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ध्‍यान से पढ़ेंं ये खबर, पहले समझें फिर चुनें नई आयकर अर्थव्‍यवस्‍था Agra News

जानकार आठ लाख तक की आय वालों के लिए पुरानी और नौ लाख से अधिक आयवालों के लिए नई व्यवस्था को बेहतर बता रहे हैं।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Sun, 09 Feb 2020 04:00 PM (IST)Updated: Sun, 09 Feb 2020 04:00 PM (IST)
ध्‍यान से पढ़ेंं ये खबर, पहले समझें फिर चुनें नई आयकर अर्थव्‍यवस्‍था Agra News
ध्‍यान से पढ़ेंं ये खबर, पहले समझें फिर चुनें नई आयकर अर्थव्‍यवस्‍था Agra News

आगरा, जागरण संवाददाता। मंशा राजस्व बढ़ाने के साथ सरल व नई आयकर प्रणाली लाने की थी, लेकिन नया करने की कोशिश में इतना ज्यादा कर दिया कि अब व्यवस्था पेचीदा हो गई हैै, जिस कारण नई टैक्स प्रणाली उलझन भरी बन गई है। आजकल व्यापारी हो या आम आदमी सभी यही बात कह रहे हैं। जानकार आठ लाख तक की आय वालों के लिए पुरानी और नौ लाख से अधिक आयवालों के लिए नई व्यवस्था को बेहतर बता रहे हैं।

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भारतीय वित्त सलाहाकार समिति के अध्यक्ष सीए सुरेश चंद जैन ने बताया कि नई व्यवस्था में करदाता तय करेंगे कि वह नई व्यवस्था में जाएंगे या पुरानी में रहेंगे। नॉन बिजनेसपर्सन इनकम (सेलरी, इंट्रेंस्ट, किराए से आय और कैपिटल गेन प्राप्तकर्ता) में हर बार दोनों में से चुनाव करना होगा। जबकि बिजनेस इनकम वाले सिर्फ एक बार चुन सकेंगे कि वह नए में रहेंगे या पुराने में। इसके बाद वह नई व्यवस्था नहीं चुन सकेंगे। हालांकि एक वर्ष उक्त बिजनेस में आय न होने पर दोबारा नई व्यवस्था चुनी जा सकेगी।

100 में से 70 बचत होंगी प्रभावित

अर्थशास्त्री श्याम सुंदर सिंह चौहान ने बताया कि प्रत्येक बजट में सरकार पीपीएफ, एनएससी, एलआइसी, एफडी आदि के लिए लोगों को प्रोत्साहित करती थी, ताकि यह बचत उनके भविष्य के मुश्किल दौर में काम आएं। लेकिन इस बजट में 100 में 70 छूट खत्म कर बचत को हतोत्साहित करने की कोशिश की गई है। इससे बचत दर प्रभावित होगी और बचत दर प्रभावित होने का असर निवेश दर पर पड़ेगा। उधार आसानी से मिलेगा, इससे उधार और बचत के बीच आनुपातिक अंतर आएगा, जो देश के लिए ठीक नहीं होगा।

यह बचत होंगी प्रभावित

भारतीय वित्त सलाहाकार समिति के सचिव सीए मोहन लाल कुकरेजा ने बताया कि नई व्यवस्था में तमाम छूट प्रभावित होंगी।

- वेतन पर सभी छूट (टीएलसी, एचआरए, कन्वेंस अलॉउंस, स्टेंडर्ड डिडेक्शन आदि) नहीं मिलेंगी।

- जिस घर में रहते हैं, उस पर लिए लोन के ब्याज में छूट नहीं मिलेगी।

- कारोबार की चल-अचल संपत्ति पर मिलने वाली अतिरिक्त ह्रïास छूट नहीं मिलेगी।

- व्यवसाय में धारा 32एडी, 33एबी, 33एबीए, 35एडी, 35सीसीसी नहीं मिलेंगी। (साइंटिफिक बिजनेस के लिए रिसर्च पर छूट व पिछड़े इलाके में प्लांट एवं मशीनरी लगाने पर मिलने वाली छूट आदि)

- धारा 10(17) में विधायक और सांसद को मिलने वाला स्पेशल भत्ता बंद।

- पारिवारिक पेंशन पर छूट अब नहीं मिलेगी। (15 हजार या एक पेंशन का एक तिहाई, दोनों में जो कम हो।)

- चैप्टर सिक्स ए में (धारा 80सी से लेकर 80यू तक) 50 से 60 छूट नहीं मिलेंगी।

- हालांकि नेशनल पेंशन स्कीम (एनपीएस) में 50 हजार तक की छूट मिलती रहेगी।

पुराना टैक्स स्लैब

- ढाई लाख तक टैक्स फ्री।

- ढाई से पांच लाख पांच फीसद।

- पांच से दस लाख तक 12,500 प्लस 20 फीसद पांच लाख से अधिक आय पर।

- दस लाख पर 112500 प्लस 30 फीसद 10 लाख से अधिक आय पर।

80सी और 80डी समेत कई छूट मिलने से पांच लाख तक की आय टैक्स फ्री हो सकती थी।

नया टैक्स स्लैब

- ढाई लाख तक टैक्स फ्री।

- ढाई से पांच लाख तक पांच फीसद।

- पांच से साढ़े सात लाख तक 10 फीसद।

- साढ़े सात से 10 लाख तक 15 फीसद।

- 10 से साढ़े 12 लाख तक 20 फीसद।

- साढ़े 12 से 15 लाख तक 25 फीसद।

- 15 लाख से अधिक 30 फीसद।

इतना पड़ेगा असर

पुरानी व्यवस्था में 80सी में डेढ़ लाख की छूट काटने के बाद 6.50 लाख तक टैक्स फ्री था। जबकि नई व्यवस्था में पांच लाख से ज्यादा होते ही टैक्स लगना शुरू हो जाएगा। पांच लाख 50 हजार पर 18200, पांच लाख 90 हजार पर 22360, छह लाख पर 23400, साढ़े छह लाख पर 28600 रुपये अतिरिक्त टैक्स देना होगा। जबकि इसके बाद दोनों व्यवस्था में आयकर लगेगा।

आय पुराना टैक्स नया टैक्स अंतर

- सात लाख, 23400, 33800, 10400 अधिक

- साढ़े सात लाख, 33800, 39000, 5200 अधिक

- आठ लाख, 44200, 46800, 2600 अधिक

- साढ़े आठ लाख, 54600, 54600, बराबर।

- नौ लाख, 65000, 62400, 2600 कम।

- साढ़े नौ लाख, 75400, 70200, 5200 कम।

- दस लाख, 85800, 78000, 7800 कम। आठ लाख तक की आय वालों के लिए पुरानी जबकि नौ लाख या अधिक आय वालों के लिए नई पेंशन स्कीम फायदे का सौदा होगी। जबकि साढ़े आठ लाख आया वाले किसी भी व्यवस्था में जा सकते हैं।  


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