VIP Number के क्रेज पर भारी पड़ गई ऑनलाइन बिड, कम हुुुुई डिमांड Agra News
वीआइपी नंबर के लिए तीन माह पहले शुरू हुई थी ऑनलाइन बिड प्रक्रिया। लंबी प्रक्रिया के कारण लोग नहीं ले रहे रुचि।
आगरा, जागरण संवाददाता। निजी वाहन के लिए वीआइपी नंबर लेने का मोह अब लंबी प्रक्रिया के कारण धीरे-धीरे घट रहा है। तीन महीने पहले संभागीय परिवहन विभाग में वीआइपी नंबर लेने के लिए ऑनलाइन बिड की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
संभागीय परिवहन विभाग में पहले वीआइपी नंबर के लिए रेट फिक्स थे। निर्धारित धनराशि जमा करने के बाद वीआइपी नंबर जारी कर दिया जाता है। तीन महीने पहले इस व्यवस्था में बदलाव किया गया। वीआइपी नंबरों के लिए ऑनलाइन बिड प्रक्रिया शुरू की गई है। पूरी बिड प्रक्रिया तकरीबन एक सप्ताह के भीतर पूरी होती है। प्रक्रिया लंबी होने के कारण लोगों का इससे मोह भंग हो रहा है।
ये है ऑनलाइन प्रक्रिया
वीआइपी नंबर को पहले तीन दिन तक बुक कराया जाता है। इसके बाद ऑनलाइन ही बोली लगाई जाती है। तीन दिन तक इसी तरह प्रक्रिया चलती है। इसके अगले दिन जो व्यक्ति सबसे ज्यादा बोली लगाता है नंबर उसी को आवंटित कर दिया जाता है। ऑनलाइन बिड में कम से कम तीन लोगों का शामिल होना जरूरी है। उनमें से जो सबसे बड़ी बोली लगाता है नंबर उसी को आवंटित कर दिया जाता है।
बेस प्राइस पर भी नहीं ले रहे नंबर
स्थिति ये है कि पहले वीआइपी नंबरों को लेने की मारामारी रहती थी लेकिन अब लोग बेस प्राइस पर भी नंबर लेने को तैयार नहीं है। एक से लेकर नौ नंबर तक की डिमांड ज्यादा रहती थी लेकिन अब इन नंबरों की मांग भी कम हुई है। ऑनलाइन बिड से पहले की व्यवस्था में विभाग को सात से आठ लाख रुपये का राजस्व मिलता था जो अब घटकर तीन से चार लाख रुपये रह गया है।
विभाग ने फिर बढ़ाई बेस प्राइस
विभाग ने वीआइपी नंबरों का बेस प्राइस फिर बढ़ा दिया है। गौरतलब है कि कुछ महत्वपूर्ण वीआइपी नंबरों का बेस प्राइस अब 15 हजार से बढ़ाकर एक लाख कर दिया गया है। उदाहरण के तौर पर एक ही नंबर की पुनरावृत्ति वाले नंबर (जैसे 1111) का बेस प्राइस अब एक लाख रुपये होगा। ऑनलाइन बिड में पहले से ही राजस्व को नुकसान हो रहा है। अब बेस प्राइस फिर बढ़ा देने से लोगों में वीआइपी नंबरों से मोहभंग हो सकता है।
नंबर- बेस मूल्य - बिड मूल्य
0003 15000 15500
4444 15000 15500
8080 3000 3500
9090 3000 4000
0707 3000 3500
ऑनलाइन बिड से विभाग को राजस्व का नुकसान हो रहा है। पहले के मुकाबले कमाई आधे भी कम हो गई है। लंबी प्रक्रिया के कारण लोग रुचि नहीं ले रहे हैं।
एके सिंह, एआरटीओ प्रशासन