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डॉक्टर का शव कमरे में फंदे पर लटका मिला, पुलिस कर रही जांच

-जगदीशपुरा के अलबतिया की घटना, सात दिन पहले ही हुई थी शादी -एसएन से वर्ष 2016 में हुए थे पासआउट, परिवार में कोहराम

By JagranEdited By: Published: Wed, 19 Dec 2018 06:30 AM (IST)Updated: Wed, 19 Dec 2018 06:30 AM (IST)
डॉक्टर का शव कमरे में फंदे पर लटका मिला, पुलिस कर रही जांच

आगरा, जागरण संवाददाता। जगदीशपुरा के अलबतिया स्थित राधिका एस्टेट में मंगलवार को डॉक्टर ने खुदकशी कर ली। उनका शव कमरे में फंदे पर लटका मिला। डॉक्टर की सात दिन पहले ही शादी हुई थी।

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राधिका एस्टेट निवासी डॉक्टर नवल कांत सिंह (35) ने एसएन मेडिकल कॉलेज से वर्ष 2016 में पासआउट किया था। डॉ. नवल कांत सिंह की शादी इसी 11 दिसंबर को हुई थी। पत्नी ज्योति दो दिन पहले मायके से लौटकर आई थीं। डॉक्टर के ससुर महेश बघेल फार्मासिस्ट हैं।

डॉ. नवल कांत सिंह ने पीजी की तैयारी के लिए स्वास्थ्य विभाग की नौकरी छोड़ दी थी। वे दहतोरा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर तैनात रहे थे। बताते हैं कि मंगलवार दोपहर एक बजे वह पिता छत्रपाल के पास बैठे बातचीत कर रहे थे। इसी दौरान पिता के परिचित मिलने आ गए। इस पर डॉ. नवल पत्नी से खाना तैयार करने की कहकर अपने कमरे में चले गए। काफी देर तक जब वो कमरे से नहीं आए तो पत्नी ज्योति उन्हें खाने के लिए बुलाने कमरे में गई। काफी आवाज देने पर भी दरवाजा नहीं खुलने परिवार के लोग वहां जुट गए।

परिजनों ने दरवाजा तोड़ा तो अंदर पंखे के हुक से फंदे पर डॉ. नवल का शव लटका देख होश उड़ गए। उन्हें तत्काल नीचे उतारकर एसएन इमरजेंसी ले गए। वहां डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। इंस्पेक्टर जगदीशपुरा रमेश भारद्वाज ने बताया कि परिजन डॉ. नवल की खुदकशी का कारण नहीं बता सके हैं। मामले की जांच की जा रही है। चार बहनों में इकलौते थे नवल डॉ. नवल चार बहनों में इकलौते भाई थे। डॉक्टरों द्वारा मृत घोषित करने के बाद परिजन शव को घर ले आए। वह पोस्टमार्टम नहीं कराना चाहते थे। मगर, सगे संबंधियों के समझाने के बाद शाम को परिजनों ने पुलिस को बुलाकर शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा। बॉक्स: हाथों की मेंहदी छूटने से पहले विधवा हो गई

डॉ. नवल कांत से शादी के सात दिन बाद ज्योति के हाथों की मेंहदी भी नहीं छूटी थी। इससे पहले सुहाग उजड़ गया। पति की मौत का पता चलते ही वह बेहोश हो गई। एसएन पर मां को डॉ. के शव से लिपटकर रोते देख वहां जुटे रिश्तेदारों की आंखें भी नम थीं।


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