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ताजमहल के दीदार पर देव आनंद ने सुरैया को पहनाई थी अंगूठी, बना था मोहब्‍बत का गवाह

साठ के दशक में देवानंद और सुरैया आए थे आगरा। ताजमहल पर पहनाई थी अंगुठी। फिल्मी नौ दो ग्‍यारह की शूटिंग के दौरान भी हुआ था आगरा आना।

By Prateek GuptaEdited By: Published: Wed, 26 Sep 2018 03:24 PM (IST)Updated: Wed, 26 Sep 2018 04:15 PM (IST)
ताजमहल के दीदार पर देव आनंद ने सुरैया को पहनाई थी अंगूठी, बना था मोहब्‍बत का गवाह
ताजमहल के दीदार पर देव आनंद ने सुरैया को पहनाई थी अंगूठी, बना था मोहब्‍बत का गवाह

आगरा [तनु गुप्ता]। दुनिया जिसे मोहब्बत की मीनार कहती है, वहां न जाने कितने ही प्रेमी जोड़ों ने साथ- साथ जीने मरने की कसमें खाई हैं। इश्क की इसी निशानी के साये तले एक दौर में सिने प्रेमियों के दिलों की धड़कन रहे अभिनेता देवानंद ने अपनी प्रेयसी और अपने दौर की मशहूर अभिनेत्री सुरैया को अंगूठी पहनाकर दिल की डोर जोड़ी थी। हालांकि दोनों प्रेमी शादी के बंधन में नहीं बंध सके लेकिन उनके इश्क की दास्तां मुंबई के फिल्मी गलियारों के साथ ताजनगरी की गलियों में कभी कभार चर्चा का विषय बनी ही जाती है। आज सिने अभिनेता देवानंद का जन्म दिन है। भले ही वो इस दुनिया में नहीं रहे लेकिन उनकी अदाकारी के साथ उनकी मोहब्बत के किस्से फिल्मी प्रेमियों के बीच आज भी सुने सुनाए जाते हैं।

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देव साहब और ताजनगरी

देव साहब और ताज नगरी, क्या कोई रिश्ता था इस बाबत जागरण.कॉम ने फिल्म समीक्षक अंबरीश गौड़ से बात की। उन्होंने 1975 में आई फिल्म वारेंट के दौरान की तस्वीर साझा करते हुए बताया कि 60 के दशक में अदाकारा सुरैया और युवा दिलों की धड़कन देवानंद की मोहब्बत खासी चर्चा का विषय हुआ करती थी। फिल्मी दर्शकों को दोनों की जोड़ी रूपहले पर्दे पर जितनी अच्छी लगती थी उतनी ही पसंद वास्तविक जीवन में भी थी। दोनों को साथ देखना, चर्चा का मुद्दा बन जाता था। उसी दौर में विशेष चर्चा का विषय रहा था दोनों का ताज महल आना। उस दौर के फिल्मी गलियारों में झांकने वालों का दावा हुआ करता था कि देव साहब ने सुरैया को ताज महल के साये तले अंगूठी पहनाकर अपने प्यार का इजहार किया था।

क्यों नहीं हुए देव- सुरैया एक

देवानंद और सुरैया की मोहब्बत आखिर क्यों परवान न चढ़ सकी, यह सवाल अक्सर लोगों के दिमाग में आता है। दरअसल सुरैया मुस्लिम धर्म से थीं और देव आनंद हिंदू। सुरैया की नानी का वर्चस्व उनके फिल्मी करियर पर था। नानी के लिए सुरैया सोने का अंडा देने वाली मुर्गी हुआ करती थीं। जिस दौर में सुरैया और देवानंद का इश्क परवान चढ़ रहा था उस वक्त देव आनंद का फिल्मी करियर उठ ही रहा था और सुरैया एक स्थापित नाम था। दोनों को अलग करने के लिए नानी ने शर्त रख दी कि देवानंद यदि अपना धर्म परिवर्तन करते हैं तो ही सुरैया उनकी बन सकेंगी। देव ने इससे इंकार कर दिया और दोनों की मोहब्बत शादी की मंजिल न पा सकी। हालांकि देवानंद ने बाद में कल्पना कार्तिक से शादी कर ली लेकिन सुरैया आजीवन अविवाहित ही रहीं।

यमुना किनारा रोड पर चलाई थी देवानंद ने जीप

1957 में आई फिल्म नौ दो ग्यारह के प्रसिद्ध गीत हम हैं राही प्यार के, शूटिंग के दौरान देवानंद का आगरा आना हुआ था। गीत में देव को जीप में सवार दिखाया गया है। देव दिल्ली से फतेहपुर सीकरी होते हुए आगरा आते हैं और किले से सटी यमुना किनारा रोड होते हुए ताज महल में प्रवेश करते हैं। यह गीत आज भी सीने प्रेमी गुनगुनाते जरूर हैं।इस फिल्म के डायरेक्‍टर विजय आनंद थे और अभिनेत्री कल्‍पना कार्तिक थीं।

जब देश के पहले राष्ट्रपति ने पूछा कौन हैं देवानंद

अंबरीश बताते हैं कि उसी दौर में देश के प्रथम राष्ट्रपति रहे डॉ. राजेंद्र प्रसाद छात्रों के एक दल के साथ ताज महल भ्रमण के लिए आए थे। जब वे छात्रों को ताज की विशेषता बता रहे थे तभी उनमें से कुछ छात्रों ने उनसे पूछ लिया कि सर क्या यह वही ताज है जहां देव ने सुरैया से सगाई की थी। पूर्व राष्ट्रपति सोच में पड़ गए कि ये देवानंद कौन है। दरअसल उस वक्त देव साहब की कुछ ही फिल्में प्रदर्शित हुईं थीं और सुरैया एक बड़ा नाम थीं। तब उनके साथ आए प्रशासनिक अमले ने पूरे किस्से को बताया।

हर फिक्र को धुएं में उड़ा देते थे देव साहब

फिल्मी पत्रकार भी रह चुके अंबरीश गौड़ ने कई बार दिग्गज अभिनेता के साथ मुलाकात की थी। जिस दौर में उनकी फिल्में लगातार फ्लॉप जा रही थीं उस वक्त इस संदर्भ में अंबरीश ने उनसे सवाल कर लिया। अंबरीश बताते हैं देव साहब ने बड़े ही खास अंदाज में जवाब दिया कि फिल्म बनाने के बाद वो पीछे मुड़कर नहीं देखते। फिक्र को धुएं में उड़ाते हुए आगे बढ़ते हैं। अंबरीश के अनुसार देवानंद सहज और सरल व्यक्तित्व के साथ जिंदादिल भी थे। स्टाइल तो जैसे उनके रोम- रोम में बसी थी। समय का पाबंद रहना भी उनके व्यक्तित्व में शुमार था।


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