ताजनगरी के इस युवा डॉक्टर ने बढ़ाया शहर का मान, कम उम्र में मिली बड़ी उपलब्धि Agra News
डा. केशव मल्होत्रा के नाम दर्ज को मिला बडिंग एंब्रियोलाॅजिस्ट आॅफ द ईयर अवाॅर्ड।
आगरा, जागरण संवाददाता। सच है, उम्र नहीं हौसला बड़ा होना चाहिए। आगरा के युवा डाॅक्टर केशव मल्होत्रा से यही प्रेरणा मिलती है। बेहद कम उम्र में ही डा. केशव मल्होत्रा ने न सिर्फ बड़ी उपलब्धियां हासिल की हैं बल्कि IVF के क्षेत्र में इलाज की कई नई और आधुनिक तकनीकों को भी आगरा और उत्तर प्रदेश में स्थापित करने वाले सख्श बन गए हैं।
रेनबो हाॅस्पिटल के एंब्रियोलाॅजिस्ट डा. केशव मल्होत्रा के खाते में एक और उपलब्धि जुड़ गई है। दिल्ली में आयोजित एक समारोह में उन्हें बडिंग एंब्रियोलाॅजिस्ट आॅफ द ईयर अवाॅर्ड से नवाजा गया है। उन्हें यह सम्मान एशिया होल्डिंग कंपनी के विशाल बाली ने दिया। IVF के क्षेत्र में भारत में हुए एक सर्वे और 10 लोगों की ज्यूरी के फैसले के आधार पर डा. केशव मल्होत्रा का नाम बडिंग एंबियोलाॅजिस्ट आॅफ द ईयर अवाॅर्ड के लिए चुना गय था, जबकि समारोह में IVF के विशाल क्षेत्र की अलग-अलग कैटिगिरी में दर्जनों अवाॅर्ड प्रदान किए जाते हैं। महज 28 साल की उम्र में इस सम्मान को ग्रहण करने के बाद डा. केशव ने कहा कि उनके लिए यकीन कर पाना मुश्किल हो रहा है कि यह बड़ा सम्मान उन्हें दिया गया है। हालांकि डा. केशव ने इसका श्रेय अपनी मां डा. जयदीप मल्होत्रा और पिता डा. नरेंद्र मल्होत्रा को देते हुए कहा कि जब आपके माता-पिता आप पर यकीन करते हैं तो दुनिया में कोई भी लक्ष्य ऐसा नहीं है जिसे हासिल न किया जा सके।
आगरा में स्थापित कीं IVF से इलाज की आधुनिक तकनीकें
डा. केशव मल्होत्रा के नाम ऐसी तमाम उपलब्धियां हैं। एक अनुमान के मुताबिक भारत में 3000 से अधिक आईवीएफ केंद्रों पर मान्यता प्राप्त एंब्रियोलाॅजिस्ट महज 400 से 500 ही हैं। इनमें भी बेहद कम ही ऐसे हैं जिनके पास विदेश से मान्यताएं हैं। डा. केशव मल्होत्रा ने हाल ही में एशरे सर्टिफिकेशन भी हासिल किया है। इस परीक्षा में दुनिया भर से एंब्रियोलाॅजिस्ट शामिल होते हैं। डा. केशव समेत अब तक देश में 25 डॉक्टरों ने यह परीक्षा उत्तीर्ण की है। ने ही इस परीक्षा को पास किया है। वहीं भारत में आरआई विटनेस सिस्टम स्थापित करने वाले वह पहले एंब्रियोलाॅजिस्ट और रेनबो हाॅस्पिटल पहला सेंटर है। डा. केशव द्वारा लाई गई एंब्रियोस्कोप से भ्रूण की निगरानी तकनीक उत्तर प्रदेश में दूसरे एंब्रियोस्कोप को स्थापित करना है। इंडियन सोसायटी आॅफ असिस्टेड रिप्रोडक्शन के वह पहले यंगेस्ट बोर्ड मैंबर हैं।