अबकी बार तो बना डाले किसान कर्जदार, खातों में सब्सिडी आने का इंतजार
70 दिन में भी पूरा नहीं हुआ सात दिन में सब्सिडी का वादा, लाखों अटके। पराली जलाने से रोकने को मशीनों पर वापस दी जानी थी 80 फीसद धनराशि।
आगरा, डॉ. राहुल सिंघई। किसानों को कर्जमाफी के ख्वाब दिखाकर सत्ता पर काबिज हुई सरकार ने अबकी बार किसानों को कर्जदार बना डाला। इसकी बानगी टूंडला के गांव उमरगढ़ के किसान राव सुखपाल सिंह की मुख्यमंत्री पोर्टल पर की गई गुहार बताती है। पराली जलाने की बजाए कतरने के लिए खरीदी गई मशीनों की सात दिन में आने वाली 80 फीसद सब्सिडी 70 दिन में भी नहीं आ पाई। ऐसी कहानी फीरोजाबाद की नहीं, बल्कि सूबे के हजारों किसानों की है, जो सब्सिडी के इंतजार में बैठे हैं।
खेतों में जलने वाली पराली के प्रदूषण से निजात पाने के लिए प्रदेश सरकार ने अक्टूबर में योजना लागू की थी। इस योजना के तहत किसानों को जागरूक करने के लिए चित्रकला प्रतियोगिता कराई गईं। इसके साथ ही खेत से फसल के अवशेष उखाडऩे और उन्हें खाद बनाने की मशीनों के लिए प्रेरित किया। इस योजना में तीन मशीनें खरीदने वाले किसान को 80 फीसद और एक मशीन खरीदने वाले किसान को 50 फीसद सब्सिडी सरकार की ओर से सत्यापन के सात दिन बाद दी जानी थी।
पूरे प्रदेश में योजना का जोर-शोर से प्रचार-प्रसार हुआ और किसानों ने कृषि उपकरण खरीदकर बिल कृषि उप निदेशक कार्यालयों में जमा कराए। इसके बाद अधिकारियों ने सत्यापन कर रिपोर्ट मुख्यालय को भेज दी। वहां से प्रथम किश्त में कुछ किसानों की सब्सिडी एकाउंट में ट्रांसफर की गई, लेकिन इसके बाद सरकार भूल गई। किसान सब्सिडी की जानकारी के लिए विभाग से बैंक के बीच घूम रहे हैं। साल बदलने के बाद अब तक कोई जवाब देने वाला नहीं है।
जानकार बताते हैं कि मुख्यालय में अफसरशाही के बीच फंसी सब्सिडी को लेकर पूरे प्रदेश में एक जैसे हालत हैं। शिकायतें मुख्यमंत्री के वेब पोर्टल से अधिकारियों तक घूम रही हैैं, लेकिन जवाब नहीं मिल रहा है।
ये खरीदे गए थे उपकरण
इस योजना के तहत रोटरी स्लेसर, रोटावेटर, रिवर्सिबल एम्बी प्लाऊ, जीरो ट्रिल समेत अन्य उपकरण थे, जिनकी कीमत 60 हजार से दो लाख रुपये तक है।
ये रहा खरीद का आंकड़ा
- तीन उपकरण खरीदने वाले किसान-17
- सात की सब्सिडी नहीं आई।
- एक उपकरण खरीदने वाले किसान-59
- 51 की सब्सिडी नहीं आई।
- आंकड़ों के मुताबिक लगभग 42 लाख रुपये से ज्यादा की सब्सिडी रुकी है। यह सीधे किसान के खाते में आनी थी।
'हमने अपनी तरफ से पूरी प्रक्रिया कर दी है। उपकरण खरीदने वाले कृषकों का सत्यापन कर बिल अपलोड कर दिए गए थे। सब्सिडी सीधे मुख्यालय से किसानों के खाते में आनी है। जिनकी शिकायत आई है, उसे मुख्यालय भेज दिया है। पैसा वहीं से भेजा जाएगा'।
हंसराज, उपकृषि निदेशक