सीता, मोहन, लखि और लूना की याद कुछ इस तरह अब सहेजी जा रहीं यहां Agra News
हाथी संरक्षण केंद्र में वर्तमान में रह रहे 23 बीमार और घायल हाथी।
आगरा, चन्द्रशेखर दीक्षित। अभी तक किसी व्यक्ति की मौत के बाद स्मारक बनाए जाने के बारे में आपने सुना होगा, लेकिन चार हाथियों की मौत के बाद उनकी यादों को सहेजने के लिए स्मारक बनाने का काम देश में पहली बार किया गया। शुक्रवार को इस हाथी स्मारक का उद्घाटन हो गया। अब से पहले यहां देश का पहला एलीफैंट हॉस्पिटल भी स्थापित किया जा चुका है।
दरअसल, फरह ब्लॉक के चुरमुरा में वाइल्ड लाइफ एसओएस की ओर से हाथी संरक्षण एवं देखभाल केंद्र का संचालन किया जा रहा है। यहां टाइगर और भालू की तरह विलुप्त होती हाथी की प्रजाति का न केवल संरक्षण किया जा रहा है, बल्कि देश के अलग-अलग हिस्सों से रेस्क्यू कर लाए गए हाथियों को संरक्षण देने के साथ उनकी देखभाल की जा रही है। यहां देश के अलग-अलग कोनों से 27 हाथी लाए गए हैं, इनमें से चार हाथी (सीता, मोहन, लखि व लूना) की मौत हो चुकी है। वर्तमान में 23 हाथियों का इलाज चल रहा है। इनमें 13 मादा और दस नर हाथी हैं।
वर्ष 2010 में चुरमुरा में हाथी संरक्षण एवं देखभाल केंद्र की स्थापना की गई थी। इसके बाद वर्ष 2009 में हाथियों के इलाज के लिए अत्याधुनिक मशीनों का अस्पताल भी स्थापित किया जा चुका है।
दस फीसद की दर से कम हो रहे हाथी
वाइल्ड लाइफ एसओएस संस्था के निदेशक बी राज एमवी ने बताया कि केंद्र में जितने भी हाथी है। वह किसी न किसी बीमारी से जूझ रहे हैं। इन हाथियों पर लोगों ने क्रूरता की सभी हद पार कर दी हैं। एक सर्वे के अनुसार देश में दस फीसद की दर से हाथियों की संख्या कम हो रही है।
कनाड़ा के प्रधानमंत्री कर चुके हैं भ्रमण
हाथी संरक्षण एवं देखभाल केंद्र के भ्रमण पर देश ही नहीं बल्कि विदेश के लोग भी आते हैं। भारतीय क्रिकेट के तेज गेंदबाज यूसुफ पठान से लेकर कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टीन ट्रयूडियू भी यहां घूमकर गए हैं। इसके अलावा हर साल देश-विदेश के प्रमुख लोग यहां पहुंचते हैं।
इस नाम के रहते हैं हाथी
भोला, राजेश, कॉकनेट, पीनेट, बाली, राजू, मैक, गजराज, संजय, चंचल, सूसी, होली, लक्ष्मी, बिजली, चंचल, आशा, रिया, मिया, प्रियंका, कपना, लूना, बेल्ला, फूलकली, माया।
80 लोगों की है टीम
चुरमुरा के हाथी संरक्षण एवं देखभाल केंद्र में वाइल्ड लाइफ के 80 लोगों की टीम काम कर रही है। इसमें चिकित्सकों से लेकर हाथियों तक का रखरखाव करने वाले तक सभी शामिल हैं।
हाथी संरक्षण एवं देखभाल केंद्र 60 एकड़ क्षेत्र में फैला है। यहां अभी 23 हाथी रह रहे हैं। वर्ष 2010 से लेकर अब तक चार हाथियों की मौत हुई है, जिनकी याद में यह स्मारक बनाया जा रहा है।
बी राज एमवी, निदेशक - हाथी संरक्षण एवं देखभाल केंद्र