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मथुरा में महिला कांस्टेबल ने लावारिश शव का अंतिम संस्कार कर रुढ़िवादिता पर किया वार

मथुरा की बेटी की अनूठी पहल। शमशान पुरोहित से शास्त्रार्थ उदाहरण देकर जीती थी अंतिम संस्कार की लड़ाई। तर्क शास्त्रीय उदाहरण व दृढ इच्छा शक्ति देकर अन्य लोगों ने भी दिया था साथ। आम जन मानस भी सल्यूट करता नजर आया।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Fri, 16 Apr 2021 06:12 PM (IST)Updated: Fri, 16 Apr 2021 06:12 PM (IST)
लावारिश शव को मुखाग्नि देतीं महिला पुलिसकर्मी शालिनी।

आगरा, जेएनएन। महिलाओं को अक्सर अंतिम संस्कार से दूर ही रखा जाता है। लेकिन यूपी पुलिस की एक महिला कांस्टेबल शालिनी वर्मा ने एक लावारिश शव के अंतिम संस्कार के लिए न केवल अपने साथी को मनाकर

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जिम्मेदारी उठाई, बल्कि शमशान घाट पर पुरोहित की रुढीवादी रीति के सुझाव का शास्त्रार्थ उदाहरण सहयोग करने को मजबूर कर स्वयं शव का अंतिम संस्कार किया। महिला कांस्टेबल के इस भाव को उसका विभाग ही नहीं आम जन मानस भी सल्यूट करता नजर आया।

दरअसल हुआ यूं कि कोसीकलां थाना क्षेत्र के शेरनगर में 11 अप्रैल को एक 22 वर्षीय युवती का शव मिला था। उसका पोस्टर्माटम कराया और शव को निर्धारित समय तक शिनाख्त के लिए रखा गया। 14 अप्रैल को शव के अंतिम संस्कार की जिम्मेदारी हैड कांस्टेबल लोकमण व कांस्टेबल शालिनी वर्मा को सौंपी गई थी। शिनाख्त न होने पर शव के अंतिम संस्कार के लिए शव को बंगाली घाट पर ले जाया गया। जहां कांस्टेबल शालिनी वर्मा ने अपने सहकर्मी हैड कांस्टेबल लोकमण से शव का अंतिम संस्कार करने की इच्छा रखी। लेकिन जब शव के अंतिम संस्कार की बारी आई तो वहां मौजूद पुरोहित ने कांस्टेबल शालिनी वर्मा को महिलाओं के शमशान में न जाने और उनके द्वारा अंतिम संस्कार न किए जाने की परंपरा को याद दिलाते हुए रोकने का प्रयास किया। लेकिन कांस्टेबल शालिनी वर्मा ने रामायण एवं गीता जैसे पवित्र ग्रंथों के उदाहरणों से पुरोहित की बात का जवाब दे कर उन्हें भी

निरुत्तर कर दिया। कांस्टेबल शालिनी के इस प्रयास एवं उदाहरणों को देखकर वहां एक शव को लेकर पहुंचे जीआरपी के हैड कांस्टेबल राजेश कुमार व सुनील कुमार भी पुरोहित से शव के अंतिम संस्कार करने देने के लिए कहा। पुरोहित से बहस के दौरान कांस्टेबल शालिनी ने अपने पिता किरन पाल सिंह को फोन कर अपनी बात रखी। उनके पिता ने भी बेटी के इस प्रयास को सराहा और पुरोहित से अनुमति के लिए विनय किया। कांस्टेबल शालिनी के शास्त्रीय उदाहरण एवं शालीनता से रुढिवादिता पर किए गए प्रहार और दृढ़ इच्छा और पिता के अपनी बेटी को सहयोग का शमशान के पुरोहित ने भी सम्मान किया और लावारिश शव के अंतिम संस्कार की कांस्टेबल शालिनी को अनुमति दी और सहयोग भी किया। जिसके बाद कांस्टेबल शालिनी वर्मा ने लावारिश युवती का अंतिम

संस्कार किया। कांस्टेबल शालिनी वर्मा कहती हैं कि शमशान में न जाने के पीछे रुढिवादी परंपरा है कि महिलाओं का कोमल मन होने के कारण उन्हें शमशान में नहीं जाने दिया जाता। लेकिन गीता में भगवान श्री कृष्ण ने कहा है कि परिवर्तन स्वयं के लाने से होगा। रुढिवादिता से परिवर्तन के लिए ही यह मेरा निर्णय है। इसमें मेरे पिता किरन पाल सिंह एवं मेरे विभाग ने मेरा सहयोग किया है।

पिता की लाडिली बेटियों में से बडी है शालिनी

कांस्टेबल शालिनी के पिता खेती के साथ नौकरी भी करते हैं। दो बहनों में वह बड़ी हैं। वह बताती हैं कि उनके पिता करन पाल एवं मां पुष्पा देवी दोनों बहनों को ही बेटा मानते हैं।एमए इकॉनोमिक्स से करके दो नवम्बर 2017 को पुलिस पुलिस की नौकरी पाने वाली शालिनी कहती हैं कि उनके पिता ने ही उन्हें संस्कृति से जोड़ते हुए स्वतंत्रता देकर वर्तमान समय में रुढिवादिता से लड़ने की सीख दी है। कहती हैं कि उनके पिता ने उन्हें महान पुस्तकों को पढ़ने की सीख दी और उन पुस्तकों से ही उन्होंने रुढिवादिता से लड़ने का मंत्र सीखा। कहा कि अंतिम संस्कार करने की बात को लेकर उन्होंने कहा कि यह रुढिवादिता के कारण विशेष बात लग रही है। लेकिन जिन लोगों के बेटे नहीं होते उनका क्या। बेटियों केा भी बेटों जैसा अधिकार मेरे माता- पिता ने दिया है। कहा कि जब मैंने पुरोहित से बहस के दौरान अपने पिता से फोन पर इस बावत बात की तो उन्होंने उसे इस कार्य के लिए शाबाशी देते हुए उत्साहवधर्वन किया था। 


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