एक बार फिर उठी किसानों के मसीहा को भारत रत्न देने की मांग
किसान मसीहा को भारत रत्न से सम्मानित किया जाय। 33 वी पुण्य तिथि पर विभिन्न संगठनों ने की जोरदार मांग।
आगरा, जागरण संवाददाता। देश के भूतपूर्व प्रधानमंत्री व किसान मजदूरों के मसीहा स्वर्गीय चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न से सम्मानित करने की मांग एक बार फिर उठ रही है। पूर्व प्रधानमंत्री की पुण्य तिथि पर विभिन्न संगठनों ने यह मांग उठाई।
शुक्रवार को पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की 33 वीं पुण्यतिथि पर मनाई गई। राष्ट्रीय लोक दल के साथ विभिन्न सामाजिक संगठनों के नेताओं और चौधरी चरण सिंह के अनुयायियों ने दीवानी स्थित आईलैंड पर चौधरी साहब की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित किए। इस दौरान सभी ने एक स्वर में भारत रत्न देने की मांग उठाई। कहा कि स्व चौधरी चरण सिंह ने देश के गांव गरीब किसान मजदूर के लिए अपना संपूर्ण जीवन अर्पित कर दिया। देश का किसान, मजदूर आज भी उन्हें अपने मसीहा के रूप में याद करता है। इसलिए किसान मजदूरों के सम्मान में स्व चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न से सम्मानित किया जाए।राष्ट्रीय लोकदल के प्रदेश प्रवक्ता कप्तान सिंह चाहर ने कहा कि कोरोना जैसी महामारी से निपटने के लिए स्व चौधरी चरण सिंह की नीतियां ही प्रासंगिक हैं। जो आज भी किसान, गांंव, गरीब व मजदूरों के बचाव के लिये जरूरी हैंं। रालोद जिलाध्यक्ष मालती चौधरी व मण्डल अध्यक्ष नरेन्द्र बघेल ने उन्हे भारत रत्न से सम्मानित किये जाने की मांग की।
दीवानी चौराहे से प्रतिमा पर श्रद्धा सुमन अर्पित करने वालों में जिला अध्यक्ष मालती चौधरी, पूर्व प्रदेश प्रवक्ता कप्तान सिंह चाहर, पूर्व मंडल अध्यक्ष नरेंद्र बघेल, चौधरी दिलीप सिंह, कर्मचारी नेता महेंद्र सिंह फौजदार, जाट महासभा के ङा कुमरेन्द्रसिंह, जितेन्द्र चाहर व चौधरी जगबीर सिंह, रालोद आईटी प्रकोष्ठ के वीर फौजदार चौधरी दिलीप सिंह, अजय चाहर, किसान प्रकोष्ठ के जिलाध्यक्ष चौ बच्चू सिंह आदि प्रमुख थे।
सिद्धांतों और मर्यादित व्यवहार के कारण चलती थी चौधराहट
स्पष्टवादी नेता की छवि वाले चौधरी चरण सिंह किसानों के मसीहा माने जाते थे। किसानों के हित की खातिर पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय इंदिरा गांधी के खिलाफ आवाज बुलंद करने वाले चौधरी चरण सिंह ने उत्तर प्रदेश में भी राजनीति की लम्बी पारी खेली। देश में आपातकाल के खात्मे और इंदिरा गांधी की राजनीति में वापसी के बीच चौधरी चरण सिंह देश के प्रधानमंत्री बने थे। उन्हेंं राजनीति के चौधरी साहब ऐसे ही नहीं कहा जाता है बल्कि अपने सिद्धांतों और मर्यादित व्यवहार के कारण उनकी चौधराहट चलती थी।