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Yamuna: कालिंदी की है पीर, सुधार के बावजूद नहाने के लायक नहीं यमुना का पानी

सन 2020 में यमुना प्रदूषण के आंकड़ों में हुअा कुछ सुधार। यूपीपीसीबी की वार्षिक रिपोर्ट से सामने आई हकीकत। मथुरा-वृंदावन में हो रहा है कुंभ का आयोजन। गंगाजल आने के बाद भी पानी की गुणवत्‍ता नहीं आया है सुधार। आगरा तक नदी के आने पर हालात और खराब।

By Prateek GuptaEdited By: Published: Thu, 18 Feb 2021 12:53 PM (IST)Updated: Thu, 18 Feb 2021 12:53 PM (IST)
आगरा में यमुना का हाल बताने के लिए ये तस्‍वीर काफी है।

आगरा, जागरण संवाददाता। कोरोना काल में यमुना प्रदूषण के वार्षिक आैसत में कमी आई है। उप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) द्वारा जारी वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार ताजनगरी में वर्ष 2020 में यमुना में टोटल कालिफार्म (मानव व जीव अपशिष्ट) की मात्रा में कमी दर्ज की गई, लेकिन इसके बावजूद यमुना का पानी पीने लायक तो छोड़िए, नहाने के लायक भी नहीं है।

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यूपीपीसीबी द्वारा प्रतिमाह दो बार यमुना जल में प्रदूषण की जांच को सैंपलिंग की जाती है। अपर स्ट्रीम में कैलाश व वाटर वर्क्स और डाउन स्ट्रीम में ताजमहल से यमुना जल का सैंपल लेकर जांच की जाती है। सैंपल की जांच कर यूपीपीसीबी द्वारा यमुना जल में डिजाल्व आक्सीजन (डीओ), बायो आक्सीजन डिमांड (बीओडी), टोटल कालिफार्म व फीकल कालिफार्म की मात्रा की जांच की जाती है। वर्ष 2020 में जनवरी से दिसबंर तक लिए गए सैंपल के आधार पर यूपीपीसीबी ने डीओ, बीओडी, टोटल कालिफार्म व फीकल कालिफार्म का वार्षिक औसत जारी किया है। वर्ष 2019 की अपेक्षा वर्ष 2020 में तीनों सैंपलिंग प्वाइंट पर टोटल कालिफार्म की मात्रा में कमी दर्ज की गई। तीनों स्थानों पर डीओ आैर बीओडी की स्थिति में अधिक फर्क नहीं पड़ा है। बीओडी तीनों स्थानों पर मानक से अधिक रही। कैलाश घाट पर डीओ मानक से अधिक रही, लेकिन वाटर वर्क्स व ताजमहल के डाउन स्ट्रीम में यह मानक के अनुरूप रही। इसकी वजह नालों में अपनाई जा रही बायो-रेमेडिएशन तकनीक (जैविक उपचार पद्धति) को माना जा रहा है।

पिछले तीन वर्षों में वार्षिक औसत

वर्ष, डीओ, बीओडी, टोटल कालिफार्म, फीकल कालिफार्म

अपर स्ट्रीम कैलाश घाट

2018, 6.5, 9.8, 32750, -

2019, 5.8, 11.3, 36333, -

2020, 6.3, 11.2, 34417, 15250

अपर स्ट्रीम वाटर वर्क्स

2018, 5.8, 12.2, 52833, -

2019, 5.3, 12.7, 54667, -

2020, 5.8, 13.0, 45167, 19250

डाउन स्ट्रीम ताजमहल

2018, 5.1, 13.1, 98750, -

2019, 4.8, 14.6, 109250, -

2020, 5.3, 14.2, 83750, 38000

मानक

डीओ: पीने के पानी में छह, नहाने के पानी में पांच, शोधन के बाद चार मिलीग्राम प्रति लीटर से कम नहीं होनी चाहिए।

बीओडी: पीने के पानी में दो, नहाने के पानी में तीन और शोधन के बाद तीन मिलीग्राम प्रति लीटर से अधिक नहीं होनी चाहिए।

टोटल कालिफार्म: पीने के पानी में 50, नहाने के पानी में 500 और शोधन के बाद किसी भी दशा में पांच हजार मोस्ट प्रोबेबल नंबर प्रति 100 मिलीलीटर से अधिक नहीं होनी चाहिए।

यमुना जल में प्रदूषण के वार्षिक औसत में कुछ सुधार हुआ है। नगर निगम द्वारा शहर के कुछ नालों में बायो-रेमेडिएशन तकनीक का उपयोग किया जा रहा है। अभी फाइटो तकनीक का उपयोग और किया जाना है। इसके बाद स्थिति में और सुधार होगा।

-भुवन प्रकाश यादव, क्षेत्रीय अधिकारी यूपीपीसीबी

यमुना प्रदूषण के आंकड़ों में सुधार जरूर दिख रहा है, लेकिन नालों से सीवेज यमुना में बदस्तूर जा रहा है। यमुना जल में मिली टोटल कालिफार्म की मात्रा इसकी कलई खोल रही है। यमुना में सीधे गिरते नालाें को रोकना होगा, तभी स्थिति में सुधार होगा।

-डा. शरद गुप्ता, पर्यावरणविद 


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