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अनूठी पहल, फसल भी हुईंं सुरक्षित और मिल गया बेसहारों को सहारा Agra News

नौहझील ब्लॉक के जटपुरा के ग्रामीणों ने पेश की मिसाल। चालीस गोवंश को गोद लेकर कर रहे बच्चों की तरह परवरिश।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Tue, 21 Jan 2020 03:00 PM (IST)Updated: Tue, 21 Jan 2020 03:00 PM (IST)
अनूठी पहल, फसल भी हुईंं सुरक्षित और मिल गया बेसहारों को सहारा Agra News
अनूठी पहल, फसल भी हुईंं सुरक्षित और मिल गया बेसहारों को सहारा Agra News

आगरा, अभय गुप्ता। ये गोपाल की नगरी है, वह गोपाल जो गायों के पालनहार थे। आज उन्हीं गोपाल की गाय बेसहारा हैं। ठंड में कांपती गाय खेतों में खड़ी फसल बर्बाद कर रही हैं। प्रशासन से गुहार लगाकर हार चुके ग्रामीणों ने एक नजीर पेश कर दी। अब वह बेसहारा गोवंश को भगाते नहीं बल्कि उनकी देखरेख करते हैं। किसानों ने बेसहारा पशुओं को गोद ले लिया, उनकी परवरिश भी बच्चों की तरह कर रहे हैं।

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ये नजीर पेश की है मथुरा जिले के गांव जटपुरा के किसानों ने। दरअसल, इस इलाके में बेसहारा गोवंश से किसान परेशान थे। इस इलाके में बेसहारा पशुओं से पीड़ित किसानों ने 20 दिन तक धरना-प्रदर्शन किया। जिम्मेदार अफसरों के आश्वासन के बाद भी समस्या से निजात नहीं मिली। ऐसे में किसानों ने खुद ही इस समस्या से निपटने का फैसला लिया। नौहझील ब्लॉक की ग्राम पंचायत कोलाहर के मजरा जटपुरा के किसानों ने पशुओं से निपटने के लिए बैठक की। 12 जनवरी को ग्राम प्रधान सुभाष सिंह की अगुआई में बैठक हुई। इसमें बेसहारा गोवंश को गोद लेने का किसानों ने संकल्प लिया। गांव की आबादी करीब एक हजार है। ग्रामीणों ने साथ मिलकर खोज की, तो 40 बेसहारा गोवंश घूमते मिले। उन्हें किसानों ने पकड़ लिया और आपसी सहमति के आधार पर एक किसान-एक पशु की तर्ज पर बंटवारा कर लिया। गोवंश को लाकर किसानों ने अपने-अपने घरों में बांध लिए। गोवंश का खुद ही भरण-पोषण करने लगे। किसानों ने 25 गाय, 10 बछड़े और पांच सांड़ को गोद लिया है। गांव के अंशु नौहवार, पवन कुमार, चंद्रभान, नीटू सिंह, विक्रम सिंह, दिनेश सिंह, पप्पी हते हैं कि इससे दो काम हो जाएंगे, भूखे घूम रहे गोवंश को चारा तो मिलेगा ही हमारी फसल भी सुरक्षित रहेगी। गांव के विनोद कुमार, गिरीश कुमार, हमबीर सिंह, जुगेंद्र सिंह, बिज्जो महाशय, मनसो कहते हैं कि ये एक अच्छी पहल है। अगर हर गांव में किसान खुद ही ये पहल करें तो बेसहारा पशुओं की समस्या से निजात मिल जाएगी। उनका कहना है कि वह सरकार से भी किसी तरह की मदद नहीं लेंगे और फसल के बाद पशुओं को छोड़ देंगे। अगली फसल आने पर फिर बांध लेंगे।

बेसहारा पशुओं को नहीं मिला सहारा

सरकार की तमाम सख्ती और सामाजिक सहयोग के बाद भी बेसहारा पशुओं को आसरा नहीं मिल पाया है। फसल के नुकसान से आहत किसान अब फिर पशुओं को स्कूलों में बंद कर रहे हैं। समस्या का हल तब तक नहीं मिल सकता जब तक इनके दाने-पानी की समुचित व्यवस्था न की जाए। अभी इनके लिए बनाए गए आश्रय स्थलों में प्रति गाय 30 रुपये ही आहार के लिए मिलते हैं, यह नाकाफी साबित हो रहे हैैं।

ब्रज के जिलों के आंकड़ों पर नजर डालें तो 60 हजार से अधिक बेसहारा गोवंश हैं। इनमें से महज 970 को ही गोद लिया गया। ब्रज क्षेत्र में 188 गोशालाएं बनाई गईं, मगर इनमें भी बेसहारा को आसरा नहीं मिल पा रहा है। आश्रित पशुओं के लिए अकेले आगरा में ही एक करोड़ का बजट आया जिसमें 70 लाख खर्च किए जा चुके हैं। मैनपुरी में 84 लाख रुपये से अधिक खर्च हो चुके हैैं। बेसहारा गोवंश से फसल के नुकसान के कारण दो किसान आत्महत्या भी कर चुके हैं।

आगरा:

जिले मेंं बेसहारा गोवंश 32 हजार

संरक्षित गोवंश 1255

आश्रय स्थल 20

सिपुर्दगी में लिए 388

मथुरा: 

जिले में बेसहारा गोवंश 18612

आश्रय स्थल 82

संरक्षित 6147

सिपुर्दगी में लिए गोवंश 167

फीरोजाबाद:

- जिले में बेसहारा गोवंश 7000

- संरक्षित गोवंश 3960

- जिले में आश्रय स्थल 43

- सिपुर्दगी में लिए गोवंश 160

मैनपुरी:

जिले में बेसहारा गोवंश 4521

संरक्षित गोवंश 2021

जिले में आश्रय स्थल 14

सिपुर्दगी में लिए गोवंश 298

एटा:

जिले में बेसहारा पशु 4488

आश्रय स्थल 20

संरक्षित पशु 2660

सिपुर्दगी में लिए गए पशु 298

कासगंज:

जिले में आवारा गोवंश 6 हजार

जिले में संरक्षित गोवंश 3070

जिले में आश्रय स्थल 09

सिपुर्दगी में लिए पशु 47  


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