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विदेशी पिस्टल फैक्ट्री के नक्सली कनेक्शन तक नहीं पहुंची पुलिस, जानिए क्या है मामला

पिछले साल शास्त्रीपुरम में पकड़ी थी हथियारों की फैक्ट्री। आरोपितों ने 200 से ज्यादा पिस्टल बेचीं थीं देशभर में। समय के साथ बंद हो गई तफ्तीश।

By Prateek GuptaEdited By: Published: Sun, 16 Dec 2018 01:43 PM (IST)Updated: Sun, 16 Dec 2018 04:42 PM (IST)
विदेशी पिस्टल फैक्ट्री के नक्सली कनेक्शन तक नहीं पहुंची पुलिस, जानिए क्या है मामला

आगरा, जागरण संवाददाता। नकली विदेशी पिस्टल बनाने की फैक्ट्री पकड़े जाने के बाद हथियार सप्लायरों के बड़े नेटवर्क का पर्दाफाश हुआ। लखनऊ के गन हाउस से इन पिस्टल के बिकने के साथ ही पूर्वोत्तर राज्यों के उग्रवादी संगठनों में सप्लाई की बात सामने आई। शुरुआत में पुलिस ने रुचि दिखाई तो कई स्थानों से पिस्टल बरामद हो गईं। मगर, समय के साथ पुलिस की जांच भी ढीली पड़ती गई। इस गिरोह में शामिल अन्य लोगों के बारे में पता करना तो दूर पुलिस एक नामजद आरोपित को भी नहीं पकड़ सकी। उसके खिलाफ बिना गिरफ्तारी के चार्जशीट लगा दी गई।

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फ्लैश बैक

सिकंदरा के शास्त्रीपुरम में निखिल पैराडाइज कॉलोनी के एक मकान में तीन साल से नकली विदेशी पिस्टल बनाने की फैक्ट्री चल रही थी। छह मार्च 2017 को तत्कालीन ट्रैफिक इंस्पेक्टर तेज बहादुर सिंह ने छापा मारकर फैक्ट्री से सरगना लोकेश शर्मा और शस्त्र विक्रेता लखनऊ के वजीर गंज स्थित पुष्पांजलि एन्क्लेव निवासी हरजीत सिंह सरना को गिरफ्तार कर लिया। लोकेश की निशानदेही पर कारीगर नई दिल्ली के तिलक नगर निवासी गुरुबख्स सिंह को भी गिरफ्तार कर लिया गया। फैक्ट्री में स्पेन की स्टार और इटली की वरेटा कंपनी की नकली पिस्टल ऑन डिमांड तैयार की जा रहीं थीं। ये पिस्टल एक लाख साठ हजार रुपये में शस्त्र विक्रेताओं को बेच दी जाती थीं। यहां से शस्त्र धारकों को आठ लाख रुपये कीमत में पिस्टल मिलती थीं। मौके से 40 बनी और अधबनी पिस्टल बरामद हुई थीं। पुलिस ने सभी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। इस मामले में एत्माद्दौला थाने में ट्रैफिक इंस्पेक्टर तेज बहादुर सिंह ने मुकदमा दर्ज कराया। एटा के शस्त्र विक्रेता ने असोम, नागालैंड, महाराष्ट्र समेत अन्य राज्यों में करीब 200 पिस्टल बेची थीं। इन्हीं में से कुछ नक्सलियों तक पहुंचने की आशंका थी। मगर, पुलिस इन तक नहीं पहुंच सकी।

बंद गन हाउस के नाम से बेचीं पिस्टल

इंस्पेक्टर राघवेंद्र सिंह ने मामले की जांच की तो एटा के अशोक सिंह व फीरोजाबाद के विष्णुकांत के नाम सामने आए। दोनों ने शुभम गन हाउस एटा के नाम से फर्जी बिल व रसीद छपवाकर एंट्री कर दीं। अशोक आम्र्स स्टोर एटा और रघुवर गन हाउस फीरोजाबाद के अभिलेखों में हेराफेरी कर कुछ पिस्टल संगली महाराष्ट्र के एक शस्त्र डीलर शैल चन्नप्पा नागमाती को असली बताकर बेच दीं। उसको असली बताकर फर्जी रसीदों के आधार पर वर्ष 2013-14 में दो से तीन लाख रुपये में बेची थीं।

छह आरोपितों के खिलाफ लगाई चार्जशीट

एत्माद्दौला थाना पुलिस ने इस मामले में पांच आरोपितों के खिलाफ चार्जशीट लगाई थी। पांचों गिरफ्तार किए गए थे। छठवां आरोपित फरार था। जांच दूसरे राज्यों तक होनी थी इसलिए यह क्राइम ब्रांच में ट्रांसफर कर दी गई। मगर, क्राइम ब्रांच छठवें आरोपित फीरोजाबाद के विष्णुकांत को गिरफ्तार नहीं कर सकी। इसके खिलाफ बिना गिरफ्तारी के मई 2018 में चार्जशीट लगा दी गई।

विवेचना की समीक्षा करेंगे। अगर इसमें और विवेचना की गुंजाइश होगी तो अग्रिम विवेचना कराई जाएगी। गिरोह में शामिल सभी आरोपितों तक पुलिस पहुंचेगी।

अमित पाठक, एसएसपी


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