अरावली की पहाडिय़ों पर मंडराता खतरा, कहीं नष्ट न हो जाए अमूल्य संपदा
अरावली पर्वत श्रंखला पर हैं जगह-जगह कृष्णकालीन चिह्न। अतिक्रमण के चलते अमूल्य संपदा नष्ट होने के कगार पर।
आगरा [जेएनएन]: मथुरा जिले में स्थित अरावली की पहाडिय़ां सिर्फ पर्वत श्रंखला नहीं है बल्कि यह हजारों साल पुरानी कृष्णकालीन विरासत है। यहां विरासत को नष्ट कर कंक्रीट के जंगल खड़े किए जा रहे हैं। यह सब अधिकारियों की आंखों के सामने हो रहा है।
जिले के बरसाना, नंदगांव और गोवर्धन में स्थित अरावली की पहाडिय़ों में जगह-जगह कृष्णकालीन सांस्कृतिक विरासत देखने को मिलती है। यहां राधा-कृष्ण की लीलाओं के कई साक्ष्य हैं। लगातार हो रहे अतिक्रमण के कारण इनके अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है। कुछ समय पूर्व जब दैनिक जागरण ने इस मुद्दे को प्रमुखता से प्रकाशित किया था। तब एसडीएम गोवर्धन नागेंद्र प्रताप ने कहा था कि जल्द ही इस मामले में कार्रवाई की जाएगी। अभी तक कुछ नहीं हुआ। अतिक्रमण की यह गति और स्थिति रही तो वह दिन दूर नहीं जब राधा-कृष्ण की लीलाओं से जुड़े चिह्न मिट जाएंगे और वे सिर्फ किस्से कहानियों तक सिमट कर रह जाएंगे।
बरसाना परिक्रमा मार्ग में पडऩे वाले प्राचीन धार्मिक स्थलों पर नए निर्माण हो रहे हैं। ये न तो वन विभाग को दिखाई दे रहे हैं और न राजस्व विभाग को। स्थिति यह है कि बना अनुमति पहाडिय़ों पर खड़े प्राचीन पेड़ तक काटे जा रहे हैं।
पीपुल पर्यावरण मिशन के संस्थापक आचार्य भरत, भगत ङ्क्षसह, क्रांतिदल के संस्थापक पदम फौजी और समाजसेवी गौतम खंडेलवाल का कहना है कि ब्रज के वन, कुंज, पहाडिय़ां, कुंड आदि कृष्णकालीन हैं। ये ब्रज की धरा के आभूषण और अलंकार हैं। प्रशासन ने इस ओर ध्यान नहीं दिया तो, मजबूरन ब्रजवासियों को एकजुट कर आंदोलन करना पड़ेगा।
शिकायत मिलने पर होगी कार्रवाई
एसडीएम गोवर्धन नागेंद्र सिंह का कहना है कि पहाडिय़ों पर अतिक्रमण रोकने की जिम्मेदारी वन विभाग और उद्यान विभाग की है। यदि कोई शिकायत मिलेगी तो कार्रवाई की जाएगी।