जीरो बजट से खेती के राजवीर हीरो
देव शर्मा,आगरा: किसान खेती में लागत मूल्य न मिलने की दुहाई दे रहे हैं, लेकिन इसके उलट मथुरा जिले के कोसीकला के गांव ओवा में किसान राजवीर ने जीरो बजट में मुनाफे की खेती कर कायम की है मिसाल।
देव शर्मा,आगरा: किसान खेती में लागत मूल्य न मिलने की दुहाई दे रहे हैं, लेकिन इसके उलट मथुरा जिले में कोसीकलां के गांव ओवा के युवा किसान राजवीर ¨सह जीरो लागत पर खेती-क्यारी करने के हीरो बन गए हैं। वे देसी नुस्खे अपनाकर काफी आगे बढ़ गए हैं। न वे कभी खाद लेने के लिए कोऑपरेटिव सोसायटी की लाइन में खड़े हो रहे हैं और न ही कीट-पतंगों को मारने के लिए कृषि रक्षा रसायन खरीद कर ला रहे हैं।
छाता तहसील के गांव ओवा के किसान राजवीर ¨सह ने दो साल पहले खेती में कुछ नया करने की ठानी थी। इंटर की पढ़ाई पूरी करके खेती कर रहे राजवीर ¨सह ने इंटरनेट पर कम लागत पर अधिक उपज के फार्मूला की खोज की और उनको राष्ट्रीय जैविक केंद्र गाजियाबाद का पता मिल गया। उन्होंने केंद्र से संपर्क किया और जीरो बजट पर खेती करने का प्रशिक्षण लेने के लिए गाजियाबाद पहुंच गए। यहां से उन्होंने कूड़े-करकट और घरेलू कचरे से खाद तैयार करने का फार्मूला सीखा। कीट-पतंगों से निपटने के लिए जैविक कीटनाशकों के बनाने की विधि का ज्ञान लिया। प्रशिक्षण लेकर राजवीर ¨सह ने रसायनिक खेती से तौबा करने का जोखिम उठाया और जैविक पद्धति को खेती में अपनाना शुरू कर दिया।
किसान राजवीर ¨सह आज बिना किसी लागत के खेती कर रहे हैं। वह कहते हैं कि जैविक केंद्र से 20 रुपये में बेस्टडीकंपोजर लेकर आए। उसकी मदद से फसलों के अवशेष, कूड़े-करकट और घरेलू कचरे का खाद तैयार करके खेतों में दिया। गाय का गोबर, गोमूत्र, बेसन, गुड़, पेड़ों की सूखी पत्ती, बरगद के पेड़ के नीचे की मिट्टी का प्रयोग कर जैविक खाद का प्रयोग अपने खेतों में कर रहे हैं। इससे मिट्टी की उर्वरा शक्ति में बढ़ोतरी हुई है। उत्पादन में भी कोई गिरावट नहीं आई है। सब्जियों के लिए मिनरल कल्चर भी अपने ही घर पर तैयार कर रहे हैं। इसके प्रयोग से खीरा, तोरई, धनिया, घीया की सब्जी का स्वाद भी जायकेदार हो रहा है। मिनरल कल्चर वह मक्का, सरसों, तिल, सूरजमुखी, मूंग, अरहर, कॉपर, लोहे की कील, गेरू और राख से बनाते हैं। पोटाश, जैब्रेलिक एसिड, ह्युमिक एसिड, जैविक यूरिया भी बना रहे हैं। इन सभी उत्पादों को तैयार करने में कोई अतिरिक्त खर्च नहीं करना पड़ रहा है। उन्होंने बताया कि दूसरे किसान को भी बेहद कम बजट पर स्वास्थ्य वर्धक उत्पादन के लिए प्रेरित कर रहे हैं। किसानों में जीरो बजट पर खेती करने को लेकर उत्सुकता तो है, लेकिन जोखिम उठाने से डर रहे हैं। उनको आज जागरूक करने की जरुरत है।