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आगरा में कागजो मे ओडीएफ, पर खुले मे शौच की मजबूरी

फतेहाबाद: सफाईकर्मी होने के बावजूद कूड़े के ढेर, नालियो मे भरी गदगी, टूटे खरजे और

By Edited By: Published: Mon, 11 Dec 2017 07:03 PM (IST)Updated: Wed, 13 Dec 2017 02:52 PM (IST)
आगरा में कागजो मे ओडीएफ, पर खुले मे शौच की मजबूरी
आगरा में कागजो मे ओडीएफ, पर खुले मे शौच की मजबूरी

फतेहाबाद (जेएनएन)। सफाईकर्मी होने के बावजूद कूड़े के ढेर, नालियो मे भरी गदगी, टूटे खरजे और गड्ढा युक्त सड़क पर जलभराव। ओडीएफ गांव घोषित होने के बाद भी शौच के लिए खेतो की ओर दौड़ लगाते ग्रामीण। यही हकीकत है फतेहाबाद के गाव मूसेपुरा का।

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तहसील मुख्यालय से आठ किमी दूर गांव मे सोमवार को जब जागरण पहुची तो जगह-जगह गदगी के ढेर लगे मिले। इसी साल जुलाई मे गाव ओडीएफ घोषित हो चुका है, लेकिन तमाम पुरुष एव महिलाए खुले मे शौच को जाते दिखाई दिए। करीब 2500 की आबादी वाले गाव मे शौचालयो का अभाव है। वर्ष 2013-14 मे गांव का चयन लोहिया ग्राम मे हुआ। उस समय 184 शौचालयो का निर्माण कराया गया, जिनमे से 30 शौचालय अभी भी अधूरे पड़े है। इसके बाद 54 शौचालय का निर्माण ओडीएफ योजना के तहत कराया गया। इनमे से एक दर्जन से अधिक शौचालयो का पैसा नही मिला है। करीब सौ परिवार ऐसे है जहां शौचालय की जरूरत आज भी है। इन परिवारो के लोग खुले मे ही शौच को जाते है।

गांव मे सफाईकर्मी की तैनाती के बावजूद गलियों मे गंदगी पसरी है। हालत यह है कि पाठशालाओ मे पैसा देकर गंदगी साफ कराई जाती है। उप स्वास्थ्य केद्र पर एएनएम महिलाओ और बच्चो को सिर्फ टीका लगाने ही आती है।

स्कूल कक्ष गिरासू: ग्रामीणो ने बताया कि श्मशान और प्राथमिक स्कूल की जमीन पर दबगो ने कब्जा कर लिया है। स्कूल मे जलभराव के कारण अतिरिक्त कक्ष गिरासू हालत मे पहुंच गया है। प्रधानाध्यापिका सुप्रिया शर्मा ने बताया कि जलभराव की उन्होने तहसील दिवस मे शिकायत की, लेकिन कार्रवाई नही हुई। उन्होने बताया कि सफाईकर्मी काम करने नही आता है। वह अपनी जेब से रुपये देकर शौचालय की सफाई करवाती हैं।

डेढ़ वर्ष से बंद है पेशन: गाव मे दो को विधवा पेशन, 21 को वृद्धावस्था पेशन, तीन को दिव्याग पेशन मिलती थी, जो डेढ़ वर्ष से बंद है।

चूल्हे पर पकता है खाना: उज्जवला योजना के तहत सिर्फ एक दर्जन लोगो को गैस कनेक्शन मिले है। अधिकाश महिलाए चूल्हे पर खाना पकाती है।

--वर्जन--

श्मशान और स्कूल की चहारदीवारी बनवा दी जाए तो गदगी और कब्जा भी हट जाएगा। जलभराव की समस्या से निजात मिल जाएगी।

-रन सिंह, ग्रामीण

गांव मे केवल तीन को दिव्यांग को पेशन मिलती थी। वह भी डेढ़ वर्ष से बंद कर दी गई है। ऐसे मे पेट भरने के लाले पड़े हुए है।

-सजय सिह, दिव्याग

उप स्वास्थ्य केद्र उपचार के पर्याप्त इंतजाम नही है। मजबूरी मे झोलाछाप की शरण लेनी पड़ती है। एएनएम भी नियमित नही आती है।

-छोटे लाल, ग्रामीण

श्मशान और विद्यालय की चहारदीवारी तथा खरजो को कार्य योजना मे सम्मिलित कर दिया है। धन मिलते ही कार्य प्रारभ कर दिया जाएगा।

-नत्थीलाल, ग्राम प्रधान


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