, डाॅ शिवम, शिल्पी विमल, नरेश, राखी चाहर, शिवेन्द्र, सुदर्शन, नवीन, तरून चौधरी आदि उपस्थित रहे।