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आगरा की इस बेटी ने पिता के कैंसर से अकेले लड़ी जंग

पिता की बीमारी के लिए मदद न मिलने पर जूही ने प्रशासन से लेकर राज्य सरकार तक को झकझोर दिया।

By amal chowdhuryEdited By: Published: Thu, 30 Mar 2017 12:42 PM (IST)Updated: Thu, 30 Mar 2017 12:45 PM (IST)
आगरा की इस बेटी ने पिता के कैंसर से अकेले लड़ी जंग

आगरा (जागरण संवाददाता)। बेटे की चाह में गर्भ में पलने वाली नन्ही कली की हत्या करने वाले मां-बाप को एक बार जूही प्रकाश से जरूर मिलना चाहिए। जुझारू जूही अपने पिता को मौत के मुंह से खींच लाई है। पिता की बीमारी के लिए मदद न मिलने पर जूही ने प्रशासन से लेकर राज्य सरकार तक को झकझोर दिया। उसकी कोशिशों ने पिता को अहसास करा दिया है कि बेटी अगर जूही जैसी हो जो समाज को बेटों की कतई जरूरत नहीं।

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मुंह के कैंसर के जूझ रहे पिता को बचाने की कोशिश में लगी जूही लोगों की नजर में अपने ट्वीट के कारण आईं। रुई की मंडी, शाहगंज निवासी जूही ने कुछ माह पहले अपने ट्वीट में पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से पिता की बीमारी के लिए आर्थिक मदद मांगी थी। सीएमओ से मदद का आश्वासन तो मिला लेकिन मदद नहीं मिली। इस आश्वासन ने ही जूही को लड़ने की ताकत प्रदान की।

जूही के अनुसार वह दिन में कई बार पूर्व मुख्यमंत्री के एकाउंट पर ट्वीट करतीं। पीएम से भी उन्होंने मदद मांगी। फेसबुक पर आर्थिक मदद की गुहार लगाई। जूही के पिता नित्य प्रकाश के मुंह का कैंसर तीसरी स्टेज पर पहुंच चुका था। तीन साल पहले मां की भी कैंसर से मौत हो चुकी है। दो भाइयों में से एक लिवर की बीमारी से जूझ रहा है। घर का जूते का बिजनेस मां की बीमारी के साथ ही ठप हो गया।

अब उनके पास इतना पैसा नहीं था कि पिता का इलाज कराया जाए। जूही के अनुसार जैसे-जैसे दिन बीत रहे थे, पिता मौत के करीब जाने लगे थे। जूही इस बीमारी में अपनी मां को तो खो चुकी थीं, पिता को नहीं खोना चाहती थीं। उन्होंने मदद के लिए प्रयास तेज कर दिए। कोशिश अगर दिल से की जाए तो रंग जरूर लाती है। एक दिन जूही की मदद के लिए लखनऊ से फोन आया और ऑपरेशन के लिए खर्चा बताने को कहा। लखनऊ से प्रस्ताव मंजूर हो गया लेकिन जिला प्रशासन के संज्ञान में मामला न होने से जूही को फिर से लखनऊ गुहार लगानी पड़ी।

जॉब मिल जाएगी लेकिन पिता नहीं: जूही ने डॉ. एमपीएस कॉलेज से एमबीए किया था। वोडाफोन से उन्हें जॉब का ऑफर था लेकिन पापा की तबियत को देखते हुए उन्हें ऑफर ठुकरा दिया। पापा की परी का कहना है कि जॉब तो बहुत मिल जाएगी लेकिन पापा नहीं मिलेंगे। कीमोथैरेपी के दौरान वह लगातार दो माह तक पापा के साथ दिल्ली किराए के मकान में रहीं। जूही कहती हैं कि मुश्किलें तब तक परेशान करती हैं जब तक हम उनके आगे घुटने टेके रहते हैं। अगर हमारा हौसला मुश्किलों पर हावी हो जाए तो वे हमारा कुछ नहीं बिगाड़ सकतीं।

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राजीव गांधी कैंसर इंस्टीट्यूट में चल रहा इलाज: जूही के पिता का इलाज राजीव गांधी कैंसर इंस्टीट्यूट, दिल्ली में चल रहा है। शासन की तरफ से नित्य के ऑपरेशन के लिए छह लाख रुपये मंजूर हुए थे। रेडिएशन और कीमोथैरेपी पूरी हो चुकी है। ऑपरेशन कुछ समय बाद होगा। जूही कहती हैं कि पिता ऑपरेशन के बाद ही पूरी तरह ठीक हो पाएंगे। फिलहाल कैंसर पहली स्टेज पर आ गया है। कहती हैं कि कैंसर की जंग उन्हें किसी भी कीमत पर जीतनी है। यह बीमारी कितनी भी बड़ी हो लेकिन उनकी कोशिशों से बड़ी नहीं हो सकती।

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