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सुपोषण की जंग: जैविक खाद से बाजरा की पौष्टिकता और स्वाद को किया इन्‍होंने बेहतर Agra News

जैविक खाद से बाजरे का उत्पादन कर रहे किसानों ने उत्पादन बढ़ाने के साथ ही 70 फीसद लागत घटाई।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Sun, 01 Sep 2019 03:12 PM (IST)Updated: Sun, 01 Sep 2019 03:12 PM (IST)
सुपोषण की जंग: जैविक खाद से बाजरा की पौष्टिकता और स्वाद को किया इन्‍होंने बेहतर Agra News
सुपोषण की जंग: जैविक खाद से बाजरा की पौष्टिकता और स्वाद को किया इन्‍होंने बेहतर Agra News

आगरा, अम्बुज उपाध्याय। रसायनों के अत्यधिक प्रयोग से फसलें जहरीली होती जा रही हैं। यही नहीं उपज में पौष्टिकता भी कम हो रही है। इससे खिन्न एत्मादपुर के किसान उदयवीर सिंह ने जैविक माध्यम से बाजरा की फसल उगाई। तीन दशक से खेती कर रहे उदयवीर ने खुद जैविक खाद तैयार की। गत तीन वर्ष से वे इससे मिट्टी को उपजाऊ बना हाइब्रिड बाजरा की फसल कर रहे हैं। उत्पादन तो अभी रसायन माध्यम के बराबर ही है, हालांकि उनकी लागत 70 फीसद तक घट गई है। जैविक माध्यम से बाजरा का बेहतर उत्पादन कर बिचपुरी के पवन भी मुनाफा और नाम कमा रहे हैं।

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दसवीं पास उदयवीर ने बताया कि खेती तो पैतृक है, लेकिन अब इसे पौष्टिक और रसायन रहित बनाया जा रहा है। डेढ़ हेक्टेअर में बाजरा फसल करता हूं। इसमें आम लागत का 30 फीसद ही खर्च करना होता है। खेत में खाद आलू की फसल के समय लगाई जाती है और बाजरा की फसल तक काम करती है। जैविक खाद से बाजरा का स्वाद बेहतर होने लगा है। बिचपुरी के पवन भी पांच बीघा में बाजरा की फसल करते हैं। गत पांच वर्ष से बाजरा का जैविक माध्यम से उत्पादन कर रहे हैं। शुरुआती तीन वर्ष से उत्पादन में गिरावट रही, अब ये रसायन प्रयोग करने वालों से 20 फीसद अधिक है। वे उपज को किरावली मंडी में खुद बेचते हैं। अब लोग उन्हें जैविक बाजरा वाले के नाम से जानते हैं।

ये पाए जाते हैं पोषक तत्व

बाजरा में मैग्नीशियम, कैल्शियम, मैग्नीज, फास्फोरस, फाइबर, विटामिन बी, और एंटी ऑक्सीडेंट तत्व पाए जाते हैं।

हड्डियों को बनाता मजबूत

बाजरा खाने से कैल्शियम मिलता है जो हड्डियों को मजबूती देता है। ये आस्टियोपोरोसिस जैसे रोगों से भी बचाता है।

ये है बाजरे का रकवा

जिले में 1.32 लाख हेक्टेअर में बाजरे का उत्पादन होता है।

ये है जैविक खाद का फार्मूला

एत्मादपुर के उदयवीर जैविक खाद खुद बनाते हैं। इसके लिए 180 लीटर पानी, दो किलोग्राम गुड़, दो किलो चने का आटा, दो किलो गेहूं का आटा, 15 किलोग्राम गाय का गोबर, दो लीटर गाय का मूत्र, दो किलो बरगद या पीपल के पेड़ के नीचे वाली नम मिट्टी लेते हैं। इसको 45 दिन ड्रम में मिलाकर छाया में रखा जाता है। इसको गोबर में मिलाकर जुताई के समय मिट्टी में मिलाया जाता है। ये मात्र एक हेक्टेअर खेत में पर्याप्त है।

ऐसे होता है बाजरे का प्रयोग

सर्दियों के मौसम बाजरा से बनी रोटी, लड्डू, खिचड़ी व टिक्की को सबसे ज्यादा पसंद किया जाता है। इसकी प्रकृति गरम और ऊर्जा अधिक होती है। इससे बाजरा खाने वाले अधिक शक्तिशाली व ऊर्जावान बने रहते हैं।

पाचन क्रिया में सहायक

बाजरा में फाइबर अधिक होता है जो पाचन क्रिया को ठीक रखकर हाजमे को दुरुस्त रखता है। साथ ही गैस, कब्ज और एसिडिटी से बचाता है।

दिल के मरीजों, डायबिटीज में लाभकारी

बाजरा मैग्नीशियम और पोटैशियम का एक अच्छा स्नोत है। कोलेस्ट्रॉल लेवल को कंट्रोल कर दिल की बीमारियों से बचाता है। इसके नियमित सेवन से डायबिटीज का खतरा कम होता है।

कैंसर से बचाव

बाजरा में मौजूद एंटी-ऑक्सीडेंट शरीर को रोगों से लड़ने की शक्ति प्रदान करता है। ये कैंसर की रोकथाम भी करता है।

गर्भावस्था में उपयोगी

गर्भावस्था में बाजरे का सेवन फायदेमंद है। बाजरा में कैल्शियम और आयरन भरपूर मात्र में पाया जाता है। इसीलिए बाजरा की रोटी या बाजरे की खिचड़ी उपयोगी रहती है।

वजन घटाने में सहायक

बाजरा वर्तमान की प्रमुख समस्या बढ़ते वजन से भी निजात दिलाता है। बाजरे में फाइबर के कारण पेट भरा रहता है और भूख कम लगती है।

क्‍या कहते हैं किसान

पहले सर्दियों में बाजरा खूब खाया जाता था। खिचड़ी और टिक्कड़ पर पूरा दिन निकल जाता था। नई पीढ़ी को इसका स्वाद पसंद नहीं आता। ठंडी रोटी तो छूना भी पसंद नहीं की जाती है। शारीरिक कमजोरी और बढ़ती बीमारियां ऐसे ही पौष्टिक अनाजों को छोड़ने के कारण हैं।

लाखन सिंह त्यागी, किसान

विशेषज्ञ की राय

बाजरा में पोषक तत्वों की भरमार होती है। इसके सेवन से बीमारियां दूर रहती है और उत्पादन भी आसान है। इसे और दूसरे मोटे अनाजों को कर किसान अपनी आय बढ़ाने के साथ ही लोगों को बेहतर स्वास्थ्य दे सकते हैं।

डॉ. आरएस चौहान, समन्वयक कृषि विज्ञान केंद्र, बिचपुरी


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